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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथरा ३२६ ) मदन मथरा-देखो 'मथुरा। माथे से झरने वाला रस । ९ मदिरा, शराब। १० मधुमथवाय-पु० [सं० मस्तवात] शिर की पीड़ा, शिरशूल । शहद । ११ कस्तूरी । १२ वृक्षों से झरने बाला रस । मथवाळ-पु. स्त्रियों के शिर के टूटे बाल । १३ वीर्य । १४ कामदेव, मदन । १५ एक दानव । मथवाह-पु० महावत। १६ एक अन्य दानव । १७ छप्पय छंद का एक भेद । मथाण-पु. १ झुण्ड, समूह, दल । २ नाश, ध्वंस । ३ बड़ा | १८ एक वर्ण वृत्त विशेष । १९ मस्त हाथी। २० खाता या शहर, नगर । ४ सागर । ५ देखो 'मंथांण' । ६ देखो खाते का विभाग, लेखा । २१ बही में खींचने की एक 'माणी'। -वि. जो मथा गया । लकीर । २२ कार्यालय, विभाग या शाखा। २३ किसी मारणा-पु. एक छन्द विशेष ।। विभाग के व्यय या प्राय का निर्धारित शीर्षक या राशि । मयांणी, मानी-स्त्री० [सं० मंथनम्] १ दही मथने का पात्र ।। -वि० काला, श्याम । -अंध = 'मदांध' । २ देखो 'मंथणी'। मदउत्कट-पु० [सं०] मम्त हाथी । -वि० १ नशे में चूर। मथारणी (बो)-क्रि० मंथन कराना, मथाना । २ अहंकारी। ३ कामुक । मथारी-स्त्री० १ कटीली झाड़ियों का छोटा ढेर । २ 'सीवण' | मदकंध पु० [सं० मद+स्कंध] १ ऐगवत हाथी। २ हाथी। घास का देर। मवक-पु० १ अफीम के सार की बनी मादक वस्तु । २ सांड । मथारौ-पु० १ बीच का सब से ऊंचा स्थान, शिखर । मदकर-वि० मद वर्द्धक, नणीला। २ चर्मोत्कर्ष, चर्म बिन्दु । ३ ऊपरी शिरा या चोटी। मदकरण-पु. हाथी। -वि० मस्त, मतवाला। ४ उद्गम स्थान । ५ अंतिम मंजिल । ६ किसी वंश का मदकळ-वि० [सं०] १ मस्त, उन्मत्त । २ अस्पष्ट बोलने वाला। प्रादि पुरुष । ७ अंत, छोर, सीमा । ८ पूर्वजों का ३ धीरे-धीरे प्रेमालाप करने वाला । ४ मदमाता, मदोन्मत्त । उद्गम स्थल । ५ मंद, मधुर । -पु. १ मस्त हाथी । २ दोहे छन्द का एक मजावटी-स्त्री. १ शिर का ऊपरी भाग। २ शिर । ३ ऊपर भेद । ३ आर्या गीति का एक भेद । का भाग। मवगंध-देखो 'मदकंध'। मथासरौ-देखो 'माथास रौ'। मदगंधा-स्त्री० [सं०] १ मदिरा, शराब । २ भांग । मथित-वि० मथा हुना, विलोड़ित । -पु० दही। मदगर मदगळ-देखो मदकल'। मथिति-स्त्री० [सं० मथित] छाछ, मट्ठा । मदगळत-वि० मदमत्त, मस्त । मथियळ-पु० सागर, समुद्र । मदगळित-वि० मदच्युत । मथिला-देखो 'मिथिला'। मदगू-पु० जलकाग। मथी-स्त्री० [सं०] दही मथने का दण्ड, रई। मदग्गळ-देखो 'मदकल'। मथीत-देखो 'मथित'। मदडो-देखो 'मद'। मथुरा, मथुरी-स्त्री० उत्तर भारत की एक नगरी मबछकियो-वि० मद या नशे में चूर, मदमस्त । मथेण, मधेरण-पु० विवाहित जैन यति । मदछोक-स्त्री० मदिरा का प्याला । मर्थ-देखो 'माथ'। मदजीवरण-पु० मदिरा का व्यवसाय करने वाला, कलाल । मयोग-पु० कलंक, धब्बा, दाग। मदज्झर, मदझड़, मदझर-वि० जिसके मद साव होता हो। मथ्य, मचई-१ देखो 'माथी' । २ देखो 'मार्थ' । -पु० १ हाथी। २ ऊंट । ३ शेर । मथ्थरणो (बी)-देखो 'मथरणो' (बी)। मदत (नि, ती) मदत्तिय-देखो 'मदद'। -कार-'मददगार'। मथ्र्थ-देखो 'माथे, माथै'। मदद-स्त्री० [अ०] १ सहायता, सहयोग। २ सहारा, प्राश्रय । मदंती-स्त्री० [सं०] विकृत धैवत की चार श्रुतियों में से | -गार, गारौ-वि० सहायता करने वाला । सहारा देने दूसरी श्रुति का नाम । वाला। मदंद, मदध-देखो ‘मदांध'। मदधर (धारी)-पु० हाथी, ऊंट, शेर । मदन-देखो 'मदन'। मदन-पु० [सं०] १ कामदेव। २ वसंत । ३ धतुरा । ४ रति मव-पु० [सं०] १ मादक पदार्थों के सेवन से होने वाला प्रभाव, क्रीड़ा, संभोग । ५ कामेच्छा । ६ भौंरा । ७ मैना पक्षी। नशा, खुमारी । २ अहंकार, गर्व । ३ मिथ्याभिमान । ८ मौलसिरी। ९ उड़द । १० ज्योतिष में जन्म से सातवें ४ कामोत्तेजना । ५ उन्मत्तावस्था, पागलपन । ६ हर्ष, __ गृह का नाम । ११ डिंगल का एक छंद । १२ छप्पय छन्द भानन्द । ७ जोश, आवेग, उत्तेजना। हाथी, ऊंट आदि के | का एक भेद । १३ प्रार्या गीति का एक भेद । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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