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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सिग्न www. kobatirth.org ( ७६२ ) सिन, सिस्नु पु० [सं०] शिश्न ] पुरुष का लिग, जननेंद्रिय सिस्य - पु० [सं० शिष्य ] १ शिष्य, शागिर्द, चेला । २ विद्यार्थी ३ क्रोध, रोष । सिस्समम्य (मय मध्य) - देखो 'ससिमाथ' । सिस्सिहर-१ देखो 'ससधर' २ देखो 'ससिधर' । सिहंड पु० [सं०] मोर, मयूर । सिहड पु० मल्हार नामक एक राग । - सिसिलाव स्त्री० बिजली की चमक । सिहसान - पु० [सं० सिहसान ] एक सूर्यवंशी राजा । सिहाई देखो 'सहाय'। सिहावरी पु० मस्तक, शिर । सिहाय देखी 'सहाय सिहायक देखो 'सहायक' । सिहायता देखो सहायता । सिहारी- देखो 'सहारों' । सिहि - वि० सब समस्त । सिहिकार स्त्री० [सं० सहकार] बाय, ग्रामदती 1 सिहोर - १ देखो मिखर । २ देखो सिहर' | सोक देखो 'सी' सकळी, सखलो पु० दही मथने को मथानी के साथ लगने वाला एक उपकरण । सींग, सगड़ी, सींगड़ी, सोंगटी पु० [सं० श्रृंग] १ खुर वाले पशुनों के शिर पर होने वाले लकड़ीनुमा, नोकदार अवयव, पशु शृंग २ फूंक से बजाने का एक वाद्य विशेष । १३ सींग से बनी एक नली । ४ बन्दूक का बारूद रखने का उपकरण विशेष | सीगण (रि, खी) - पु० [सं० श्रृंग] १ सींग का बना हुधा धनुष विशेष २ धनुष । ३ प्रशुभ लक्षणों वाला घोड़ा । गोपदेवी 'दीप' सोंगळी- देखो 'सिंघली' । सगसाज-पु० १० सींग का बना, बारूद रखने का पात्र । सोंगाड़ी, सोंगाड़ो-देखो 'सिगोटी' । सौगायल - वि० प्रवारा गाळ साठी वि० [सं०] [स्त्री० सींगाळी) १ जिसके सींग हो, सींग वाला २ बीर बहादुर १०१ सींगवाला । । पशु । २ बैल वृषभ । सोंगी-१ देखो 'तिमी' २ देखो 'सिंगल' । सगीबंद (बंध) - वि० चूने पत्थर की पक्की चुनाई से बांधा हुमा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 सींधळी - देखो 'सिंघळी' । सिहण स्त्री० १ मादा शेर, शेरनी, सिंहनी । – पु०२ स्तन, कुच सिहर पु० [सं० शिर ] १ शिर, मस्तक [सं० शिखर ] | सोंघसट ( सठ, सप्त, सथ ) - देखो 'सिंगसठ' । २ हाथी, गज । ३ पर्वत, पहाड़ । ४ पर्वत चोटी, शृंग ।। सींघाळो-१ देखो 'सिघाळो' । २ देखो 'सींगाळी' । ५ बादल, मेघ । ६ श्रेष्ठ वीर । ७ देखो 'सहर' । सघोडो-देखो 'सिघोड़ो' । सौंवरियो पु० १ कुए से पानी निकालने के पात्र से बांधा जाने वाला रस्सा | २ कूए से पानी निकालने का पात्र ३ पानी निकालने वाला व्यक्ति । सॉवड़ी सींगी मुहरो देखो 'सिगी मुहरों' । सोंगीरिख, सोंगोरिखी (रिसी) - देखो 'त्र' गीरिसी' | सोंगौ- पु० सौंग के धाकार की तीखी लकड़ी जो "आई" या "चौसंगी" के धागे जुड़ी रहती है। सोंधरा (पि, सी) १० १ घोड़े के शिर पर होने वाला एक टोका जिसमें भौंरियां होती हैं। २ देखो 'सींगण' । सौंपल- १ देखो 'सिहल' २ देखो 'सिंगल' (यो क्रि० [सं० सिंचन] १ पेड़-पौधों का फसल में पानी देना, सिचाई करना। २ पानी छिड़कना, नमी देना । ३ उड़ेलना, डालना । ४ यज्ञ में घी की प्राहुति देना । ५ कुए से पानी निकालना । ६ चींटियों प्रादि के लिए खाद्य पदार्थ डालना, बिखेरना, छितराना । सांस देखो 'सियांस' सचारी स्त्री० [सं० शची] इन्द्रारणी, शची । सांगू, सांगो-देखो 'सिचांरण' । क सोचारणौ (बौ) - क्रि० १ कुए से पानी निकलवाकर फसल अथवा पेड़ पौधों को पिलवाना सिचाई कराना २ पानी दाना, तरी दिशना । ३ डलवाना, उंडेलवाना * कुए से पानी निकलवाना ५ कोई पदार्थ टिकवाना सींचारी- पु० १ कुए से पानी निकालने या कुए के पानी से सिचाई करने वाला व्यक्ति । २ सिचाई का कार्य करने वाला व्यक्ति । सीं सोचो निवृत्ति के बाद मलद्वार स्वच्छ करते की क्रिया या भाव, प्रावदस्त २ जल का छींटा लगाकर शुद्धिकरण को किया या भाव। सोंठ, सोंठ ० १ गुप्तेन्द्रिय के बाल, उपस्थ के बाल। २ गुप्तेन्द्रिय, जननेंद्रिय । सोडाणी (बो) बहामा फुसलाना। सणगार-देखो 'संगार' | डोसियो, सोली- वि० [इएका कालापन लिए सफेद सोतरी छतरी स्वी० एक प्रकार का घास विशेष । सौचाल जलाशय के किनारे रखा नहाने धोने का बड़ा पत्थर - - । For Private And Personal Use Only सोंबड़ी, सौंदरी - स्त्री० १ ससुराल जाते समय कन्या के सामान के साथ दी जाने वाली तेल, इत्र की शीशी । २ कुए से पानी निकालने की रस्सी । ३ पतली रस्सो का टुकड़ा ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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