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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिवरणी ( ७५ ) पिहाई पिवणो (बो)-देखो 'पीणो' (बी)। पिसाचभाखा, पिसाचभासा-स्त्री० [सं० पिशाच भाषा] एक पिसकस-पु. १ एक विशेष प्रकार का धनुष । २ धनुष । प्राचीन भाषा, पैशाची भाषा । पिसण-वि० सं० पिशुन] १ नीच, दुष्ट । २ पापी। पिसाचमोचन-पु० [सं० पिशाचमोचन] १ पिशाच योनि से ३ चुगलखोर, निंदक । ४ छली, कपटी, धूर्त । -पु० शत्रु, मुक्ति दिलाने वाला काशी का एक तालाब । २ देखो दुश्मन । -खोर-वि० शत्रुओं का नाश करने वाला। ___ "पिसाचघन'। पिसण-पनग-पु० [सं० पिशुन-पन्नग] मयूर, मोर । पिसाचर-देखो 'पिसाच'। पिसणाक-देखो "पिसण'। पिसाचविवाह-पु० विवाह की एक अधम रीति । पिसणो (बो)-क्रि० १ पीसा जाना, महीन पाटे की तरह किया पिसाचांगजन-पु० वरुणदेव । जाना। २ कुचला जाना, दबना । ३ नरम व रसदार पदार्थ | पिसाचा-पु० [सं० पिनाचिन्] १ कुबेर । -स्त्री० [सं० पिशस्य] का दबकर फूट जाना। ४ चूर्ण हो जाना, टूट कर बिखरना।। २ एक देव जाति । ५ थकना, शिथिल होना । ६ शोषण किया जाना। पिसाची-स्त्री० [स० पिशाची] १ पिशाच स्त्री। २ पिशाचों ७ अधिक दबाव या खिचाव से वस्त्रादि का फटजाना। की भाषा। ३ जटामासी। ८ देखो 'फिसणी' (बी)। पिसाणी (बी)-क्रि० १ अनाज प्रादि का प्राटा बनवाना, पिसताणी (बौ), पिसतावणी (बौ)-देखो 'पछताणी' (बी)। पिसवाना । २ महीन चूर्ण बनवाना, पाटे की तरह कराना । पिसतावो-देखो पछतावो' । ३ चटनी की तरह कराना । ४ कठोर श्रम कराना। पिसतोल-देखो 'पिस्तोल'। ५ व्यर्थ में नुकसान पहुंचवाना । ६ मरवाना, सहार पिसतो-देखो 'पिस्तौ'। कराना । ७ शोषण कराना। पिसन (न)-देखो 'पिसण' । पिसादिय-देखो 'फिसादी' । पिसर-पु० [फा०] पुत्र, लड़का, बेटा । पिसारण, पिसारी-स्त्री० [सं० पेषणम् ] पिसाई का कार्य करने पिसळणी (बी)-क्रि० १ किसी नरम वस्तु को हाथ से मसलना, वाली स्त्री। रगड़ना । २ देखो 'फिसळणो' (बी)। | पिसावरणौ (बो)-देखो 'पिसाणी' (बो)। पिसाई-स्त्री० [सं० पेषणम्] १ पीसने की क्रिया या भाव। पिसित-पु० [सं० पिशितस्] १ मांस, गोश्त । २ मांस का २ दानेदार वस्तु को प्राटे के रूप में करने की क्रिया। टुकड़ा, बोटी । ३ पीसने का व्यवसाय । ४ पीसने का किराया। | पिसु-देखो 'पंसु' । पारिश्रमिक । ५ प्रत्यधिक शारीरिक श्रम। ६ ताश के | पिसुरण, पिसुन-देखो "पिसण' । खेल में पत्ते बांटने का कार्य । पिस्ट-वि० [स० पिष्ट] पिसा हुप्रा, चूर्ण किया हुअा। -पु. पिसाच, पिसाचक-पु० [सं० पिशाच] (स्त्री० पिसाचण, १ उबटन । २ पाटा । ३ चूर्ण । पिसाचणी) १ भूत या प्रेतों की तरह की एक योनि । पिस्टपेसन-पू० [सं० पिष्ट पेषणम्] १ पिसी हुई वस्तु की पुनः २ इस योनि का जीव । ३ बीभत्स या जघन्य कार्य करने पिसाई । २ कही हुई बात का पुनर्कथन । ३ व्यर्थ का कार्य । वाला व्यक्ति । ४ भारत के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित एक पिस्टि, पिस्टी-स्त्री० [सं० पिष्टि] १ पीसी हुई वस्तु । २ पीठी। प्राचीन प्रदेश । ५ इस प्रदेश का निवासी। -वि० पिस्ती-देखो "पित्तो' । मांसाहारी, मांस भक्षी। -धन-वि० पिशाचों का नाश करने वाला । पिशाच बाधा मिटाने वाला । -स्त्री. पिस्तौ-पु० [सं० पिस्त] १ एक प्रकार का मूखा मेवा । २ कलेजे का एक भाग । पीली सरसों। पिसाचकी-पु० [सं० पिशाचकिन्] कुबेर । पिस्सू-पु० [फा० पश्शः] १ मच्छर । २ मच्छर जैसा एक अन्य कीड़ा। पिसाचचरजा-स्त्री० [सं० पिशाचचर्या] पिसाचों की तरह। पिह-पु० [सं० प्रभु] पति । स्वामी । मरघट का परिभ्रमण । पिहर-देखो 'पी'र'। पिसाचन्द्र-पु० [सं० पिशाचद्रु] सिहोर का वृक्ष । पिहरिण-देखो 'पहरण'। पिसाचपत, पिसाचपति-पु० [सं० पिशाचपति] शिव, महादेव। पिहलउ-वि० [सं० प्रथून] १ चौडा, विम्तृत । २ देखो 'प्रथम'। पिसाधनाथा-स्त्री० [सं० पिचाशबाधा] १ पिशाचों का उत्पात । पिहलाव-देखो 'प्रहलाद' । २ पिशाचों के उत्पात से होने वाला कष्ट । पिहाई-१ देखा "पिसाई' । २ देखो 'पिधाई'। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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