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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विछोह विजया विछोह, विछोह-पु० १ जुदाई, वियोग, विरह । २ वियोग काल । विजयखार-देखो "विजयसार। विछोहणी (बो), विछोहणी (बो)-क्रि० बिछुड़ना, जुदा होना, विजयघंट-पु०१ मंदिरों का वीरघंट। २ हाथी की झूल में बंधा अलग होना । वियोग होना। रहने वाला घंटा। विछोही-वि० वियोगी, विरही। विजयछंद-पु० [सं० विजय.छंद] पांच सो लटिकामों का हार । विछोही, विछोही-देखो 'विछोह' । विजयडिडिभि-पु० [सं०] एक प्रकार का युद्ध वाद्य । बिछौनों, बिछौनौ-देखो 'बिछारणों'। विजयतीरथ-पु० [सं० विजयतीर्थ] एक तीर्थ विशेष । विज-१ देखो 'बीजळी' । २ देखो ‘बीजळा'। विजयवइ-पु० [सं० विजयदण्ड] सैनिकों का एक विभाग । विजई-देखो 'विजयी । विजयवसम (बसमी)-देखो "विजयादसमी'। विजउरौ-देखो 'बिजोरों'। विजयदुदुम (मि)-पु० युद्ध का विजय-वाद्य । विजकणी (यो), विजकणी (बो)-देखो 'भिचकरणो' (बी)। विजयपंजर-पु० [सं० विजयः-पञ्जर] विजय प्राप्ति के लिये विजकाणी(बी),विजकावणो(बी),विजकाणी(बी), विजकावणी पढ़ा जाने वाला स्तोत्र । (बो)देखो "भिचकारणो' (बी)। विजयपताका-स्त्री० [सं०] विजय का सूचक-ध्वज, चिह्न, पताका । विजयपरपटी-स्त्री० [सं० विजय पर्पटी] संग्रही रोग की एक विजड़ (लो)-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळो'। पौषधि । विजड़हत (ति, ती, तो, स्थ, स्थी, त्यौ, थ, थी, यौ), विजाहत विजयपूनम (पूणिमा)-स्त्री० [सं० विजयपूणिमा] विजय (ति, ती, तो, स्थ, स्थी, स्यो, य, थी, यो, ज्यो)-देखो दशमी के बाद की पूणिमा । 'बीजळाहय'। विजयभैरव-पु. वैद्यक में एक रसौषधि । विजड़ी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी' । विजयमरबळ-पु० [सं० विजय-मईल] एक प्रकार का ढोल । विजड़ोहथ-देखो 'बोजळाहय' । विजयमाळा (ला)-स्त्री० [सं० विजय माला] विजय के लिये विजड, विजडी-१ देखो 'बीजळा' । २ देखो 'बीजळी'। ___ पहनाई जाने वाला माला। विति-वि० जीतने वाला, विजय प्राप्त करने वाला। विजयमेर-पु० [सं०] सुमेरु पर्वत का एक नाम । विजन-वि० [सं०] एकान्त, जन शून्य । -पु० [सं० व्यजनम्] | विजययात्रा-स्त्री० [सं०] विजय प्राप्त करने का प्रयाण, यात्रा। १हवा करने का पंखा, वीजन । २ देखो 'व्यनन' । विजयरस-पु० [सं०] वैद्यक में एक रस । विजनस-वि० १ दृढ़, पक्का । २ वास्तविक, बिल्कुल ।-क्रि०वि० | विजयरूपपदम-पु० [स० विजय रूप पन] एक प्रकार का घोड़ा। १ निश्चित ही, अवश्य ही। २ जब, जिस समय। | विजयलक्ष्मी (लखमी, लसभी, लिखमी, लिख्मी)-स्त्री० [सं० बिजनौळियो-पु. एक प्रकार का नकुल, नेवला । विजयलक्ष्मी] विजय की अधिष्ठात्री एक देवी। विजनिस, विजनेस-देखो "विजनस'। विजयवसंत, विजयसरसती (सरस्वती)-स्त्री. एक रागिनी। विजपंजर-देखो 'विजयपंजर'। विजयसामंत, विजयसारंग-पु. [सं०] एक राग विशेष । विजय(यु), विजय-पु० [सं० विजयः] १ जील, पराजय का विजयसार-पु. [सं०] १ उत्तम श्रेणी का लोहा, जिसके शस्त्र विपर्याय । २ विवाद या लड़ाई में सफलता, जीत । बनते थे । २ एक प्रकार का वृक्ष, जिसकी लकड़ी इमारती विष्णु का एक पार्षद। ४ अर्जुन का एक नाम । सामान के काम पाती है। ५ यमराज । ६ विष्णु का एक नामान्तर । ७ बृहस्पति की | विजयसाही-पु० मारवाड़ का एक प्राचीन सिक्का । दशा का प्रथम वर्ष। ८ शिव के त्रिशूल का नाम । विजयसिद्धि-स्त्री० [सं० विजयः+सिद्धि विजय, जीत, ६ परशुरामजी द्वारा प्राप्त कर्ण के धनुष का नाम ।। सफलता । १० राजा दशरथ का एक मंत्री। ११ धृतराष्ट्र का एक विजयसील-वि० सदा विजयी या सफल रहने वाला । पुत्र । १२ छप्पय छंद का एक भेद । विजयसूर-पु. [सं०] एक सूर्यवंशी राजा। विजयक-वि० [सं०.विजय-क्कन] सदा विजयी रहने वाला। विजयस्री-स्त्री० [सं० विजयश्री] १ एक रागिनी विशेष । विजयकुजर-पु. १ राजा की सवारी का हाथी। २ युद्ध के | २ विजयलक्ष्मी। काम का हाथी; जिस पर विजय पताका रहती है। विजयहरि (हरी, हारी)-पु० सुदृढ़ मोर्चा । विजयकेतु-पु० [सं०] विजयपताका, ध्वज । विजया-स्त्री० [सं०] १ दुर्गा, देवी । २ दुर्गा की एक सहचरी । विजयखंभ-पु० [सं० विजयस्तम्भ] कीर्तिस्तंभ, विजयस्तम्भ । ३ गौतम की एक पुत्री। ४ यम की पत्नी। ५ वर्तमान For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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