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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org पर ( २४६ ) सारिल बयर-१ देखो 'वर'। २ देखो 'बैर'। बरौ-देखो 'वेरौ'। बैयालिस-देखो 'बंयाळी'। बै'रौ-देखो 'बहरो'। बैयौ-देखो 'बइयो। बैल-पु० [सं० बलीवर्द] १ गऊ पुत्र एक प्रसिद्ध चौपाया जो बरंग-वि० [फा०बे-रंग] १ रंग हीन, बिना रंग का । २ अन्य रंग कृषि कार्य में उपयोगी होता है । वृषभ । २ शिव का का। ३ खाली हाथ । ४ बिना टिकट लगा। वाहन नंदी । ३ देखो 'बहल'। रंगी-वि० १ कई रंगों वाली, बहुरंगी । २ बहुरूपिया। बैलगाड़ी-स्त्री. बलों द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी। बैर-स्त्री. १ पत्नी, भार्या । २ स्त्री, प्रौरत, नारी। बंलड़ली, बैलड़ी-१ देखो 'बहल' । २ देखो 'बैल' । ३ देखो 'वर'। बैलण-देखो 'वेलण' । बैरक, बरक्क, बैरख-पु० [फा०] १ ध्वजा । पताका|| बैलपो (वी)-क्रि० नींद में सोते समय या सन्नीपात रोम में २ झण्डी । ३ किसी भूमि पर कब्जा करने पर माड़ा जाने बड़बड़ाना, प्रलाप करना । वाला झण्डा । ४ सैनिकों के लिये बने मकान या कक्ष । बैलर-पु० १ एक घोड़ा विशेष । २ भाप से चलने वाली मशीनों बैरडो-देखो 'बैर'। का एक भाग । बैरडो-पु. एक सर्प विशेष । बैलियो-१ देखो 'बहलियो । २ देखो 'बैल' । औरण-देखो 'बर'। बैली-१ देखो 'वेली' । २ देखो 'बहल' । बरणों-देखो 'बारणो'। बैलून-पु० [अं॰] रब्बर का गुब्बारा । बरसो (बो)-क्रि० [सं० वर्द्धनं] १ चीरना, फाड़ना। २ जैन बैलो-देखो 'बळी'। साधुपों का भिक्षार्थ जाना । ३ दूल्हे का अपने इष्ट मित्रों | बल्यो-देखो 'बल'। व संबंधियों के यहां भोजन करना । ४ काटना, चीरना। बैव-पु० [सं० विवेक] विवेक, ज्ञान, बुद्धि । बरभाव-देखो 'बैरभाव' । बैवणी-देखो 'बेवणी'। रसुध-देखो 'वरसुध'। बवणौ (बौ)-देखो 'बहणो' (बी)। बरहर-देखो 'वरहर'। बंबळसरी-देखो 'बौल सिरी'। बरहरण-देखो 'वरहरण'। बैवस-१ देखो 'वैवस्वत' । २ देखो 'विवस'। रांगर-देखो 'वैरागर'। बचांणी (बी)-देखो 'वहाणी' (बी)। बैराण (म)-देखी 'वीरांन'। बैसंदर-देखो 'वैस्वानर'। राई-स्त्री० १ लड़की प्रादि की चीराई । २ इस कार्य का वैस-पु० १ एक प्राचीन क्षत्रिय राजवंश । २ देखो 'वेस्य' । - पारिश्रमिक । ३ जैन साधुणे को भोजन देने का कार्य। ३ देखो 'वयस' । ४ देखो 'वेस'। ५ देखो 'बहस'। -वि० शत्रु, दुश्मन, वैरी। बैसक-देखो 'बठक' । राग-देखो 'वैराग्य' । बैसकी, बस-स्त्री० पशु की, बैठने के बाद, उठने की बंरागर-देखो वैरागर'। असमर्थावस्था । बरागी-देखो 'वैरागी'। बैसणी-पु० [सं० उपवेशनम्] १ निवास, मावास, रहना । राम्य-देखो 'वैराग्य'। २ प्रासन, बिछायत । ३ निवास स्थान । ४ राजधानी । बराडी-वि० बैराड़ देश का, बैराड़ देश संबंधी। -पु० बैराड़ ४ राजसिंहासन । ५ जैनियों का एक अनुष्ठान । देश का घोड़ा । बसणौ (बी)-देखो 'बठणी (बी)। बराजमान-देखो "विराजमान' । बैसर-१ देखो 'बेसर' । २ देखो 'वेसर'। बैराट-१ देखो 'वैराट' । २ देखो 'विराट'। सरवण-देखो 'वैस्रवण' । जीबो-क्रि०१ची राना, फड़वाना। २ जन साधुनो को [सरणरणी (बौ)-देखो 'बैठाणी' (बी) । भिक्षा या भोजन देना । ३ दूल्हे को भोजन कराना । बैसाख-देखो 'वैसाख'। बरायत-देखो 'वैरायत' । बैसाखि, बैसाखी-देखो 'वैसाखी' । बरी-देखो 'बैरी'। बरीड़ो-देखो 'बरी'। बैसाइण। (बौ)-देखो 'बठाणो' (बी)। बैकगी-वि० १ विशाल, दीर्घ, प्रचण्ड । २ विविध रूपों वाला । पैसाणो(बो), बैसारणो(बो)-देखो 'बैठाणी' (बी) रोचम-१ देखो 'विरोचन' । २ देखो 'वैरोचन'। बैसारिण-देखो 'वैसारिण' । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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