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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लावड़ी ( ५३० ) लालंखर लादड़ी-देखो 'लाद' । लाभस्थान-पु० [सं० लभ्-स्थान] जन्म कुण्डली में एक स्थान । लावरणभार-पु. गधा, खर । लाभांतराय-पु० [सं०] लाम में विघ्न पड़ने का कर्म विशेष (जैन)। लादरणी (बी)-क्रि०१ बोझा लादना, पशु की पीठ या किसी वाहन | लाय-स्त्री० [सं० प्रलात] १ दावानल, अग्नि. प्राग । २ लपट, पर बोझा रखना। २ भार से परिपूर्ण होना, प्राच्छादित | ज्वाला । ३ जलने की क्रिया या भाव । ४ प्रचंड गर्मी । करना। ३ अनिच्छित अधिक उत्तरदायित्व डालना। लायक-वि० [अ० लाइक] १ सुयोग्य, । २ उचित, ठीक । ४ कुश्ती में विपक्षी को पीठ पर उठाना । ३ गुणवान, गुणी । ४ समर्थ ५ भला, सीधा । ६ किसी लादियो-पु० १ घोड़े की गुदा । २ देखो 'लादो' । कार्य के लिये उपयुक्त । ७ शिष्ट । -पु. मंत्री । लादी-स्त्री०१ चौडा, चौकोर पत्थर । २ घास मादि का | लायकी-स्त्री. सभ्यता, शराफत, बड़प्पन । शिष्टता। छोटा गट्टर। लायक-देखो 'लायक'। लादो-पु. १ पशु पर लाद कर या शिर पर उठाकर लाने का। लायझळ-स्त्री० भाग की ज्वाला, लपट । __ लकड़ियों का गट्ठर । २ वजन, बोझ । ३ प्रोस, शबनम । लायण-देखो 'लाण' । . लाधउ-देखो 'लाभ'। लायगो-देखो 'लाइणो' । लाधरणी (बो)-देखो 'लाभरणी' (बी)। लायपाय (लायफाय)-स्त्री० १ हाय-तोबा । २ बेचैनी, व्यग्रता, लापड़-देखो 'लापड़ो'। लापड़कनौ-पु. बड़े कानों वाला पशु । पातुराई । ३ अत्यन्त उत्कण्ठा । ४ प्राप्ति की लालसा । लापड़ो-वि० (स्त्री० लापड़ी) बड़ा और लंबा (कान)।-पु० | लायपूळो-पु. १ प्रत्यन्त क्रोध पूर्ण अवस्था । २ क्रोध भड़कने १ बड़े कानों वाला पशु । २ मोट के साथ लगा रहने की दशा । ३ भाग में पूमाल डालने जैसी स्थिति ।-वि० वाला चमड़े का टुकड़ा। अत्यन्त क्रुद्ध, उग्र। लापता-वि. १ जिसका पता न हो, लुप्त । २ जो स्वोगया हो, लार-पु. किसान से खलिहान में उसके हिस्से से ली जाने वाली गायब । ३ छिपा हुमा, गुप्त । ४ बिना पता लिखा। एक लाग ।-क्रि०वि० [सं० लहर] १ पीछे । २ साथ, लापर-देखो 'लोफर'। संग । ३ लिए, कारण । ४ देखो 'लाळ' । लापरपण (पणी)-देखो 'लोफरपणी' ।। लारणी-पु० ग्रामीण स्त्रियों के अधोवस्त्र पर बांधने का एक लापरवा (ह)-वि० १ जिसे चिन्ता, फिकर न हो, बेफिक्र, प्रकार का डोरा । निश्चिन्त । २ असावधान । ३ कार्य व उत्तरदायित्व के लारलडो-देखो 'लारलौ' । प्रति उदासीन । लारलो-वि० (स्त्री० लारली) १ पोछे का, पीछे वाला । लापरवाई (ही)-स्त्री. १ निश्चिन्तता, बेफिक्रो । २ असाव २ भूतपूर्व, विगत । ३ बीता हुअा, गया हुमा । ४ बाद धानी । गफलत । ३ अनुत्तरदायित्व । वाला, अगला । ५ पहले वाला, पूर्व का : ७ पूर्व जन्म लापळो-देखो 'लांप'। संबंधी। ८ नीचे का, निचला । अन्य, अतिरिक्त । लापसड़ी. लापसी, लापी, लाफसी-स्त्री० [सं० लप्सिका] गुड़ व | व लारवाळ, लारवाळियो-पु० विधवा स्त्री की सतान, जो गेहूं के दलिये का बना भोज्य पदार्थ । लाबाळी-देखो 'लबाळी'। पुनर्विवाह के समय उसके साथ रहे । लाभकर-देखो 'लाभकर'। लारा लारा लारि, लारियां, लारी, लारीयां, लारे, लारंलाभ-पु० [सं० लभ्] १ प्राप्ति । २ हित । ३ सुअवसर । क्रि०वि० १ पीछे । २ बाद मे । ३ मरणोपरान्त, मृतक के ४ फल, नतीजा । ५ उपकार , भलाई। ६ ब्याज का धन । पीछे । ४ कुछ कर लेमे के बाद । ५ बढ़कर । ६ साथ में । ७ मुनाफा, फायदा । ८ व्यापार में कमाई । ९ मानन्द, लार-लारं-क्रि०वि० पीछे-पीछे । मौज । १० सुधार, सुफल । ११ एक प्रकार का चौघड़िया। | लाशेलार, लारोलारि-क्रि०वि०१ पीछे के पीछे । २ क्रमश: -कर, कारक, कारी-वि० फायदा या लाभ पहुंचाने - एक के बाद एक । ३ निरंतर । ४ एक के साथ एक । वाला। लारी-पु० १ पीछे पड़ने या पीछा करने की क्रिया, पीछा । लाभरणी (बी)-क्रि० [सं० लब्धं] १ प्राप्त करना, पाना, २ साथ, लगाव । ३ पृष्ठ भाग, पीछे का भाग । मिलना। २ जानना, पहचानना । ३ प्राप्त होना । ४ देखो 'लार'। ४ अचानक उपलब्ध होना। ५ ढूढने, खोजने से मिलना, लार्या-देखो 'लारै'। पाजाना । ६ मन में सूझना, उपजना । ७ लाभ होना, लालखर, लालबर-वि. रक्तवर्ण युक्त, पूरा लाल '-पु. फायदा होना। सूर्य, रवि। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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