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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रील ( ४९० ) रुकवाणी रील-स्त्री. १ एक प्रकार का प्लास्टिक का फीता, जिस पर | सभड़ौं, रुपडी (डो)-देखो 'रूड़ो' । (स्त्री० रुपड़ी) किसी चित्र या दृश्य की प्रतिछाया ली जाती है। सिनेमा रुग्रामळ-पु० रूमाल। को रील । २ बारीक व पक डोरे का गट्टा। रुइ (ई)-देखो 'रुचि'। रीव-स्त्री० [सं० रवः] १ हाहाकार, करुण क्रन्दन । २ पीड़ा | सहर-देखो 'रुधिर'। कष्ट । ३ चिल्लाहट । रुक, रुकड़-देखो 'रूक' । रोवो (बो)-क्रि० रोना, रुदन करना। रुकरणी-स्त्री० रुकावट, रोक, बंधन । रोषो-देखो 'रीव'। रकरणो (बी)-क्रि० १ ठहरना, ठहर जाना, रुकना । प्रागे कदम रीस-स्त्री० [सं० रिष्] १ क्रोध, गुस्सा, कोप । २ डाह, ईया।। न बढ़ाना । २ थमना, रुकना । ३ गतिमान न रहना। रीसड़ली-देखो 'रीस'। ४ क्रम बद हो जाना । ५ अवरुद्ध होना बाधा पड़ना । रीसट, रीसटाळ, रीसटाळू, रोसटियो, रीसटी, रीसद-वि० ६ विकास या प्रगति न होना । ७ कार्य मागे न बढ़ना, कोप या क्रोध करने वाला, क्रोधो, गुस्सल । कार्यवाही रुक जाना । स्तंभन होना । रीसगी (बो)-क्रि० [सं० रिष] क्रुद्ध होना, खफा होना। रुकनावाव-पु. [फा० रुक्नावाद] १ मुसलमानों का एक तीर्थ । रोसवतो (वतो)-वि० (स्त्री० रीसबंती) क्रोधी, क्रुद्ध स्वभाव २ ईरान की एक नदी। वाला। रकम पु० [सं० रुक्म] १ स्वर्ण, सोना। २ रुक्मणी के बड़े रीसवारणी (बी)-देखो ‘रीसाणो' (बी)। ___ भाई का नाम । ३ एक मात्रिक छंद विशेष । रीसांणउ, रीसांगी-देखो 'रिसाणो' । रुकमइयो-पु० [सं० रुक्मी] रुकमणी के बड़े भाई का नाम । रीसाणी (बी)-क्रि० क्रोध करना, कोप करना, रूठना, नाराज रुकमकर-पु० [सं० रुक्मकर पारम । होना, अप्रसन्न होना। रुकमकारक-पु० सं० रुक्मकारक] सोना, स्वर्ण । रीसाळ, रीसाळू-वि० क्रोध करने वाला, गुस्सा करने वाला। हकमकेस-पु० [सं० रुक्मकेश] रुक्मणी का एक भाई। रोसावणो (बी)-देखो 'रीसारणो' (बी)। रुकमण-स्त्री० रुक्मणी । रीसोच-वि० क्रोध या कोप करने वाला। रुकमणकत (कथ)-पु० [सं० रुक्मिणीकांत] १ श्रीकृष्ण । रीसो-देखो 'रीस' २ ईश्वर। 5-देखो 'रोम'। रुकमणवर, रुकमणवरण-पु० [स० रुक्मिणी+वरण] श्रीकृष्ण । आळी-देखो 'रोमावळी'। रुकमरिण-देखो 'रुकमणी'। प्री-देखो 'रोम'। रुकमरिणयौ-देखो 'हकम'। इंज-पु. एक प्रकार का वाद्य विशेष । | रुकमरिणरमण (वीव, हार )-पू. [सं० रुक्मिणी-रमण ] रंड-पु० [सं० रुण्ड] १ मस्तक रहित शरीर । धड़, कबंध ।। १ श्रीकृष्ण । २ विष्णु । २ हाथ-पांव कटा हुमा शरीर । ३ शिर, मस्तक । ४ एक | कमणी-स्त्री० [सं० रुक्मिणी] विदर्भ की राजकुमारी व प्रकार का रण वाद्य ।-माळ. माळका, माळा-स्त्री० वीर श्रीकृष्ण की पटरानी। गति प्राप्त वीरों के शिरों की माला। रुकमबाह-पु० [सं० रुक्मबाह] विदर्भ का एक राजकुमार । इंडमाळी-वि० १ वीरों के शिर की माला पहनने वाला, रुकमपुर-पु० [सं० रुक्मपुर] गरुड़ के निवास स्थान का एक (महादेव, दुर्गा)। २ देखो 'रुडमाला'। प्राचीन नगर। इंडमुड-वि० मुडे हुए शिर का या मुडित शिर । हकममाळी-पु० [सं० रुक्ममालिन] विदर्भ का एक अन्य इंडळ, रंडळो-देखो 'ड' । राजकुमार। इंडहार, रडावळ, हंडावळी-देखो 'डमाळा' । रुकमरथ-पु० [सं० रुक्मरथ] विदर्भ का एक राजकुमार । संडिका-स्त्री० रण-भूमि, युद्धस्थल ।। रुकमांगद-देखो 'रुक्मांगद' । इंदणी (बी)-क्रि० १ पैरों तले रोंदा जाना, कुचलना । रुकमिणी-देखो 'रुकमणी'। २ रोंदना । ३ रुधना, रुकना। रुकमियो, रुकमैयौ, रुकमो-देखो 'रुकम' । मडी-स्त्री. १ एक प्रकार की वनस्पती । २ फोड़ा, फुन्सी। रुकम्मरिण-देखो 'रुकमणी'। हवाळी-देखो 'रोमावळी' । हारुदंती-स्त्री० एक वृक्ष विशेष । साहरणो (बो)-क्रि० क्रुद्ध करना। रुकवाणो (बो)-देखो 'रुकाणो' (बो)। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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