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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्यवहारणी www.kobatirth.org ( ६७२ ) ७ मुकद्दमा । 5 अधिकार, हक । ९ शास्त्रोक्त विधि | १० बरताव सलूक । ११ भेद, अन्तर, फर्क । १२ एक सूत्र (जैन) 1 व्यवहारणी (बो) - क्रि० १ प्राचरण करना । २ पेशा या धंधा करना । ३ गिरवी का लेन-देन करना । ४ व्यापार करना, व्यवसाय करना । ५ बरताव या सलूक करना । हरियो व्यवहारिक व्यवहारियो, व्यवहारी (उ) व्यवहारीधो व्यवहारू व्यवारियो, व्यवारी- वि० [सं० व्यवहारिन् ] १ व्यवहार से संबंधित २ बरताव या सलूक करने वाला । ३ व्यापार करने वाला । ४ संबंध रखने वाला । ५ उत्तम प्राचरण वाला । पु० १ व्यापारी, बनिया । २ वैश्य ३ संबंधी रिश्तेदार व्यसन - पु० [सं०] १ प्राटत, एब, लत । २ नियम ३ निरर्थक बात । कार्यं । ४ प्रशुभ बात । ५ श्रसमर्थता, असामर्थ्यं । ६ कष्ट, दुःख । ७ वित्ति, संकट । व्यसनी वि० [सं०] [यसनिन] १ किसी प्रकार के व्यसन बाला । २ ऐबी, लत खोश । ३ बुरी प्रादतों वाला । व्यस्टि, व्यस्टी - पु० [सं० व्यष्टि ] समष्टि का उल्टा पृथक एव विशिष्ट अंश, इकाई कप व्यस्त - वि० [सं० व्यस्त ] १ कार्य में संलग्न, लीन । २ जिसे अवकाश यो फुर्सत न हो। ३ प्राकुल, विकल, घबराया हुधा । ४ फैला हुधा, व्याप्त। ५ बिखरा हुमा । व्यस्तार पु० [सं०] १ हाथी की कनपट्टियों से मद चुने को किया या स्थिति । २ देखो 'विस्तार' | या सर्व वह का बहुवचन, वे उन । क्रि० वि० १ ऐसे, इस , तरह । २ से, उस तरह । व्यारण स्त्री० १ समधी की स्त्री, समधिन । २ दहेज में साथ माने वाली दासी । १०० विणु] णु से बड़ा विशेष ध व्यनिपु० [सं० स्थान] शरीरस्थ एक वायु विशेष । व्यांना स्त्री० [सं० व्यानदा] व्यान वायु देने वाली शारीरिक शक्ति विशेष । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्याजु + व्याकरणी पु० [सं० व्याकरणिक] व्याकरण का ज्ञाता पंडित व्याळ व्याकुळ (ल) वि० [सं० व्याकुल] १ धातुर विकल, दुःखी । २ घबराया हुम्रा, भयभीत । ३ उदास, वित्तविह्वल भावुक, द्रवित ५ युक्त ६ उत्सुक, उत्कंठित | पु० समुद्र, सागर । व्याकुळ (बी) क्रि० १ घराना, व्याकुल होना बेचैन होता। २ उदास होना, खिन्न होना । ३ भयभीत होना, घबराना । ४ धातुर होना । ५ कांपना, चना । व्याकुळता व्याकुलता स्त्री० [सं० व्याकुलता ] १ व्याकुल होने की अवस्था या भाव, उदासी, खिन्नता १२ डर, भय, घातक । व्याकुळी- वि० भयभीत, बेचैन, व्याकुल । व्याकोस वि० [सं० व्याकोष] १ बढाया हुआ फुलाया हुआ। २ खिला हुआ, विकसित ३ वृद्धि को प्राप्त वृद्धिमान । व्याति देखो 'विऋति' । - व्याखान व्याख्यान० [सं० व्यास्थान] १ व्याख्यान करने की क्रिया या भाव। २ भाषण, प्रवचन। -सद-पु० टीकाकार व्याख्याता । प्रबक्ता । व्याख्या - स्त्री० [सं०] १ किसी बात या विषय को समझाने के लिये किया गया विवेचन, स्पष्टीकरण, टीका । २ पर्थ, भावार्थ । व्याघात पु० [सं०] १ प्राघात, चोट प्रहार । २ विघ्न, बाधा । ३ घोर संकट, विपत्ति । ४ ज्योतिष में एक योग । ५ एक विशेष 1 व्याघ्र पु० [सं०] १ सिंह शेर २ भादव मास में सूर्य के साथ घूमने वाला यक्ष । वि० १ सर्वोत्तम श्रेष्ठ । २ मुख्य, प्रधान । चरम, चरम, चांम स्त्री० शेर की खाल, बाघंबर । व्याघ्रनाइक व्याघ्रनायक - पु० [सं० व्याघ्रनायक ] गीदड़ शृगाल । व्याघ्रमुख पु० [सं०] १ एक देश का नाम । २ एक पर्वत का नाम । व्याघ्राक्ष - पु० [सं०] १ कार्तिकेय का एक अनुचर । २ एक राक्षस का नाम । व्याज पु० [सं०] १ कपट छल घोषा २ बाधा, विघ्न, अड़चन ३ विलम्ब, देरी । ४ बहाना, मिस । ५ ऋण का सूद ६ ऋण की राशि व्यमि पु० [सं० व्याम] लंबाई का एक नाप विशेष व्याव्या (हो)पु० (स्त्री० [व्यांण, व्यावस) सगा समधी रिश्तेदार | व्याकरण-पु० [सं०] १ किसी माया के रचना विधान सुद्धा व्याजदियो १० १ व्याज पर ऋण देने वाला व्यक्ति दाता । २ देखो 'व्याज' । शुद्ध का ज्ञान व संस्कार करने वाली विद्या । २ इसी विद्या से संबंधित शास्त्र विशेष । ३ किसी भाषा की ३ किसी भाषा को । ४ । व्याकरण संबंधी पुस्तक व्याख्या विवेचन ५ निर्माण, रचना । ६ बहत्तर कलाधों मे से एक । ७ स्त्रियों की चौसठ कलाभों में से एक । ८ आठ की संख्या । For Private And Personal Use Only ऋण व्याजवटी पु० देने व व्याज लेने का व्यवसाय | ऋण व्याजस्तुति स्त्री० [सं०] निन्दा के बहाने स्तुति, स्तुति के बहाने निन्दा २ एक प्रकार विशेष । - १ व्याज-पु० व्याज पर देने की रकम ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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