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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra गोचण बिगाहा स्त्री० भार्या छन्द का एक भेद्र । बिग्यान - देखो 'विग्यान' । बिगो (ब) - क्रि० [सं० विकोचनम् ] १ निंदा या अपकीर्ति करना । २ दुःखी या संतप्त करना, श्रस्त करना । गोणी (ब), बिगोवणी (बो) - देखो 'किगोणी ? (बो) । बि० वर्ष का प www.kobatirth.org विग्रह - देखो 'विग्रह' | बिघड़ियों - १ देखो- 'बेड़ो' । २ देखो 'दुगड़ियो' । विधन, विनदेखो 'विघ्न' कारी-'विधकारी' - हरण (न) = ' विघ्नहरण' । 1 - ( २१५ ) ब्रिड-स्त्री० झाड़ी या झुरमुट का भूमि स्पर्श भाग । वि० [सं० वृद्धि] १ विवाह आदि मांगलिक कार्य: । २ मांगलिक कार्य के समय बनाया जाने वाला मिष्ठान । ३ इस मिष्ठान का गणेश को चढ़ाया जाने वाला भाग । | बिबड़ी स्त्री० [सं०] वृद्धिटिका ] विवाह के प्रारंभ में मातृका पूजन के समय बनाई जाने वाली वाटिका, मुगोड़ी। बड़वारणी (दो), बिड़दावरणौ (बी) - देखो 'विरुदावरण' (बो) । बिड़ली - पु० [देश०] १ संबंध या सगाई के लिये आने वाला श्रीफल मादि २ मिट्टी के पात्र में उगाया जाने वाला पौधा ३ देखो 'बोड़ो' । चिकल पु० [सं० विचकितः] एक प्रकार की मल्लिका या चमेली, मदनक | विचच्छरण- देखो 'विचक्षण' । विचारणी (बो) - देखो 'विचारणी' (बो) | fernia (air ) - देखो 'विचारवान' । बिचारी देवो बेचारों' । - बिचरणौ (बो-देखो 'विचरणों' (बो)। विळी (बी) देखो 'विपळण' (यो) । विळा (बी), बिचळावली (बो-देखो विचाणों (ब)। बिचल वि० [स्त्री० [बिवली) १ बीच में रहने वाला, मध्यस्थ । २ मध्यस्था करने वाला । ३ मध्यम श्रेणी का । ४ मध्यम प्राकार का बासी पु० शव यात्रा में मार्ग में ठहरने का स्थान । faar - देखो 'बीच' । विचार-देखो 'विचार' । बिड़ाळ - देखो 'बिडाळ' । बिड़ोतरसौ - वि० [सं० द्वयुं तर शतम्] एक सौ दो पु० एक बिछात्रो देखो 'बिछोह' । सौ दो की संख्या, १०२ । बिड़ो-१ देखो 'वि' २ देखो 'बीडी'। बिड़ोजा - देखो 'विडूजा' । बिच देखो 'बीच' । बिचाळ, विचाळी, विचाळे - देखो 'बिच' ।. बिचि -१ देखो 'बीच' । २ देखो 'विचिः । विचित्र-देखो 'विचित्र' । विचित्रता देखो 'विचित्रता' । । विचिन-वि० चतुर, होशियार बिचियो देखो 'बयो' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir } बिचेटियो - वि० १ मध्य का, बीच वाला । २ मंझला । विकि०वि० १ बीच में या मध्य में २ तुलना में मुकाब में । ३ अन्दर में, भीतर में। ४ दरम्यान । fast, frog, बिच्छू, बिच्छूड़ी बिच्छ्रौ पु० [सं० वृश्चिक ] १ प्रति विषैला एक जीव जिसके पूंछ में डंक होता है । २ एक प्रकार की घास । ३ काकतुरंडी का पौधा व उसका फल । ४ स्त्रियों के पैरों का एक प्राभूषण विशेष । बिछड़ो (बी) - १ देखो 'बिछुड़णी' (बी) : २ देखो! 'बिछूटणी' (बी) । बिछड़ाणी (बो), बिछावणी (बी) देखो 'बिहाणी' (बी) - बिछौ (बौ) - क्रि० [सं० विस्तरणम् ] १ बिछौने की तरह धरातल या किसी आधार पर फैलना । २ यत्र-तत्र फैलना,. बिखरना । ३ युद्ध स्थल में लाशों का पड़ना । बिछवी ५० १ महावत के अंगूठे में पहनने का उपकरण ।. २ देखो 'बियो' बिछाइत - देखो 'बिछायत' । बिठुमके बिछाणी - पु० [सं० विस्तरणं] दरी, गद्दा, चादर प्रादि साधन, बिस्तर, बिछौना । बिछारपौ (बो)- क्रि० [सं० विस्तरणम् ] १ विस्तर फैलाना, बिछाना । २ यत्र-तत्र बिखेरना, छितराना । ३ युद्ध स्थल में लाशों का ढेर लगा देना । बिछात, बिछायत स्त्री० [सं० विस्तर ] १ बिछाने का कार्य है. २ दरी, गद्दा प्रादि बिछा कर की गई तैयारी । ३ बिछौना,. बिस्तर । ४ विशेष समारोह के लिये की गई तैयारी । बिछावण, बिछावरणौ - देखो 'बिखाणी' | बिछावणी (बौ) - देखो 'बिछाणी' (बो) । बिछियो - पु० [सं० विच्छ] १ स्त्रियों के पैरों का एक आभूषण विशेष २ देखो 'बच्चों'। बिछुड़ - स्त्री० [सं० विच्छेदन] १ बिछुड़ने की क्रिया या भाव। . २ वियोग, जुदाई । For Private And Personal Use Only बिछुड़ी (बौ) - क्रि० [सं० विच्छेदनम् ] १ साथ रहने वालों का अलग-अलग होना, पृथक-पृथक होना २ वियोग या जुदाई, होना । ३ भटक जाना, भूल में पड़ना । ४ साथी से अलग रह जाना साथ छूट जाना ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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