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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाडी । ५७९ ) वानर वांडो, बाढी, बांडी, बाढी-वि० [सं०] १ अविवाहित । वाणी, वाणी-स्त्री० [सं० वाणी] . सरस्वती, शारदा । २ मुह २ रंडुपा, विधुर । ३ मूर्ख, मूढ़ । बेवकूफ ।-पु०१ अविवा. से उच्चारित शब्द, मावाज, भाषा। ३ निश्चित पर्थ बोधक हित व्यक्ति । २ एकाकी व्यक्ति। शब्द, वचन वाक्य, भाषा । ४ वाक शक्ति । ५ स्वर, ध्वनि, बांण वारण-स्त्री० [सं० वाणि] १ बनावट, रचना । २ मूर्ति । नाद। ६ जिह्वा, जीभ । ७ बोली, बोलने की क्रिया । ३पादत, स्वभाव ।-पु०१ पंडित, कवि । २ सिंह, शेर । ५ योग के अनुसार चार प्रकार की वाणियों में से एक । ३ बुनावट में काम पाने वाली रस्सी। [सं० यान] ४ गाड़ी। ९ संत-महात्माओं द्वारा लोकोपदेश के लिये रचे गये छन्द ५ विमान, वायुयान । ६ एक प्रकार का वातरोग । या पद्यों का संग्रह। १० निर्गुण भक्ति का कोई पद । ७ मादा पशुमों के ऋतुमति होकर गर्भ धारण की ११ साहित्यिक निबंध । १२ एक छंद। १३ केवट, नाविक । अवस्था । ८ देखो 'वाणी' । ९ देखो 'बांग'। १४ प्रशंसा । १५ ध्रुपद की चार वाणियों में से कोई एक । बांणक, वारणक, वांणक, वारणक-स्त्री० [सं० वाणि] कांति, | वाणीमड-पु० [सं० वाणीमण्ड] दांत । शोभा, दीप्ति । २ सौन्दयं, रूप। ३ सूरत, शक्ल । वाणीरणजोधार-पु. पंडित, विद्वान, कवि । ४ प्राकृति, बनावट । ५ सजावट, ठाट-बाट । ६ रग-ढग । | वारणोतरी-पु० बनिक समाज । ७ ढंग, प्रकार । ८ एक वर्ण वृत्त विशेष । ९ देखो 'वरणमत'। | वाणी, वाणी-पू० [सं० वाहन] १ पानी लाने के लिये गाड़ी पर वाणरण, वारणरणी-देखो 'वणियांणी' । रखे गये जल-पात्रों का समूह । २ उक्त प्रकार से पानी खाने वारणप्रस्थ-देखो 'वानप्रस्थ'। का कार्य। वाणरस-देखो 'वाराणसी'। वाण्यो, बायो-देखो 'वणिक' । बांणवहरण-पु. १ नाव, जहाज । २ एक प्रकार का देवी प्रकोप । वांति-स्त्री० [सं० वांतिः] १ वमन, के । २ उगाल । बांरगाहो-स्त्री० [सं० उपानह] जूती, पगरखी। वांती-पु० मन्तर, फर्क। वांग्गा-देखो 'वाणी'। बांय-देखो 'बाथ'। बाणारसी-देखो 'वाराणसी' । बांद, बांद-१ देखो 'बांदी' । २ देखो 'बांद'। वाणाळ-१ देखो 'बांण' । २ देखो 'बांणावळी' । वांदरणी (बो)-देखो 'बांदणी' (बी)। वारणावळी-पु० रथ। वांवर, वांदर-देखो वानर'। बारिण-देखो 'वाणी'। वांदरपगौ-पु. वह बल जिसके पिछले पैर के टखने जमीन पर बाणिक-१ देखो 'वारणक' । २ देखो 'वणिक' । टिकते हों। बांरिगज, वारिणत-1 देखो 'वाणिज्य' । २ देखो 'वरिणक' । वांदरमाळ, बांदरमाल-देखो 'बांदरमाळ' । वाणिज्य-पु० [सं० वाणिज्य] १ वस्तुओं का क्रय-विक्रय, व्यापार, र, बांदरी, वांदरी-स्त्री० [देश॰] मोट की रस्सी में लगने वाला व्यवसाय । २ लेन-देन । लकड़ी का उपकरण। वाणिनी-स्त्री० [सं० वाणिनी] १ चालाक स्त्री, धृतं स्त्री, | बांदरी, वांदरी-देखो 'वानर' । (स्त्री० वादरी) छिनाल । २ स्वेच्छाचारिणी व व्यभिचारिणी स्त्री। बांदी-देखो 'बांदी'। ३ नतंकी, पभिनेत्री। ४ दूती । ५ मदोन्मत्त स्त्री। ६ एक वांधण (बो)-देखो 'बांधणो' (बो)। वर्ग वृत्त विशेष । वाणिया-कूटावरिणयौ-पु. लुब्धक नामक तारा । वांन-पु० १ यश, कीति, शोभा । २ हौसला, साइस, जोश । वाणिया-रो-देवळ-पु० वर्षा ऋतु में होने वाला एक उद्भिज ३ उत्साह, उमंग । ४ इज्जत, प्रतिष्ठा। ५ तेज, दीप्ति पदार्थ, 'लांको मूळो'। कांति । ६ वचन । ७ स्वाद, जायका । ८ सम्पन्नता सूचक प्रत्यय । ९ देखो 'बांद'। बारिणयावटी, बारिणयावाटी-स्त्री० [सं० वणिक-वृत्ति | १ महाजनी गणित, देशी व्यापारियों द्वारा काम में ली जाने | वनइत-देखो 'बांनत'। वाली एक प्रकार की गणित विद्या। २ नियों की बही में | वानक-देखो 'वारणक' । लिखी जाने वाली लिपि विशेष । ३अनिये का कर्म ।-वि० | वानकी-देखो 'बानगी'। १ बनिये की, बनिक संबंधी । २ महाजनी। वानप्रस्थ-पु० [सं० वानप्रस्थ जीवन की तीसरी अवस्था, वारिणयो-देखो 'वणिक'। ___ गृहस्थाश्वम के बाद की अवस्था । बा' वी-देखो 'वाहणी'। | वानर-पु० [सं० वानर] १ मनुष्य से मिलता-जुलता एक प्राणी, For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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