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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra बेस्म देखो 'वेस्म' | बेस्वाद वि० [फा० वे संस्याद] १ स्वाद रहित २ जिसका स्वाद अच्छा न हो। ३ अप्रिय, अरुचिकर बेह-देखो 'देह' । 1 बेहक वि० [फा०] १ जो हक से बाहर का हो, नाजायज । २ जो उचित न हो, अनुचित । ३ जो न्याय संगत न हो । ४ असत्य । ५ अनधिकृत । ६ देखो 'बहक' । बेहerit (at) - देखो 'बहकरणी' (बो) । बेहकाणी (at), बेहकावरणी (बौ) - देखो 'बहकारणी' (बी) । बेहड़ देखो 'बे'डी'। बेहड़ली- देखो बेह' । बेहड़ ू - देखो 'बे'ड़ौ' । बेहड़ी-देखो 'मेरो' । बेहरी- पु० कंट www. kobatirth.org बेहन बेहनड़ी-देखो 'बहन' । बेहमाता देखो 'वेमाता' । ( २४६ ) बेहमी पु० [सं० विश्राम ] भाराम, विश्राम। बेहा- देखो 'विधाता' । बेहिसाब - वि० [फा०] १ जिसका कोई हिसाब या लेखा न हो । २ असंख्य अगणित । ३ प्रसीम, अपार । बेहु-देखो 'बेऊ' । बेमौ वि० [सं० बधिर ] ( स्त्री० बेहुंगी) १ अस्थिर चित विक्षिप्त, बहिरा । २ लापरवाह । बेनर वि० [फा०] १ किसी इनर या कला से रहित २ जिसके पास कोई काम धंधा न हो । ३ निकम्मा, निठल्ला । ४ मूढ़, मूर्ख । बेहतरी स्त्री० १ निठल्लापन निकम्मापन २ हुनर या का देखो 'देवी' । का प्रभाव । बेहतर वि० [फा०] जो तुलना में अच्छा, ठीक उचित हो देखो'वेळ' - पु० १ श्रच्छापन, प्रच्छाई । २ भलाई। बेहच वि० [सं० द्वि हस्त] बेहूड़ो-देखो 'मे'ड़ो' । दो हाथों वाला। --- बेहूदगी स्त्री० [फा०] १ असभ्यता, अनाड़ीपन २ अश्लीलता भद्दापन । बेहद, बेहद्द - वि० [फा०] १ जिसकी कोई सीमा या हद न हो, पन्त, प्रत्यधिक असीम पार ३ अगणित असंख्य । । संप ४ मर्यादा से बाहर ५ प्रतिशयोक्तिपूर्ण ६स्य प्रमेय । बेहूदी [वि० [फा० बेहूद] [स्त्री० [बेहूदी) १ असभ्य, शिष्ट बदतमीज । २ व्यवहार व श्राचरण की दृष्टि से धनुचित । ३ अवारा दुश्चरित्र । ४ बेढंगा, बेमेल । ५ व्यर्थ, बेकार । बेवी-देखो 'बहदी' । [६] अस्त-व्यस्त छिन्न-भिन्न क्षतिग्रस्त बेहाल। ' । बेहाल- वि० [फा०] १ अभ्यवस्थित अस्त-व्यस्त २ बिगड़ी दशा या हालत का । ३ संज्ञा शून्य, चेतनाहीन, बेहोश, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूच्छित । ४ विकल, व्याकुल, अधीर, दुःखी । ५ दुर्दशाग्रस्त । ६ बेखबर, अनजान। ७ मस्त, मग्न, मोदमय 1 बेहाली स्वी० १ बेहाल होने की दशा वा भाग २ व्याकृ बेचैन, अधीर होने की दशा । ३ अज्ञानता । ४ शोचनीय अवस्था । ५ मस्ती । - बैंचली या वि० [फा०] बेशर्म, निर्लज्ज । बेहपाई - स्त्री० १ बेशर्सी, निर्लज्जता । २ बेशर्म होने की | बेहोस - वि० [फा० बेहोश ] १ जिसे होश न हो, मूच्छित, श्रचेत । अवस्था या भाव । २ असावधान, लापरवाह । ३ श्रालसी, निश्चेष्ट । ४ उन्मत्त, मस्त । । । बेहररणौ (बो) – देखो 'बँरणो' (बो) । बेहरी [स्त्री० [१] पृथ्वी, धरती 'बहरी' । बेहरौ वि० [सं० द्व े ] ( स्त्री० बेहरी ) १ दूसरी बार, दुबारा । धरा २ घोड़ा ३ देखो बेहोसी स्त्री० [फा० बेहोशी ] १ बेहोश होने की दशा या भाव। २ मूर्च्छा, श्रचेतना, शून्यता । ३ प्रसावधानी, लापरवाही । ४ सुस्ती, प्रालस्य । ५ उन्मत्तावस्था, मस्ती । बें-देखो''। २ दोहरा । स्त्री० १ फूलों का हार । २ एक प्रकार की घास । ३ देखो 'बे ड़ो' । ४ देखो 'बहरी' | बेहल - पु० १ चारण कवि । २ देखो 'बहल' । बेहली - पु० (स्त्री० बेहली ) ऊंट । बेहवाल देखो 'बेहा बेहसरगी (बी) देखो 'बहसरणी' (बौ " बेहैफ - वि० [फा०] १ जिसे कोई चिता या शंका न हो । २ खेद रहित ३ आश्चर्य रहित । ४ मस्त । बेहोंनी देखो 'बिसोनी' । - बैंक - पु० [०] रुपयों का लेन-देन, ऋण आदि देने वाला कार्यालय, बजाना । = बैकु ंठ, बैकूठ - देखो 'वैकु ंठ' । - वासी 'वैकु ंठवासी' । बैंकति देखो 'बैंक' । - - ० [सं० वंगण ] एक पौधा विशेष जिसके फलों की सब्जी बनती है । बेंगणी - वि० उक्त फल के रंग जैसे रंग का । For Private And Personal Use Only बंची (बी) बंदी (बी) क्रि० [सं० विभाजनं] १ वितरण - करना, बांटना । २ विभक्त करना, हिस्से करना ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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