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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir । २३६ ) बेखटक, बेखटके-क्रि०वि० [फा०] १ बिना किसी प्रावाज या | बेगानगी-स्त्री० [फा०] १ परायेपन की भावना । २.अपरिचि खटके से । २ बिना किसी रुकावट या व्यवधान के ।। तता। ३ बिना किसी भय, संकोच के । बेगांनो-वि० [फा० बेगानः] (स्त्री० बेगानी) १ पराया, मन्य, बेखणी (बी)-देखो बेखणी' (बौ।। गैर । २ अजनबी, अनजाना । ३ अनभिज्ञ, प्रज्ञानी । बेखता-वि० [फा०] १ निरपराध, बेकसूर । निर्दोष । २ प्रमोघ | बेगागळ -देखो 'वेगागळ'। प्रचूक । बेगार-स्त्री० १ बिना शुल्क दिये, बलपूर्वक करवाया जाने वाला बेखबर-वि० [फा०] १ जिसकी कोई खबर न हो । २-जिसे कार्य । २ निरर्थक श्रम। ३ मन से किया गया कार्य । होश-हवास या चेतना न हो। ३ असावधान, लापरवाह । ४ व्यर्थ का झमेला, झंझट, बखेड़ा। ५ बेरोजगारी, बेकारी ४ अनजान । बेगारी-वि० [फा०] १ बेगार का कार्य करने वाला । बेखबरदारी-स्त्री० [फा०] १ बेखबर होने की दशा या भाव । - २ बेमन से कार्य करने वाला। २ अचेतनता । ३ लापरवाही,असावधानी। ४ अनजानपना। बेगुना, बेगुनाह-वि० [फा०] १ निरपराध, निर्दोष । २ बेदाग, बेखबरी-पु०१ बेखबर होने की अवस्था या भाव । २ लापरवाही, | निष्कलंक। प्रसावधानी । ३ प्रज्ञानता । ४ बेहोशी । बेगौ-देखो 'वेगौ' । (स्त्री० बेगी) बेखरच-वि० [फा०] धनहीन, गरीब । | बेड़-पु० [देश॰] १ कूए का जलस्तर । २ कूए की गहराई । बेखवेरी-स्त्री० एक देवी का नाम । ___ ३ बीहड़वन, जंगल । ४ देखो 'बड़ो' । ५ देखो 'बैड' । खातर बेखातिर-वि० [फा०] १ बेचैन, प्रशान्त, दुःखी, बेडकी-स्त्री० [सं० द्विघट] १ मिट्टी का छोटा जल पात्र । व्याकुल । २ जिसकी इज्जत, मान, प्रतिष्ठा न हो। २ देखो 'बै''। बेखोफ-वि० [फा०] शंका व डर से रहित, निःशंक, निडर । । बेडरपी-स्त्री. १ बेड़ने की क्रिया या भाव । २ अनाज की बेग-पु० [अं॰] १ चमड़े, प्लास्टिक प्रादि का बेला विशेष । बालों की कटाई । ३ शिर काटने की क्रिया । ४ मुण्डन, [तु.] २ अध्यक्ष, नायक । ३ अमीर, धनवान । ४ मुगलकालीन एक उपाधि । ५ देखो 'वेग'। मुण्डाई। गोगनपानी नलीमा जाने बेडरपी (बौ)-क्रि० १.अनाज की बालें काटना । तोड़ना । के पशुपों का झुण्ड । ३ दो गढ़ या किल्ले । ४ देखो | - २ काटना। ३ मुण्डन करना । 'बेगड़ी। बेड़लो-देखो 'बेड़ों। बेगड़ो-पु०१ सीधे व लम्बे सींगों वाला, अच्छी नस्ल का बैल । | बेडाफोड़-पू० एक भयंकर विषैला सर्प । २ बल । ३ नर हिरण । ४ दो गढ़ों का प्रधीक्षक । -वि० बेड़ियो-देखो 'बेड़ो'। १ जबरदस्त, जोरदार, २ दोगला, वर्णसंकर।। बेड़ी-स्त्री० [सं० वलय] १ कैदी के पांव में डालने का लोहे का बेगति (ती)-स्त्री. १ दुर्गति, दुरावस्था । २ प्रेत योनि । बेगम-वि० [फा०] जिसे कोई गम या चिंता न हो। निश्चित ।। छल्ला । २ हाथी प्रादि पशुओं के पांव में डालने का छल्ला । ३ स्त्रियों के पांव का एक प्राभूषण विशेष । -स्त्री० बादशाह या नबाब की स्त्री। २ सभ्रांत परिवार ४ छोटी नौका, नाव । ५ बंधन । -वाहो-पु. नाविक, की स्त्री। ३ पत्नी, बीबी । ४ अप्सरा, हूर । ५ रानी के मल्लाह। चित्र वाला ताश । बेगमी-वि० १ बेगम का, बेगम संबंधी । २ उत्तम, बढ़िया । बेड़ को, बेड़, खो-पु० [सं० द्विवृक्षता] १ दो शाखामों वाला -स्त्री. निश्चितता, बेफ़िक्री । वृक्ष । २ हाथ की अंगुलियों का संधिस्थान । बेगर-प्रव्य० बगैर, बिना, रहित । -वि. विरक्त, उदास ।| बेडबौ-पू० [सं० विद्धांग] बिगड़ा हमा, खराब । __-पु० रंगाई का मसाला विशेष । बेड़ो-पु० [सं० बेडा] १ बड़े लट्ठों को जोड़ कर बनाया जल बेगरज-वि० [फा०] १ जिसे कोई गरज, मतलब या स्वार्थ न | पोत । नौका । २ नावों या जलपोतों का समूह । ३ मिट्टी हो, निस्वार्थ । २ व्यर्थ, निरर्थक । का जल-पात्र । [सं० द्विघटक] ४ पनिहारी के शिर पर बेगरजी-स्त्री० [फा०] १ निस्वार्थ की भावना । २ व्यर्थता । रखा जल पात्रों का जोड़ा । ५ एक पर एक रखी वस्तुओं बेगल-पु० [देश॰] भूखा सिंह । का समूह । ६ पवन, हवा । ७ फौज, सेना । ८ हाथ की बंगवती-पु. १ एक वद्धि वृत्त विशेष । २ देखो 'वेगवंत'। । अंगुलियों के संधिस्थल । ९ पहाड़ों का संधिस्थल । बेगसर-पु० [सं० वेबसरः] खच्चर, अश्वतर । १० पेड़ की शाखानों का संधिस्थल [सं० विभितक:] For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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