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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरकरिप्रसठ ( ८२१ ) पीना । ५ ऊपर की भोर दवा के साथ धीरे-धीरे खिचना ।। सुग्गादि-पु० [सं० स्वर्ग-पादि] स्वर्ग-लोक-समूह । सुरकरिप्रसठ-पु. [सं० सुरकरिप्रष्ठ] सूर्य, भानु । सुरगापगा-स्त्री० [सं० स्वर्गापगा] स्वर्ग गंगा, मंदाकिनी, सुरकरी-पु० [सं० सुरकरिन्] १ इन्द्र का हाथी । २ दिग्गज । गंगा नदी। सुरकली-स्त्री० एक रागिनी विशेष । सुरगापुर पुरि)-पु० [सं० स्वर्ग-पुर] स्वर्ग धाम, वैकुण्ठ । सुरकादुरकी-स्त्री. किसी बात को इधर-उधर करने की क्रिया, | सुरगायत-पु० स्वर्ग वैकुण्ठ । दौत्य कर्म, चुगली। सुरगारोहण-पु० [सं० स्वर्गारोहण] स्वर्ग की पोरगमन । सुरक्ष-पु० [सं०] १ इन्द्र। २ एक पौराणिक पर्वत । -वि. सुरगि-देखो 'स्वरग'। रक्षित, सुरक्षित । सुरगी-वि० [सं. स्वर्गीय] स्वर्ग का, स्वर्ग संबंधी। -पु. सुरक्षा-स्त्री० [सं०] १ रक्षा, हिफाजत । २ देखभाल, संभाल। १ स्वर्ग का निवासी. देवता । २ देखो 'स्वरग'। सुरखंडनिका-त्री० [सं०] एक प्रकार की बीणा । सरगीनदी-देखो 'स्वरगनदी'। सुरख-वि० [फा० सुर्ख] १ लाल, रक्ताभ, २ क्रोध पूर्ण, रोश | सुरगुण (न)-देखो 'सगुण' । पूर्ण। -पु० १ तांबा । २ एक प्रकार का शुभ रंग। सुरग्यांन (ग्यांनी)-देखो 'मुग्यांनी' । सुरखरू-वि० [फा०] १ सफल, कामयाब । २ सम्मानित । सुरग्रह सुरग्राह-पु० [सं० स्वर-गृह] १ वीणा । २थयणेन्द्रिय सुरखानी-वि० रक्ताभ, लाल । कान । सुरखाव-पु. [फा० सुर्खाब) १ चकवा नामक पक्षी । २ लाल | सुरघंट-पु. वीरघंट।। परों वाला पक्षी विशेष ब्राह्मणी बतख । -वि. लाल । सुरघण-पु. मेघनाद, इन्द्रजित । सुरखियाबगलो (बुगलो)-पु. बुगले का एक भेद विशेष। सुरह-देखो 'सरड़। सुरखी-स्त्री० [फा० सुखी] १ अरुणिमा, लालिमा । २ नारा- सुरड़णी (बी)-क्रि० १ कांटेदार छड़ी, बेंत या चाबुक से पूरी जगी, गुस्सा । ३ इमारत पादि बनाने में काम पाने वाला। तरह पीटना। २ किसी पौधे या पेड़ की टहनी के पत्ते ईटों का महीन चूरा। -पु० [फा० सुर्ख] १ वह घोड़ा पादि खींच कर पूरे तोर देना। ३ अनर्गल बकना, जिसको दुम लाल हो । २ वह घोड़ा जिसका रंग सफेदी या बोलना। ४ चाटकर खाना। ५ संचय करना।।खरोंच भूरापन लिये काला हो। लगाना, खरोंचना। सुरखो-पु० [फा० सुर्खा] १ लाल रंग का कबूतर । २ देखो सुरड़ी-वि. नाक कटी हुई। 'सुरख'। सुरड़ी बुरड़ी-वि० नाक-कान कटी हुई, बूची। सुरग-देखो 'स्वरग'। सुरड़ी-वि० (स्त्री० सुरड़ी) १ नाक कान कटा, बू'चा । सुरगण-पु० [सं०] १ देवगण । २ देखो 'सगुण' । २ निर्लज्ज, बेशर्म । सुरगनवी-देखो 'स्वरगनदी'। सुरचक्र पु० सुदर्शन चक्र। सुरगपत (पति, पती)-देखो 'स्वरगपति'। सुरचाह-स्त्री० अग्नि, माग । सुरगपहाइ-पु० [सं० स्वर्गपहाड़] सुमेरु पर्वत । सुरच्छा-देखो 'मुरक्षा'। सुरगपाताळी-पु. ऐसा पशु जिसका एक सींग पाकाश की भोर | सुरज-पु० १ एक देव जाति । २ देखो 'सूरज'। खड़ा हो तथा दूसरा बिलकुल नीचे झुका हो । सुरजणी-पु० [सं० सुरञ्जन] सुपारी का पेड़ । सुरगपुर (पुरी)-देखो 'स्वरगपुरी'। सुरजमुखी-देखो सूरजमुखी'। सुरगवाळी-स्त्री० कान का एक बाभूषण । सुरजांण-पु. १ विष्णु । २ श्रीकृष्ण । ३ इन्द्र । सुरगबेसा, सुरगबेस्या-स्त्री० [सं० स्वर्गवेश्या] प्रप्तरा। सुरजा-स्त्री० [सं०] १ एक अप्सरा । २ पुराणोक्त एक नदी। सुरगरव-पु० [सं० सुरगिरि] सुमेरु पर्वत । -माळा, माला- सुरझरणी (बो)-देखो 'सुळमणों' (बी)। स्त्री० सुमेरु पर्वत श्रेणी। सुरमाणी (बी), सुरझावणी (बो)-देखो 'सुलझाणी' (बी)। सुरगलोक-देखो 'स्वरगलोक' । सुग्टीप-स्त्री० [सं० स्वर-रा० टीप] गायन में स्वरालाप, टीप । सुरगवास-देखो 'स्वरगवास। सुरण-स्त्री० १ वह रम्सी जो कूए से पानी खींचने वाले पात्र सुरगसार-पु० [सं० स्वर्गसार] चतुर्दश ताल के चौदह भेदों में | के साथ बधी रहती है, 'लाव' । २ देखो 'सूरण' । से एक। सुरणा, सुरणाइ (ई), सुरणाय, सुरणो-देखो 'सहनाई। सुरगह-पु० तोता, कीर। सुरणी (बो)-क्रि० अपान वायु निकलना । सुरगाम-पु० [सं० स्वर बाम] स्वर ग्राम । | सुरत-स्त्री० [सं० सु-रत] १ स्त्री-संभोग, रति-क्रीडा, मधुन । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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