SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बहु-पु० [सं० प्रभु] १ ईश्वर, परमात्मा ३ राजा, नृप । क्रि० वि० प्रत्यक्ष, सामने | पहुद्यावर पु० एक प्रकार का व्यंजन विशेषः । पहुची (बी) देखो 'पहुंची' (बी) 'पहुंचा' (बी)। 'पटणी (बी) - देखो 'पहरणी' (बी) । बहुत (स) देखो 'पहुंच पहुतणी (बौ), पत्तयो (बौ) - देखो 'पहु'चणी' (बो) । पंजलि पहूपांजलि देखो 'पुवाळी' । पह प- देखो पुरुष' | पहुचाती (ब) पहुचाल (बी) पहचाचणी (बी) देखो पांक- देखो 'ख' २ देखो पंक (बौ), - १ । । पह.मि, पहमी-देखो 'प्रथवी' | पहर देखी 'प्रहर'। पहवी-देखो 'प्रथवी' नाह प्रथवीनाथ' । पहूत-देखो 'पहुंच' । (बी) पहू- देखो 'पहु'। पहुंची' (बी) । पहेली - १ देखो 'पहेली' । २ देखो '१'ली' । पाँच- देखो 'पहुंच'। पहूत - देखो 'पहु'च' । पहेली - स्त्री० [सं० प्रहेलिका ] १ व्यंग, वक्रोक्ति या गुढ़ार्थक वाक्य या शब्द | हेली । २ परोक्ष अर्थ बोधक वाक्य | पत- वि० सहित, संयुक्त । २ स्वामी, प्रभु । स्वामी प्रभु पहोंत-देखो 'पहुंच' । पहोच देवो 'पहुंच' पाँचौ (बो) - देखो 'पहुंची' (बी)। पहोंचाली (बौ), पहोंचावणी (बौ) - देखो 'पहुंचारणी' (बो) । पहोचणी (बौ) - देखो 'पहुंचणी' (बो) । पहोय-देखो 'पुरुष' www.kobatirth.org पहोमि (मी) - देखो 'प्रथवी' । पहोर - देखो 'प्रहर' | पहोरी-देखो 'परी' | पहोपकछौ - पु० [सं० पुष्पकच्छ] एक प्रकार का अशुभ रंग का घोड़ा । पहोवर-देखो 'पयोधर' । पहोवी-देखो 'प्रथवी' । पहोत देखो 'पहुँच'। महोतणी (बी) देखो 'पहुंची' (बो)। पहौर देखो 'प्रहर'। - पहलवी -देखो 'पहलवी' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir FT पां क्रि०वि० १ पास में निकट २ देखो 'पांसु' ३ देखो 'पद' । ४ देखो 'पांम' | पांडी, पांउडी देखो 'पांवडी' । पांउणी-१ देखो पांमणी' । २ देखो 'पांवणी' । पाँचरणा पांकणी (बी) क्रि० १ छोड़ना त्यागना २ 'ख' (दो) । · पांख, पांखड़ली, पांखड़ी, पांखड़ी स्त्री० [सं० पक्ष] १ पक्षी का पर, पंख । २ कुक्षि, कूख । ३ शाखा । ४ पुष्पदल । ५ देखो''। पांच-देव'पंख' । पांचवी देखो 'पंच'। पांची (बी) देखो 'ख' (बी)। पांखळियो-देखो 'पांखळो' । पांखळी - पु० १ बेलगाड़ी के थाटे पर लगाया जाने वाला कटहरा । २ उक्त कटहरा में आने लायक सामान की मात्रा । पांखिय-देन पक्षी' । पांखी-देखो 'पांख' । (बी)फ० नींटियों, पक्षियों आदि के पंख माना। पांडी, पांडी-देखो 'पास'। पांगरण- देखो 'पंगरण' । पांगरी (बी० [सं० उपाङ्ग धरणम् १ अंकुरित होना, पनपना २ हृष्टपुष्ट व मोटा-ताजा होना ३ बिहार करना । पांगळ- पु० [सं० पांगुल्य] १ ऊंट । २ युवा ऊंट | ३ देखो 'पंगु' । पांगळ (बी) देखो 'पांगरणी' (बी) पांगलियो१ देखी पांगळ' २ देखो 'पंगु' पांगी- देखो 'पंगी' । पांगुरण- देखो 'पंगरण' । पांगरणी (बौं), पांगूरणी (बौ) - देखो 'पांगरणी' (बौं) । योगी ०१ पतला पानी जैसा द्रव पदार्थ २ देखो 'पंगु' । पर (बी) देखो पांगरणी' (बो)। पांच वि० [सं० पंच] चार व एक, पांच संख्या व अंक, ५ । २ देखो 'पंच' । ० [सं० पंच पत] हिंसा, झूठ, परिग्रह - श्रव्रत । (जैन) For Private And Personal Use Only पु० १ पांच की अंग = 'पंचांग' | चोरी, मैथुन और पांचौ पु० [सं० पंच] प्रसव के पांचवें दिन किया जाने वाला संस्कार | पांचों, पांचौ ० १ लम्बा कदम, छलांग २ देखो 'पांच' । पांचजन, पांचजन्य पु० [सं० पांचजन्य] श्रीकृष्ण का मंथ पांवणा पु० (२०१०) बलि किये बकरे के चारों पांव व शिर
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy