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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रवा ( ४६० ) रस रवा-वि० [फा०] १ उचित, वाजिब । २ इच्छित, वांछित । रविबंसमनि-पु० सूर्य वंश का रत्न । ३ जाहिर, प्रगट । ४ प्रसिद्ध, मशहूर ।-स्त्री० [फा०रवाई] रविमणि (गो)-स्त्री० [सं०] सूर्यकान्त मणि । १ रौनक, शोभा । २ परम्परा, रूढी, प्रथा । ३ इच्छा, रविमुखो-पु० सूर्यमुखी नामक फूल । मंशा, कामना । ४ दया, कृपा। रवियोण-पु० सूर्य के सात घोड़ों में से एक, सप्ताश्व । रखाकातर-स्त्री० स्वर्णकारों का एक भौजार । रवियो-पु. सत्ताईश नक्षत्रों में से सूर्य के प्रभाव में रहने वाला रखाकी-वि० रहने वाला। नक्षत्र और उक्त नक्षत्र के रहने का समय । रवाड़ी, रबाडी-देखो रेवाड़ी। रविराई-पु० [सं० रविराज] सूर्य, रवि । रवाज-देखो 'रिवाज'। रविसंक्राति, रविसक्रांति-स्त्री० [सं० | सूर्य का संक्रमण । रवादार-वि० करण या दानेदार । रविस-स्त्री० [फा० रविश] १ गति, चाल । २ तजं शैली। रवायत-देखो 'रियायत' । ____३ व्यवहार, बर्ताव । ४ चाल-चलन, माचरण । रवाळ-देखो 'रेवाळ' । रवींदू-पु० [सं० रवि-इदु] सूर्य, चन्द्र । रवाळी, रवाळी-पु० स्वर्णकारों का एक मौजार । रवी-स्त्री० १ गेहूँ के प्राटे का एक तरल खाद्य पदार्थ । रवि-पु० [सं०] १ सूर्य, सूरज, प्रादित्य । २ अग्नि । ३ नायक । | २ रवि। ४ धृतराष्ट्र का एक पुत्र । ५ ठगरण के द्वितीय भेद का रवीपुत्र (पूत, सुत)-देखो 'रवितनय' । नाम । ६ बारह की संख्या । ७ प्रशोक वृक्ष । ८ पाक । रवेची-स्त्री० चारण कुलोत्पन्न एक देवी । -प्रस-पु. सूर्य का अश।-असिय, असो-'रविवंसी'। रवेज-देखो 'रिवाज। -उ4, ऊगौ-प्रव्य. सूर्योदय के समय ।-कर-पु० सूर्य किरण ।-किरण-स्त्री० सूर्य की किरण, प्रकाश । रवेस-पृ० [सं० रवि-ईश] १ सूर्य, रवि । २ रहना क्रिया, -कुळ-पु० एक प्रसिद्ध क्षत्रिय वश, सूर्य वंश।-चक्र-पु०४ रहवास । सूर्य मंडल । सूर्य-रथ का चक्र । ज्योतिष में एक चक्र। रवै-स्त्री०१ गदा पशु की ऋतुमति की अवस्था । २ खेत या एक की सख्या ।-तनय, तणं-पु. शनिश्चर । यमराज भूमि की बुवाई योग्य अवस्था । कणं । बालि । सुग्रीव । अश्विनी कुमार । वैवस्वतमनु । | रवी-पू०[सं० रज] १ छोटा करण, दाना । २ घुघरुषों का छर्रा । ----तनया, तनुजा-स्त्री० यमुना नदी । सूर्य की पुत्री। रस-पु० [सं०] १ किसी वस्तु का सार, तत्त्व, शोरबा, जूस । ---दिन, विव, दिवस-पु. रविवार, सप्ताह का प्रथम दिन । २ खाने को वस्तु का स्वाद, जायका, चस्का । ३ प्रानन्द -नव, नंदन= रवितनय' ।-नंदिनी 'रवितनया' । हर्ष, खुशी । ४ प्रेम, अनुराग, प्रोति । ५ रतिक्रिया, संभोग। पुत्र, पूत= रवितनय' ।--मंडळ-पु. सूर्य मंडल, सौर संभोग सुख । ६ सुख, सुख की अनुभूति । ७ कामेच्छा । मडल, सूर्य की परिधि ।-बस-पु. सूर्यवश, क्षत्रिय वंश । ८ मौज, मस्ती । ६ उमंग, जोश, मनोबल । १० अनुराग ---बसी-पु० सूर्यवंशी।-धार, वासर-पु. सप्ताह का का संचार । ११ इन्द्रिय सुख । १२ मेल-जोल, प्रेम संबंध । प्रथम दिन ।-सारथी-पु० अरुण ।-सुमन, सुत, सुवन १३ माधुर्य । १४ अनुराग, दया प्रादि कोमल वृत्तियों के 'रवितनय'।-सुता='रवितनया'। वशोभूत रहने की अवस्था। १५ इच्छा, भावना, भाव । रविकांतमणि-पु० [सं०] सूर्यकान्त मणि विशेष । १६ साहित्य में प्रानन्दात्मक चित्त वृत्ति। १७ साहित्य में रविचंचळ-पु० [सं०] काशी का एक तीर्थ-स्थल । दश प्रकार के रस । १८ सुन्दरता; मनोहरता। १९ तौर रविचक्रतळ (ळि, ळी)-पु० [सं०] पृथ्वी मंडल । भू-मंडल । तरीका, ढंग । २० गुण, विशेषता, महत्व । २१ शरीरस्थ रविज-पु० [सं०] १ शनिश्चर । २ यम । ३ कर्ण। ४ बालि, सप्तधातुओं में से प्रथम धातु । २२ रक्त, रुधिर । २३ शरीर सुग्रीव । ५ अश्विनी कुमार । ६ वैवस्वत मनु ।-केतु-पु. से निकलने वाला तरल पदार्थ । २४ जल, पानो, द्रव । पुच्छल तारा। २५ वनस्पती प्रादि औषधि का सार । २६ पासव, शराब। रविजा-स्त्री० [सं०] सूर्य पुत्री, यमुना । २७ विष. जहर । २८ अमृत । २९ बीर्य । ३० पारा । रविजात-स्त्री० [सं०] १ सूर्य की किरण । २ कर्ण, यम । ३१ मीठा पेय । ३२ गोरस । ३३ गंध रस । ३४ शिलारस । रविजोग-पु० [सं० रवियोग] सूर्य नक्षत्र से बनने वाला एक ३५ हिंगुल । ३६ मोती। ३७ कोई खनिज पदार्थ । योग (ज्योतिष)। ३८ कोई औषधि । ३९ घी, घृत । ४. उत्तम खाद्य । रविनाम (नामो)-पु. १ ऐश्वर्य, वैभव। २ प्रताप, शौर्य । ४१ गूदा, मींगी। ४२ वनस्पती। ४३ वृक्षों का मद । कोति, यश । ४ हाथी प्रादि का मद। ४५ मीठा पानी, चासनी । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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