SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पिघळारणो पिछलगू पिघळाणी (बो), पिघळावणी (बौ)-क्रि० १ किसी ठोस वस्तु | पिचरंग, पिचरंगौ-१ देखो ‘पचरंग' । २ देखो ‘पचरंगी'। को गर्मी द्वारा नरम कराना, द्रव रूप कराना । २ द्रवी भूत | पिचरको, पिचरको-देखो 'पिचकारी'। कराना, पसीजाना । ३ विचलित कराना, फिसलाना। पिचांणरणो (बो)-देखो पैचाणणो' (बो)। पिघाळणी (बो)-क्रि० [सं० प्रगलनम्] १ किसी ठोस वस्तु को | पिचारणवी-देखो 'पचाणवौ' । गर्मी द्वारा नरम करना, द्रव रूप करना । २ द्रवीभूत | पिचास-देखो 'पिसाच'। करना, पसीजाना । ३ विचलित करना, फिसलाना। पिचियासियो-पु० ८५ का वर्ष । पिड़-पु०१ युद्ध, संग्राम । २ जोर से अपान वायु निकलने | पिचियासी-वि० अस्सी व पांच, पिच्यासी। -पु. अस्सी व __ का शब्द । पांच की संख्या, ८५ । पिड़गनू, पिड़गनो-देखो 'परगनी' । पिचियो-पु. १ छोटा बच्चा । २ फोड़ा, फुसी। पिडगी-स्त्री० [सं० पिटक] १ ध्वनि, मावाज । २ पानी आदि पिचुळ-पु. झाऊ का पेड़।। के पात्र के नीचे लगी गोल गिरीं जिससे पात्र ठीक से रखा | पिचू-पु. १ कर का वृक्ष । २ कर का फल । ३ नीम का वृक्ष । जा सके। पिचोतर-देखो 'पिचंतर'। पिडजांन-देखो 'पड़जांन'। पिचोतरी-स्त्री० सौ के ऊपर पांच, एक सौ पांच । पिड़वा-देखो ‘पड़वा'। पिचोवड़ी-देखो ‘पछेवड़ी'। पिडि-पु० [सं० पिंड] १ वृक्ष का तना। २ देखो "पिड़'। पिच्चक-देखो 'पंचक'। पिचड-पुं० [सं०] उदर, पेट ।। पिच्छ-पु० [सं०] १ पंख, पर । २ मयूर का पंख । ३ बाण की पिचंतर-वि० [सं०पञ्च सप्तति] सत्तर और पांच । -पु० सत्तर पूछ । ४ चोटी, कलंगी। ५ पूछ । व पांच की संख्या, ७५ । पिच्छम-देखो 'पच्छिम' । पिचंतरमौ (वो)-वि० चौहत्तर के बाद वाला, पिचहत्तर के पिच्छु-स्त्री० ह्रस्व इकार की मात्रा । स्थान वाला। पिच्यांणम, पिच्यांण (ग)-देखो 'पचांणू' । पिचंतरे'क-वि० पिचहत्तर के लगभग । पिच्यासी-देखो 'पिचियासी'। पिचंतरी-पु. पिचहत्तर का वर्ष । पिछ-देखो ‘पीछु”। पिचक-देखो 'पंचक'। पिछक-पु० [सं० पिच्छक] तमाल-पत्र । पिचकणी (बो)-क्रि० [सं० पिच्च] फूली हुई वस्तु का दबना। पिछडणी (बौ)-क्रि० [सं० पश्चात्कृत] १ पीछे रह जाना। पिचकाणी (बी)-क्रि० किसी फूली हुई वस्तु को दबा देना, उभार | २ विकास या प्रगति न करना। ३ बलपूर्वक दबाने से न रहने देना। टूट-फूट जाना । ४ दबने से रस निकलना। पिचकार, पिचकारका, पिचकारी-स्त्री० [सं०पिच्चकार] १ तरल | पिछतानौ-देखो 'पछतावो' । पदार्थ को भरकर जोर से फेंकने का नलीदार यंत्र, उपकरण। पिछताणी (बी)-देखो 'पछताणी' (बो)। २ इस उपकरण द्वारा फेंकी जाने वाली द्रव पदार्थ की पिछताप, पिछतापो, पिछताब-देखो 'पछतावो' । धारा । ३ इसी प्रकार किसी पदार्थ की निकलने वाली | पिळतावो (ब)-देखो 'पळतागौ' धारा । पिछतावो-देखो 'पछतावो'। पिचकावणी (बौ-देखो 'पिचकारणो' (बी)। पिछम-देखो 'पच्छिम'। पिचकिच-पु० खजूर । पिछमारण, पिछमारणो-देखो ‘पछमाण' । पिचड़गो (बी)-क्रि० १ दब कर पिचक जाना । पिछमाद-क्रि० वि० १ पश्चिम में, पश्चिम की पोर । २ देखो 'पिछड़णी' (बी)। २ देखो 'पश्चिम' । पिपिचासौ (यो)-क्रि० [सं० पिच्च] १ घाव में पीप भरना व गीला पड़ना। २ अधिक नरम या तर होने से पच-पच | पिछमियो-देखो 'पच्छिमी' । करना। ३ रसना, झरना। पिछलगी-स्त्री० अनुकरण, अनुसरण, देखा-देखी, नकल । पिपिचाहट-स्त्री० पाद्र, नमी या भराव के कारण होने वाली -वि० पीछे-पीछे रहने वाली। पच-पच । पिछलगू, पिछलगी, पिछलग्गू-पु. (स्त्री० पिछलगी) १ अनुयायी, पिचपिचौ-वि० १ अधिक गीला । २ अधिक नरम । ३ अधिक | अनुगामी । २ शिष्य । ३ सेवक, नौकर। -वि० १ पीछे-पीछे तर । ४ देखो 'चिपचिपो'। ५ देखो 'पचपचो' । रहने वाला, चापलुस । २ अनुसरण करने वाला। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy