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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पित्रीगण www. kobatirth.org ( ०३ ) पित्रीजांण पु० [सं० पितृयान] मरणोपरान्त जीव को परलोक ले जाने का मार्ग । वित्रीगण पु० [सं० पितृगण] १ पिटर २ मरीचि प्रादि विद्यालो (बी), विद्यावली (भी) कि० १ प्राच्छादित करना, ऋषियों के पुत्र । ढकना । २ देखो 'पिदाणी' (बो) | वित्रीगाथा - स्त्री० [सं० पितृगाथा ] पितरों द्वारा पढ़ा जाने वाला पिद्ध-देखो 'पीन्हों' । श्लोक विशेष । पित्रोरिस्ट पु० [सं० पितृरिष्ट] जन्म संबंधी एक कुयोग । वित्रीरूप पु० [सं०] पितृरूप] शिव पित्रीयनेचर पु० [सं० पितृ-वन-चर] शिव, महादेव १ । २ भूत-प्रेत ३ श्मशानवासी। पथराव - पु० [सं० पृथु-राज ] राजा पृथु । पिथी, विधी- देखो 'पृथ्वी' पित्रीवदन- पु० [सं० पितृ-बदन] कुश । पित्रीव्रत पु० [सं० पितृ-व्रत] पितृकर्म । पित्रीसू-स्त्री० [सं० पितृसू] १ पिता की माता, दादी । २ संध्याकाल । पित्रीता वि० [सं० पितृ-हंता ] पिता का हत्यारा, पिता-याती पित्रेस - पु० [सं० पितृ - ईश ] यमराज । पित्र सुर, विशेस्वर- पु० [सं० पितर ईश्वर ] १ यमराज । २ परलोकवासी पूर्वज ३ देवयोनि ४ देखो 'पितर' विच-देखो 'प्रयु' । पिashi - पु० १ कचूमर । २ नाराजगी । ३ फटकार । पदी (ब) ० १ खेल में किसी पक्ष या खिलाड़ी की पिटाई होना । २ अधिक चक्कर खाना, भाग-दौड़ करना । ३ बार-बार इधर-उधर घूमना । ४ परेशान होना, कष्ट उठाना । पिदर- पु० [सं० पितृ] पिता । पिदाई - स्त्री० १ खेल में खिलाड़ी की सजा के रूप में होने वाली भाग-दौड़ । २ किसी कार्य के लिये बार-बार चक्कर लगाने की क्रिया । ३ परेशानी, कष्ट । ४ भाग-दौड़ । पाणी (बी), विदावणो ( बौ) - क्रि० १ खेल में किसी खिलाड़ी को अधिक दौड़ाना, पिदाई कराना । २ बार-बार चक्कर कटवाना, भाग-दौड़ कराना। ३ बार-बार इधर-उधर घुमाना । ४ परेशान करना, तंग करना । पिदियो ५० एक प्रकार की छोटी चिड़िया पिद्दी स्त्री० एक प्रकार की छोटी चिड़िया । - वि० तुच्छ, विधान पु० [सं० पिधानम् ] १ तलवार का कोष, म्यान । २ प्रावरण, ढक्कन । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विन स्त्री० [सं०] १ कागजों में लगाने की छोटी व बारीक कील । २ वस्त्रों में लगाने का तार का छोटा उपकरण । ३ स्त्रियों के बालों में लगाने की पिन । पिनक-स्त्री० १ अफीम का हल्का नशा । २ तन्द्रा, नींद । पिनकरण (बी) - क्रि० १ अफीम के नशे में झूमना । २ नींद का झोंका खाना । पिनकी वि० १ अफीमची । २ तंद्रित । पिनस देखो 'पीनस' २ देखो 'पिंजरा' | विनसन- देखो 'पेनसन' । पिनाक- पु० [सं०] १ शिवजी का धनुष । 1 विनायक, पिनायय-देखो 'विनाक' विनारा देखो 'विजारा' । पिनारी- देखो 'पिंजारी' । पिम्म ३ धनुषाकार एक वीणा विशेष शिव, महादेव पिनाकी, पिनास, पिनाकी पु० [सं० पिनाकिन] शिष महादेव । पिपलीओ पु० एक प्रकार का वस्त्र विशेष । विपास, विपासा - स्त्री० २ धनुष । विनिद्य वि० [सं० पिन पहना हुआ, धारण किया था। पिनाक- देखो 'पिनाक' । पिपरमिट, पिपरमेंट पु० [सं० पेपरमिट] १ पुदीने की जाति का एक पौधा । २ इस पौधे का अर्क । ३ इस प्रर्क के योग से बनी शक्कर की गोली । For Private And Personal Use Only पालि पोली-पु० [सं० पिपासा ] प्यास, तृष्णा । उत्कण्ठा । पिपासित, पिपासी, पिपासु वि० [सं०] १ तृषित, प्यासा । २ उत्कण्ठित। ३ पीने का इच्छुक । विपीतकी - स्त्री० [सं०] वंशाख शुक्ला द्वादसी । पिपील, पिपीलक, पिपीलिक- पु० [सं० पिपीलः ] १ चींटा । २ एक प्रकार का सुवर्णं । पिपीलिका, पिपली स्त्री० चींटी । पिपी-देखो 'पीपौ' । पिप्पल - देखो 'पीपळ' । नगण्य । दिव्यास्त्री० [सं० पिण्याला] एक प्राचीन नदी । पिद्दो- पु० तुच्छ जीव । पिणी (बी) कि० [सं० परिवारसम्] १ बाच्छादित होना, पिप्पल, पिप्पली स्त्री० [सं०] पीपल नामक लता या उसका ढका जाना । २ देखो 'पिदणी' (बी) । फल । - मूळ-पु० ० पीपल नामक लता की जड़ । fपकरण (बी) - देखो 'मूकरणी' (बो) । पिम्म, पिस्तु देखो 'प्रेम'
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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