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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परूसावरणी ( ४४ ) पलटरणी परूसावरणो (बो)-देखो 'पुरसाणो' (बौ)। परोहन-पु० [सं० प्ररोहणं] १ नाव, नोका । २ वह वस्तु जिस पल्सौ-पु० आमंत्रित व्यक्ति के न पा सकने की दशा में उसके पर सवार हो कर यात्रा की जाय । सवारी । घर भेजा जाने वाला भोजन का थाल । परौ-पु. (स्त्री० परि) १ निश्चय एवं पूर्णता बोधक शब्द जो परेंडी-देखो 'परीडी'। सदैव क्रिया से संबंधित रहता है । २ मृत व्यक्ति जो देव परे-प्रव्य० १ भांति, तरह। २ दूर । ३ देखो 'परै'। योनि में मान कर पूजा जाता है। ३ पितर । -अव्य० दूर परेख-स्त्री० १ कील, मेख । २ देखो 'परीक्षा'। अलग, परै। परेखणी (बौ)-देखो 'परखरणी' (बी)। पर्याय-पु० [सं० पर्याय १ समानार्थक शब्द । २ द्रव्य और परेग-स्त्री० कील । गुरगों में रहने वाली अवस्था । परेव-देखो 'परीयछ। पसण (न)-देखो ‘परयूसण' । परेज-देखो ‘परहेज' । पलक-देखो 'पलंग'। परेत-देखो 'प्रेत'। पलंकसा-स्त्री० [सं० पलंकषा] १ लाख, लाक्षा। २ गूगल । परेतपत (पति, पती)-देखो 'प्रेतपति'। ३ गोखरू। परेम-स्त्री० [सं० परिमल] १ सुगन्ध, सुवास । २ देखो 'प्रेम'। पलंग-पु० [सं० पल्यंक] १ चारपाई, खाट । २ शय्या, सेज । परेमी-देखो 'प्रेमी'। ३ प्लव, गति । ४ एक प्रकार का घोड़ा । -तोड़-वि० परेरउ-वि० १ पराया, दूसरे का, अन्य का । २ देखो 'परै'। निठल्ला, निकम्मा। -स्त्री० एक औषधि विशेष । परेरणा-देखो 'प्रेरणा'। -पोस-पु० चारपाई पर बिछाने की चादर । परेली-पु० ताण्डव नृत्य का प्रथम भेद । पलंगि-देखो 'पलंग'। परेवी-१ देखो 'पारेवो' । २ देखो 'परसेवो' । पलंडु-देखो 'पलांडु'। परेस-देखो 'प्रेस'। पलंब-१ देखो 'प्लवंग' । २ देखो 'प्रलंब'। परेसान-वि० [फा० परेशान] व्यग्र, उद्विग्न, व्याकुल, हैरान ।। पलंवंग-देखो 'प्लवंग' । परेसांनी-स्त्री० [फा० परेशानी] उद्विग्नता, व्याकुलता, बेचैनी। पळ, पल-पु० [सं० पल] १ मांस । २ समय का एक बहुत छोटा पर, पर-पु० १ प्रकार, तरह, भांति । २ सामने वाला दूसरा विभाग । क्षण । ३ प्रांख की पलक । पार्श्व । -क्रि०वि० १ अलग, दूर । २ उस ओर, उधर। पलक-स्त्री० [सं०] १ आंख के ऊपर का अवयव जो गिरता ३ ऊपर, पर। उठता रहता है। २ पल क्षरण । परज-देखो 'परहेज'। पळकणी (बो)-क्रि० चमकना, टिमटिमाना। परेरौ-वि० (स्त्री० परैरी) दूर, अति दूर । पळकाणी (बी)-क्रि० चमकाना । परेलु-वि० (स्त्री० परैली) परली तरफ का, दूसरी पोर का । पलकारणी (बी)-क्रि० टपकाना, गिराना । परसू-प्रव्य० [सं० परसू] उस अोर से, दूसरी ओर से । पळकावणौ (बौ)-देखो 'पळ काणी' (बी)। परोंणी-देखो 'परांणी'। पळको-पु० चमक । परोंस-स्त्री० फसल की कटाई का क्रम । पलक्क-देखो 'पलक'। परोक्ष-पु० [सं०] १ अनुपस्थिति । २ अभाव । ३ छिपाव । पलखद्वीप -पु० [सं० प्लवक्षद्वीप] पृथ्वी के सात बड़े खण्डों में परोजन-देखो 'प्रयोजन'। से एक। परोजी-देखो 'फिरोजो'। पळगांण-पु० पक्षी। परोटणी (बी)-क्रि० १ उपभोग करना, इस्तेमाल करना। | पलड़ौ-पु० १ तराजू का पल्ला, तुलापाट । २ झूले का मंच । २ निभाना, निर्वाह करना । ३ सम्हलाना । ४ सुधारना । पळचर, पळचार, पळचारी, पळचारी, पळच्चर-पु० [सं०पलचर] ५ देखभाल करना, हिफाजत करना। १ मांसाहारी प्राणी । २ रक्त प्रिय एक देवता । परोत्तर-देखो 'प्रत्युत्तर'। पलट-स्त्री० १ अधोवस्त्र का झोला । २ अंटी। पलटण-स्त्री० १ पैदल सेना का एक विभाग, सेना की टुकड़ी। परोपंखी-पु. एक प्रकार का घोड़ा। २ दल, समूह, झुण्ड । परोपकार-पु० [सं०] दूसरों की भलाई का कार्य । पलटणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रलोठन] १ किसी स्थिति का परोपकारक-वि० [सं०] दूसरों की भलाई करने वाला। बदलना, विपरीत दशा होना। २ कह कर इन्कार कर परोसणौ (बो)-देखो 'पुरसणी' (बो) । देना, मुकरना। ३ अधिकार से हटना, छूट जाना । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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