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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बराहक ( ५७० ) बरोळ ८ शूकर के रूप में सैन्य व्यूह । ६ वाराही कंद । दुल्हिन की पोशाक । ५ कूए से पानी निकालने की १० घड़ियाल, नक। ११ एक प्राचीन पर्वत । छोटी रस्सी। वराहक-पु० [सं०] १ कुबेर सभा का एक यक्ष । २ धृतराष्ट्र | वरीप्राम-देखो 'वरियाम'। कुलोत्पन्न एक नाग । वरीयां-देखो 'वेळा' । वराहजयंती-स्त्री० [सं०] भादव सुदी तृतीया नियि । वरीयाण, वरीगन, वरीयांम-देखो 'वरियांम' । वराहजी-पु० [सं० वराह] १ वराह अवतार । २ देखो 'बाराही'। वरीस-पु० [सं० वारि-ईश] १ समुद्र, सामर । २ देखो 'वरीसण' । वराहदही-पु० दूहा छंद का एक भेद । ३ देखो 'वरस'। बराहमिहिर-पु० ज्योतिष के एक प्रसिद्ध पाचार्य। वरीसरण (पौ)-वि० [सं० वर्षणम्] दानदाता, उदारचित्त । वराहमोती-पु० [सं० बराह+मौक्तिक] सूअर के मस्तिष्क -पु० दान, उत्सगं । । से निकला मोती। | बरु-देखो 'वर'। बराहसंहिता-पु० वराह मिहिर' द्वारा रचित ज्योतिष का वरुऔ-पु० [सं० वटुक] १ ब्रह्मचर्यावस्था का बटुक, ब्रह्मचारी। प्रसिद्ध ग्रंथ । २ उपनयन संस्कार, यज्ञोपवीत । ३ इस संस्कार के अवसर बराहावतार-पु० [सं०] 'वराह रूप में' विष्णु का तीसरा | पर गाया जाने वाला गीत । ४ ब्राह्मण बालक । ५ पुरोअवतार। हित कर्म करने वाला विद्वान ब्राह्मण । वराही-देखो 'बाराही'। | बरुण-पु० [सं०] १ जल का अधिष्ठाता एक वैदिक देवता। बरि-क्रि० वि० [सं० उपरि] १ ऊपर, पर। २. फिर, पुनः, २ समुद्र, सामर । ३ जल, पानी, नीर । ४ पश्चिम दिशा । बाद में ।-वि० समान, अनुरूप ।-स्त्री० तरह, भांति, ५ पश्चिम दिशा का दिकपाल । ६ बारह प्रादित्यों में से प्रकार । नौवें प्रादित्य का नाम । ७ सूर्य। ८ माकाश । ९ सौर बरिभान, परिभाम-पु. १ एक वर्ण वृत्त । २ देखो 'वरियाण'। जगत का सबसे दूरस्थ ग्रह (नेपचून)। १० एक मरुत । ३ देखो 'वरियाम' । ११ एक गंधर्व। परिक्खा, वरिखा-देखो 'बरसा।-रित, रितु, त, कति: | वरुणग्रह-पु० १ घोड़ों का एक रोग । २ देखो 'वरुण'। ___ 'बरसारितु' । वरुणदेव-देखो 'वरुण'। वरिठ-देखो 'बरिस्ठ'। वरुणपुरी, वरुणलोक-पु० [सं०] वरुणदेव का निवास स्थान । बरियण-स्त्री० पृथ्वी, भूमि । वरुणालय-पु० [सं०] समुद्र, सागर । परियां-देखो 'वेळा' । वरुण, वरथी, वस्थ-पु० [सं० वरूथं] १ लोहे की चद्दर या . परियाण-पु० [सं० वरियाण] ज्योतिष में एक योग। .....जाली का बना रथ का कवच । २ कवच, बख्तर । वरियांम-वि० [सं० वरेण्य] १ श्रेष्ठ, उत्तम । २ प्रवीण, ___३ ढाल । ४ सैन्य दल, सेना। ५ समूह, समृदाय । चतुर । ३ वरण करने योग्य । ४ सुन्दर, रूपवान । [सं० वरूथिन्] ६ रथ ।-वि० १ कवचधारी। २ रक्षक। ५ वीर, बहादुर, योद्धा । ६ जोरावर, जबरदस्त । २ रथारूढ़। ७ प्रमुख, मुख्य ।-पु९ मंत्री, बजीर । वरुथरणी (नी), वरूपाणी (नी), वरूथिनी-स्त्री० [सं० वरूपी] परिस-देखो 'वरस'। सेना, फौज । वरिसरणी (बी)-१ देखो 'वरणी'(बी)। २ देखो 'वरसणी' (बी)। | वरूउ-वि० [सं० विरूप] भद्दा, पसुहावना, प्रसुदर। परिसि-देखो 'वरस'। वरूथिनीएकादसी-स्त्री० वैशाख कृष्णा एकादशी। बरिस्ठ-वि० [सं० वरिष्ठ] १ घेष्ठ, उत्तम, उच्च । २ पूजनीय, वरूथी-देखो वरूथ'। . पूज्य । ३ पूराना, बुजूर्ग। ४ तुलना में किसी से बढकर। | वरूयो-वि० [सं० वरूथिन्] १ प्रचंड, भयंकर, जबरदस्त । ५ सब से बड़ा। ६ सबसे लंबा । ७ सबसे भारी ।-पु. २वीर, योद्धा । ३ कवचधारी ।-पु. १ सेनापति । [सं० वरिष्ठः, वरिष्ठ] १ तीतर पक्षी । २ नारंगी का २ देखो 'वरूथ'। वृक्ष । ३ ताम्र, तांबा । ४ मिर्च।। बरे, वर-क्रि. वि. अधिकार या कब्जे में ।-वि. माफिक, बरी, वरी-स्त्री० [सं० वरी] १ सूर्यपत्नी छाया का नाम । अनुकूल। २ शतावरी का पौधा । ३ विवाह के समय वर पक्ष की बरोठी-पु० वर पक्ष द्वारा किया जाने वाला प्रीतिभोज । भोर से बधू के लिए भेजी जाने वाली पोशाक। ४ दुल्हे- रोल-पु० [सं० बह] १ बरं । २ देखो "विरोळ' । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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