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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परसन पराक्रति परसन, परसन्न-१ देखो 'प्रसन्न'। २ देखो 'प्रस्न'। ६ भिन्न प्रकार से । ७ बाद को, मोर मागे। [सं० प्राक] परसपर-देखो 'परस्पर'। ८ पहले। ९ प्रारंभ में, हाल ही में । १० पूर्व में। परसरग-पु० [सं० परसर्ग] भाषा विज्ञान में कुछ संज्ञा ११ पूर्व दिशा में । १२ सामने । १३ जहां तक हो विभक्तियां। वहां तक। परसबरण-पु० [सं० परसवर्ण] पर या उत्तरवर्ती वर्ण के परहरणी, (बी)-कि० [सं० परिहरणम्] १ छोड़ना, त्यागना। समान वर्ण। २ मागे बढ़ना, प्रागे चलना । ३ भाग जाना। ४ नष्ट परसारणी (बो)-क्रि० [सं० स्पर्शनम्] १ स्पर्श कराना, करना, मिटाना, हटाना। ५ छीनना, झपटना। ६ मुक्त छुमाना। २ तीर्थ यात्रा कराना। ३ देव दर्शन कराना। होना, छूटना। ४ देखो पुरसारणो' (बो)। परहा-वि० [सं० परस्मिन्] १ दूर, पृथक, अलग । २ नष्ट, परसाब-१ देखो 'प्रसाद' । २ देखो 'प्रासाद'। - बर्बाद। परसार-देखो 'प्रसार'। परही-क्रि० वि० [सं० परस्मिन] परे, दूर, प्रतिदूर परसारणी (बौ)-देखो 'प्रसारणौ' (बो)। परहरणी-स्त्री. १ लगन, चाह । २ उत्साह । परसावणी (बी)-१ देखो 'प्रसारणो' (बी) । २ देखो | परहेज-पु० [फा०] १ कुपथ्य का त्याग । २ संयम, पथ्य । ___'परसाणी' (बी)। ३ बुरी बातों से बचाव । -गार-वि• पथ्य रखने वाला, परसिब, परसिद्ध, परसिध-देखो 'प्रसिद्ध'। संयमी। बुरी बातों से दूर रहने वाला। -गारी-स्त्री. परसिदता, परसिद्धता, परसिधता-देखो 'प्रसिद्धता'। परहेज रखने की क्रिया या भाव । परसिधि (धी)-देखो 'प्रसिद्धि' । परहेरौ-क्रि० वि० पृथक, अलग, दूर । परसीजणी (बी)-क्रि० [सं०प्रस्वेदनम्] १ पसीना होना, पसीने | परहो-देखो 'परी' । से तर होना।२ देखो 'पसीजणो' (बी)। परा-क्रि० वि० १ ऊपर। २ पूर्व, पहले। ३ उस मोर । परसोरणो-देखो 'पसीनो' । ४ देखो 'परसू"। परसोतस-पु० [सं० परशु-रा० तस-हाथ] १ गजानन, गणेश । | परांखरणी (बी)-देखो 'प्रांखरणी' (बी)। २ परशुराम । परांण-१ देखो 'प्रयोग' । २ देखो 'प्राण' । ३ देखो 'पुरांण'। परसीधर-देखो 'परसुधर'। परांणउ-वि० [सं० प्राण] बलवान, शक्तिशाली। परसीपारण-पु० [सं० परशु-पाणि] १ गजानन, गणेश ।। पराणि, परांणी-स्त्री० [सं० प्रेरणिका] १ बैलों को हांकने की २परशुराम । लकड़ी । २ देखो 'प्राणी'। -क्रि० वि० [सं० प्राण परसु-पु० [सं० परशु] कुल्हाड़ीनुमा एक शस्त्र, फरसा । बलात्, बलपूर्वक। -धर, धरण-पु० परशुराम । गजानन, गणेश । परशुधारी सिपाही । फरसा रखने वाला। परांत-स्त्री० फसल की पंक्तिबद्ध कटाई या गुड़ाई करने का क्रम । परसुराम-पु० [सं० परशुराम] जमदग्निनन्दन परशुराम । । पर्यावठी-पु० [सं० प्रोत्या] घी या तेल में तल कर सेकी हुई परसुवन-पु० [सं० परशुवन] एक नरक का नाम । रोटी। परस-क्रि० [वि० सं० परश्वः] गत दिन से पहले, आगामी दिन | परा-प्रव्य० [सं०] एक अव्यय शब्द जो दूर, पीछे, एक तरफ, के बाद । -पु० गत दिन से पहले व मागामी दिन के बाद मोर प्रादि के अर्थ में प्रयुक्त होता है। -स्त्री. १ चार का दिन। प्रकार की वारिणयों में से एक। २ ब्रह्म विद्या। ३ एक परसूत-देखो 'प्रसूत'। प्रकार का साम-गान । ४ गंगा नदी का एक नाम । परसून-देखो 'प्रसून'। पराई-देखो परायी' । परसेव, परसेवी-देखो 'प्रस्वेद' । पराए-क्रि० वि० दूर पृथक, प्रतिदूर । परस्पर-क्रि० वि० [सं०] मापस में, एक दूसरे के साथ । परस्सणी (बी)-देखो 'परसणी' (बी)। पराका-स्त्री० [सं०] ध्वजा, पताका । परस्सी-१ देखो 'फरसो' । २ देखो 'परसुरांम'। पराकास्टा, पराकास्ठा, पराकोटी-स्त्री० [सं० पराकाष्ठा] १ चरम सीमा, हद । २ ब्रह्मा की आधी पायु । परहंस-स्त्री. १ पराजय, हार । २ देखो 'परमहंस' । परहउ-प्रव्य० [सं० परतस्] १ दूसरे से । २ शत्र से। ३ मागे. | पराक्रत-देखो 'प्राक्रत । परे, पीछे, अपर । ४ दूर, मलग। ५ अन्यथा, नहीं तो। पराक्रति, पराक्रती-देखो 'प्राक्रतिक' । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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