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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मधूर मधूर - पु. १ कामदेव, मदन । २ देखो 'मधुर' । मधुरता देखो 'मधुरता' । मधूरसा- देखो 'मधुरसा' । मधुसारथी- देखो 'मधुसख' । मधूसूदन - देखो 'मधुसूदन' । मये देखो'मध्ये' | www. kobatirth.org ( ३३० ) 1 मध्य, मध्ध्य-पु० [सं० मध्य] १ ठीक बीच का स्थान या भाग २ बीच की स्थिति ३ कमर, कटि ४ घोड़े की कोख, वक्खी । ५ पेट, उदर । ६ संगीत में स्वरों के सप्तकों के बीच का स्वर । ७ पश्चिम दिशा ८ विश्राम ९ सोलह से सत्तर वर्ष की अवस्था । १० दश अरव की संख्या । - वि० १ बीच का, मध्य वाला, मध्यवर्ती । २ मझोला | ३ न अधिक बुरा न बहुत अच्छा, साधारण ४ जो अधिक तीव्र या मंद न हो, मध्यम। ५ तटस्थ, निरपेक्ष । - क्रि०वि० ६ बीच में मध्य में । ७ चालू कार्य के दौरान मध्यमान- पु० संगीत में एक मान । मध्यमा स्त्री० [सं०] १ हाथ के बीच की अंगुली । २ विवाह योग्य लड़की, कन्या । ३ मध्य यौवना स्त्री । ४ रजस्वला स्त्री । ५ एक प्रकार की नायिका । ६ नाद के चार भेदों में से एक । मध्यमेळ - देखो 'तू'बेल' । मध्यरेखा - स्त्री० रेखा | [सं०] ज्योतिष में देशान्तर निकालने की Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मध्यलोक - पु० [सं०] पृथ्वी लोक मध्यस्थ - वि० [सं०] १ दो प्रतिपक्षियों के का कार्य करने वाला । २ तटस्थ, उपकारी । ४ मध्यवर्ती, मझोला शिव की एक उपाधि | मध्यस्थता स्त्री० १ दो पक्षों के बीच सुलह या समझौता कराने का कार्य । २ बीच-बचाव । मध्यता - स्त्री० [सं०] १ बीच का स्थान, अवस्था या भाव। २ बीच-बचाव । ३ बीच में होने की दशा । मध्यरेख पु० [सं०] शेख मध्यनायक - पु० वक्ष पर धारण करने का प्राभूषण विशेष । मध्यपात - पु० ज्योतिष में एक पात । मध्यम - वि० [सं०] १ जो दो विपरीत दिशाओं या सीमाओं के बीच या मध्य में हो । २ जो अधिक बड़ा या अधिक छोटा न हो । ३ मझोला, उम्र में बीच का, क्रम में बीच का । ४ पक्षपात शून्य, निरपेक्ष । ५ हल्का । ६ साधारण ७ नीच । - पु० १ संगीत में स्वर सप्तक का चौथा स्वर । २ एक राग विशेष । ३ साहित्य में एक प्रकार का नायक । ४ नायिका का उप पति । ५ मध्य प्रदेश । ६ प्रान्त का शासक, सूबेदार । ७ व्याकरण का मध्यम पुरुष । मध्यमभ्य- पु० हाथी के बराबर होरे, माणिक की राशि मनकरी - स्त्री० एक प्रकार की घास । का स्वामी । मनकामना - देखो 'मनोकामना' । मनाखाचार मध्यांगुलीयक-५० एक प्राभूषण विशेष । मध्यांन - देखो 'मध्याह्न' । मध्या स्त्री० [सं०] एक प्रकार की नायिका । मध्यान्ह, मध्याह्न - पु० दुपहरी मध्ये क्रि०वि० [सं०] १ बीच में, मध्य में, में । २ विषय में, बाबत, निमित्त । ३ लिए, वास्ते । मध्यालयलब्धि स्त्री० अट्ठाईस प्रकार की संधियों में से एक। मनंग- देखो 'मन' । ८ दरम्यान । मध्यकुरुपु० [सं०] एक प्राचीन देश । मनछा- देखो 'मसा' । मध्य-पु० [सं०] उत्तर कान्तिवृत्त और दक्षिण कान्तिवृत्त के मनतर देखो 'मन्वंतर' बीच पड़ने वाला पृथ्वी का भाग । , मन पु० [सं०] [मन] अन्तः करण की १न्तः करण हृदय २ प्राणियों के वृत्ति, चित्त, बुद्धि, मस्तिष्क । ३ न्याय के अनुसार आत्मा या जीव से भिन्न एक द्रव्य । ४ इच्छा, इरादा, कामना, अभिलाषा । ५ विचार, धारणा, कल्पना, खयाल । ६ प्रकृति, स्वभाव | ७ स्फूर्ति, उत्साह | ८ प्रतीति, प्रभास । ९ झुकाव । १० प्रतिभा । ११ सम्मान | १२ मान सरोवर । १३ भव्य, तुषित एवं साध्य देवों में से एक । वि० १ श्वेत । २ चंचल । - अव्य० निषेधार्थंक अव्यय । मनउपंग, मनउपयंग, मनउपांग-पु० घोड़ा । क्रि० वि० अपनी मर्जी या मनमाने ढंग से । बीच सुलह wife निरपेक्ष । ३ पर ५ उदासीन । - पु० [सं० मध्याह्न] दिन का मध्य भाग, For Private And Personal Use Only मनऊंच वि० दातार, दानी, उदार । मनऊंची - पु० १ अभिमान, घमंड । २ देखो 'मनऊच' | मनक देखो 'मनुस्य' । मनकूळ मनपूछा- वि० [० मन्कुल] १ पल पलायमान हस्तान्तरण योग्य । २ प्रतिलिपित । . मनखच पु० मनमुटाव, वैमनस्य I मनखंचौ वि० १ उदास, खिन्न । २ विरक्त । ३ अप्रसन्न । मनख देखो 'मनुष्य' । मनखमनमोहिणीमहा-स्त्री० पृथ्वी, धरती । मनखा - देखो 'मनीसा' | मनाखाचार - देखो 'मिनखाचार' ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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