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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra वळे www.kobatirth.org ( ५७३ ) वळे, वले-देखो 'वळे' । वल्लभा - वि० प्रिया, प्यारी । स्त्री० पत्नी, स्त्री, भार्या । बरण स्त्री० मकान की छाजन के नीचे लगायी जाने वाली बल्लभाचार्य पु० [स० वल्लभाचार्य ] वंध्याव संप्रदाय के प्रवक लंबायमान लकड़ी । - बड़ी० [देश०] १ चैत्र के सींगों पर बांधने को डोरी, रस्सी २ ऊंट या बैल को गर्दन पर बांधने का प्राभूषण विशेष | वळो, बळौ - पु० १ भरावली पर्वत । २ पर्वत श्र ेणी । ३ स्तंभ, खंभा । ४ बांस । ५ मकान की छाजन के नीचे लगाई जाने वाली लकड़ी कड़ी । ६ हुक्के की 'नै' के ऊपरी भाग में लगाया जाने वाला सोने-चांदी श्रादि का छल्ला । - वळं क्रि० वि० १ फिर, श्रौर। २ पुनः, दुबारा ३ पीछे, बाद में । - वि० ४ प्रतिरिक्त, धन्य । स्त्री० तरह, भांति, प्रकार । वळीव बळोवळी पु० भोजन। क्रि० बि० १ चारों पोर ! १ । " कस्लाह-अव्य० [०] १ ईश्वर की शपथ से २ सयमुच । चारों तरफ २ यत्र-तत्र इधर-उधर ३ पृथक्-पृथक् वाली स्त्री० [सं०] सता, वस्लरी, बेल२ पृथ्वी । । ४ अपने-अपने मन से । ५ पुनः पुनः, बार-बार । ६ निरन्तर, लगातार । ५ अग्नि, दमयंती ६ केवटी ३ मिट्टी । ४ शाल वृक्ष मोथा । ७ काली अपराजिता । बल्ल पु० [सं०] १ गिलाफ, प्रावरण। २ चादर । ३ तीन - घू'चची के बराबर का तौल विशेष ४ वर्जन निषेध ५ गमन, चाल । बहलकी- स्त्री० [सं०] १ नारद को वीरणा का नाम । २ वीणा । ३ ई का पेड़ वली (बी) देखो 'बळी' (बो)। एक प्रमुख प्राचार्यं । वस्लव देख] वलभ' । 'वल्लभ' बल्लवसिवा पु० [सं० शिवा वलभ ] चंदन बल्ल (उ) देवो'' वळोवळ, वळोवळी-देखो 'वळोवळ' । वल्कल - पु० [सं० वल्कल ] १ वृक्ष की छाल । २ ऐसी छाल का वस्त्र । ३ ऋषि, मुनि, महात्मा के पहनने का वस्त्र । ४ छिलका । ५ ऋग्वेद की वाष्फल नामक शाखा । वल्गन स्त्री० १० [सं० वल्ग-गतो, वल्गमं] १ घोड़े की एक चाल, दुलकी । २ छलांग, उछल-कूद वा स्त्री० [सं०] लगाम, रास, बागडोर गित स्त्री० [सं०] १ घोड़े की सरपट चाल । २ डींग, लेखी बल्ब पु० [०] पुत्र, तनय, सुत, बेटा 1 । - बस्थित श्री० [२०] १ पिता का नाम २ पिता का बवहार देखो 'व्यवहार'। नामोल्लेख । ३ पुत्र होने की अवस्था या भाव । वल्लभ, वल्लभ- वि० [सं० वल्लभ ] (स्त्री० वल्लभा ) १ प्रिय, प्यारा, स्नेही । २ सुखद, सुखप्रद । ३ वांछनीय १ ४ सर्वोपरि ठ, उत्तम १ सुन्दर । पु० १ पति, स्वामी, प्रियतम २ प्रिय व्यक्ति, प्रेमी । ३ स्वामी, मालिक । ४ अध्यक्ष । ५ मित्र, दोस्त । ६ पर्यवेक्षक । ७ प्रधान या मुख्य ग्वाला, गोप । ८ वैष्णव सम्प्रदाय का एक प्राचार्य । ९ शुभ लक्षणों का घोड़ा, पश्विनी १० पांडव पुत्र भीम का एक नामान्तर ११ ज्योतिष में एक करणं । यही देखो 'बल्लभा । बल्लहु, बल्लहो-देखो 'वल्लभ' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - वर वर पु० [सं० वस्तु ] १ लता जलता मंडप । २ पवन । ३ मंजरी । ४ 'पड़त' रखा हुमा खेत । ५ रेगिस्तान । ६ वीरान जंगल, वन । ७ उपवन । ८ जंगली सूघर का मांस । ९ सूखा मांस । वाह, हम वो देखो 'यम' वव- पु० [सं०] फलित ज्योतिष में एक करण । वसंततिलक (बी) को (बो-देखो 'को' (बी)। बबड़ी-देखो 'वधू' । बब ववज-पु० १ व्यवधान, बाधा । २ कारण । (ब) कि० [सं० वचनम् ] बोवाई होना, बोया जाना - aarण पु० [सं० वि + वचन ] यश, कीर्ति, प्रशंसा । (ब) देखो 'बोळा' (बी)। बहाली (बी) देखो 'वाणी' (बी)। यवहारसि० जीवाणु समूह का अंश (जैन)। ववण- देखो 'विमान' | बवासीर देखो 'बवासीर'। वसंग, वसग- देखो 'वासुकि' । बसत वसंत पू० [सं० वसंत - परों में प्रथम प्रमुख ऋतु वसंत ऋतु । २ माघ शुक्ला पंचमी को होने वाला पर्व । ३ एक ताल । ४ फूलों का गुच्छा । ५ मूर्तिमान ऋतु जो कामदेव का सखा माना जाता है । ६ संगीत में एक राग । ७ एक वस्त्र विशेष । ८ प्रतिसार रोग । ६ शीतला या चेचक की बीमारी १० मसूरिका नामक रोग ११ पीला रंग । [सं-स्त्री० [सं०] १ वासंती या माधवी लता २ सफेद जूही । ३ वसंतोत्सव | For Private And Personal Use Only वसंतड़ो-देखो 'वसंत' । वसंततिल पु० [सं०] वसंत का तिलक देखो 'वसंततिलका'।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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