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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विपरित विननी-स्त्री० नम्रता, विनम्रता । विपक्खी-१ देखो विपक्षी'। २ देखो 'विपखी'। विनोक्त, विनोक्ति-पु० [सं० विनोक्ति] एक अलंकार विशेष | विपक्व-वि० [सं०] १ पच्छी तरह व पूर्ण रूप से पका हुमा । जिसमें किसी वस्तु की हीनता या श्रेष्ठता का वर्णन किया | २ प्रधपका या कच्चा ।-पु. एक देव विशेष । जाय । विपक्ष (ख)-वि० [सं०] १ विरुद्ध, खिलाफ, प्रतिकूल । विनोद-पु० [सं० विनोद] १ ऐसा कार्य जो मन बहलाव करता २ उलटा, विपरीत ।-पु. १ विरोधी पक्ष, शत्रु पक्ष । हो । २ मनोरंजन, मन बहलाव । ३ हंसी-मजाक । २ दूसरा पक्ष, अन्य पक्ष । ३ विपरीत पक्ष । ४ मानन्द, हर्ष, प्रसन्नता । ५ उत्सुकता, उत्कण्ठा । ६ खेल विधी-Groin मंत्र विरोधी पका व्यक्ति । क्रीड़ा, पामोद-प्रमोद । ७ सोलह प्रकार के शगारों में से -वि० दूसरे पक्ष का, विरोधी पक्ष का । एक । गायन, संगीत । ९ एक राग विशेष । १० राति- | विपखी-पु०१ प्रश्व, घोड़ा। २ देखो 'विपक्षी'। क्रिया का एक प्रालिंगन । विपख्खरणी-स्त्री. विरोधी की स्त्री।-वि. विरोधी पक्ष की, विनोदक-वि० [सं०] १ विनोद करने वाला, खेल-क्रीड़ा करने प्रतिद्वंदिनी। वाला । २ मजाकिया, विदूषक। विपच्छ-१ देखो 'विपक्ष'। २ देखो 'विपक्षी' । विनोबन-देखो बिनोद'। विपच्छी-देखो 'विपक्षी'। विनोवित-वि० [सं०] १ हर्षित, खुश, माह लाद युक्त । २ हंसी विपरण-पु० [सं०] १ छोटा व्यापार । २ बिक्री । मजाक किया हुआ। ३ भानन्द दायक कार्य किया हुमा।| विपरणक-वि० [सं०] व्यापारी, व्यवसायी। ४ विनोद शगार से युक्त । विपणन-स्त्री० [सं० विपणनम्] व्यापार, व्यवसाय, क्रयविनोबी-वि० [सं० विनोदिन] १ खुद का व दूसरों का मन | विक्रय । बहलाने वाला । २ हंसी-मजाक करने वाला। ३ विनोद संबंधी । ४ प्रानन्द व हर्ष उत्पन्न करने वाला। ५ खेल-क्रीड़ा | विपणा-स्त्रा० [स० विपणा] १ बाजार। २ दुकान, हाट । करने वाला। ६ विनोद शगार करने वाला। ७ गाने ३ व्यापार का स्थान । ४ बाजार ।-पु० [सं० विपरिणन] ५ व्यापारी। वाला, गायक। विनोदीयौ-देखो "विनोदी'। विपत (ता, ति, तो), विपत्त (ति, ती)-स्त्री० [सं० विपत्तिः] १ संकट, विपत्ति, पापाद् स्थिति। २ कष्ट, पीड़ा । विन्नक-पु० [सं० विन्नकः] अगस्त्य ऋषि का एक नामान्तर । ३ परेशानी, झंझट । ४ बुरे दिन, बुरा समय । ५ मृत्यु, विन्नवरण-पु. कामी पुरुष । विन्नवरणा-पु० [सं० विज्ञापना] कामी पुरुष के पागे रति क्रिया | __ मौत । ६ थकान, सुस्ती। का प्रस्ताव करने वाली स्त्री। विपस्थ, विपथ-पु० १ भयंकर मार्ग । २ कुमार्ग, बुरा रास्ता। विन्नांण, विन्नारिण, विन्नाणी-देखो विनाण' । विपद (वा, वि, दी)-देखो 'विपत' । विनोद-देखो 'विनोद'। विपदेस-पु० [स० व्यपदेश] कपट, छच, धोखा। विन्यांनी-वि० [सं० वैज्ञानिक] जानकार, ज्ञानी।। विपनबिहारी (विहारी)-वि० वन-विहार करने वाला, वन में विन्यायक (को)-देखो "विनायक' । विचरण करने वाला। विपर-देखो विप्र'। विन्यास-पु० [सं०] १ स्थापित करने की क्रिया या भाव । २ समूह, संग्रह। ३ यथास्थान रखने की क्रिया, सजावट । विपरजय-देखो 'विपरय्य'। ४ जड़ने की क्रिया । विपरत-देखो 'विपरीत'। विन्योक्ति-देखो "विनोक्ति'। विपरब-पु० [सं० विपर्व] बुरा दिन, असमय । विन्ह, विन्हइ, विन्है-१ देखो 'बिन' । २ देखो 'बिना'। विपरयय (ग्य, व्यय)-पु० [सं० विपर्यय] । व्यतिक्रम । २ उलट-फेर, हेर-फेर । ३ विरोध, प्रतिकूलता। ४ अशुद्धि, विपंचिका, विपंचो-स्त्री० [सं०] १ एक प्रकार का वाद्य। २ मामोद-प्रमोद, खेल, क्रीड़ा। भूल । ५ अव्यवस्था, गड़बड़ी । ६ वैमनस्य, शत्रता। विप-१ देखो 'वपु' । २ देखो 'वित्र। ७ भ्रम, सन्देह । ८ विचारान्तर। विपक्क-वि० [सं०] १ पूर्ण रूप से पका हुमा, परिपक्व । विपराणो (बी), विपरावणो (बी)-देखो 'वपराण' (बी)। २ पूर्ण उबला हुमा, सीजा या पका हुमा । ३ उन्नति की | विपरित, विपरिती, विपरीत, विपरित-वि० [सं० विपरीत] चरम सीमा तक पहुँचा हुमा । ४ देखो 'विपक्ष'। १ प्रतिकूल, विरुद्ध, खिलाफ । २ उल्टा, विलोम । विपक्ख-देखो "विपक्ष'। J ३ अनिष्ट साधन में तत्पर । ४ रुष्ट, ऋ । ५ अनुपयुक्त । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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