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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रतिक ( ४५३ ) रत्ननाम अधिक मैथुन कराने वाली, कामुक स्त्री।-भवन, मंदिर-पु० ४ देखो 'रातो'। योनि, भग केलिगृह ।-रमण, रयण-पु. कामदेव । रत्तक-पु. लाल रंग का पत्थर विशेष । रतिक्रीड़ा।-राज, राय-पु. कामदेव ।-रास-पु. रतिक्रीड़ा। रत्तड़ी-१ देखो 'रात' । २ देखो 'रक्त' । -लोला-स्त्री. रतिक्रीड़ा ।-वर-पु. कामदेव ।-वल्लभ-पु० रत्ती,रत्तडउ, रत्तो-देखो 'रातो'। कामदेव । रत्तर-देखो 'रक्त'। रतिक-देखो 'रतीक'। रतळ, रत्तळो-देखो 'रक्त' । रतिका-स्त्री० [सं०] संगीत में एक श्रुति : रत्ति, रत्ती-स्त्री० [सं० रक्तिका] १ स्वर्ण मादि का एक तौल रतिकील-पु० [सं०] कूकर, श्वान । २ इस तौल जितनी मात्रा। ३ इस तौल का बाट, तोला। रतिगुण-पु. [सं०] एक देव गंधर्व विशेष । ४ चिरमी घुघची। [सं० रक्ती] ५ शोभा, छवि, रतिताल-स्त्री० संगीत में एक ताल विशेष । कांति । ६ प्रेम, अनुराग । वि० १ तनिक, रच । २ लाल, रतिनाग-पु० [सं०] रंतिभार राजा का नामान्तर । रक्ताभ । ३ अनुरक्त, मासक्त । ४ लीन । ५ देखो 'रात'। ६ देखो 'रति'। रतिपद-पु० एक वृत्त विशेष । रत्तीक-वि० रत्तिभर, थोड़ासा । रतिप्रिया-स्त्री० १ शक्ति की एक मूर्ति । २ प्रति कामुक स्त्री। रत्तो-१ देखो 'रक्त' । २ देखो रातो। रतिबंध-पु० [सं०] मैथुन सम्बन्धी एक प्रासन । रस्थ-देखो 'रथ'। रतिबाह-देखो 'रातीवाहो'। रतिभाव-पु० [सं०] १ शृगार रस का स्थाई भाव । २ प्रेम, रत्यी-देखो ‘रथी'। रत्थौ-देखो 'रथ'। प्रीती । ३ स्त्री-पुरुष का परस्पर प्रेम । रतिमित्र-पु० मैथुन सम्बन्धी एक भासन । रत्थ्या -पु० [सं०] मार्ग। रतिमेळ-पु० मैथुन क्रिया । रत्न-पु० [सं०] १ हीरे, मोती, मरिणयां प्रादि कीमती पत्थर, रतिया-देखो 'रात'। जवाहरात । २ आभूषणों में जड़े जाने वाले चमकीले नगीने, नग। ३ कोई बहुमूल्य वस्तु । ४ विशिष्ट या श्रेष्ठ रतिलील-J० संगीत में ताल का एक भेद । गुणों वाली वस्तु । ५ बहत्तर कलामों में से एक । रतिवंत-वि० (स्त्री० रतिवती) १ सुन्दर, खूबसूरत, मनोरम । ६ पांच, नो, चौदह की संख्या। -वि. जो अमूल्य हो २ प्रियतम प्रेमी । ३ रसिक । ४ बलवान, शक्तिशाली। सर्वश्रेष्ठ । रतिवंती-वि० १ प्रेम से युक्त, प्रेममय । २ सुन्दरी, रूपसी। रत्नकंबळ, रत्नकंवळ-पु० एक प्रकार का वस्त्र । ३ प्रियतमा, प्रेमिका। रत्नकर-पु० [सं०] कुबेर । रतिवरबन (वरधन)-पु० [सं० रतिवद्धन] एक पौष्टिक औषधि रत्नकूट-पु० [सं०] १ एक पर्वत का नाम । २ एक बोधिसत्व । विशेष । रत्नकूटा-स्त्री० [सं०] अत्रि ऋषि की पत्नियों में से एक । रतिवाउ, रतिवास(वासौ, वाह, वाही)-देखो 'रातीवाहो' । रत्नगरम-पु० [स० रत्नगर्भ] समुद्र, सागर । रतिसाधन-पु० [सं०] १ पुरुष का शिश्न । २ मैथुन सम्बन्धी रत्नगरमा-पु० [सं० रत्नगर्भा] १ पृथ्वो, भूमि । २ रत्न उत्पन्न साधन । करने वाली खान । रतिसास्त्र-पु० [सं० रतिशास्त्र कामशास्त्र । रत्नगिरि--पु० [सं०] बिहार का एक पर्वत । रतिसुदर-पु० [सं०] एक प्रकार का रतिबध । रत्नग्रीव-पु० [सं०] एक प्राचीन राजा। रती-स्त्री. १ शक्ति, बल । २ देखो ‘रत्ति', रति', 'रात'। रत्नघर-पु० [सं०] समुद्र, सागर । रतीपति, रतीयती-देखो 'रतिपति' । रत्नचंद्र-पु० [सं०] एक देवता । रतीयन, रतीयेक-देखो 'रत्तीक' । रत्नचूड-पु० [सं०] पाताल का एक राजा। रतीवांन-देखो ‘रतिवंत'। रत्नजटित (जड़ित, जडित)-वि० [सं० रत्मजठित] जिसमें रतीवाही-देखो 'रातीवा हो' । रत्न जड़े हों। रतुप्री-पु. एक पौधा विशेष । रत्नजालक, रत्नजालि-पु. एक प्रकार का प्राभूषण । रतोर-पु. लाल मुंह का चूहा । रत्नदामा-स्त्री० सीता की माता व जनक राजा की रानी। रतो-देखो 'रातो'। रत्नधेनु-स्त्री० [सं०] दान के लिये, रत्नों की बनी गाय । रत, रस,रसा-१ देखो :रक्त' । २ देखो 'रस' । ३ देखो 'रात' रत्ननाम-पु० [सं०] विष्णु का एक नामान्तर । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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