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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पड़दापोस पतर पड़दापोस-देखो 'परदापोस' । पड़वज-पु० १ सहानुभूति, हमदर्दी । २ प्रतिउपकार । पड़दाबेगण-स्त्री० [फा०पर्दः बेगम] राजप्रासादों की सशस्त्र | । -क्रि०वि० प्रति दिन, रोजाना । स्त्री पहरेदार। पड़वा-स्त्री० [स० प्रति पदा] चन्द्र मास के प्रत्येक पक्ष की पड़दायत पड़दायतन-स्त्री० १ पर्दा रखने वाली स्त्री, परदे में प्रथम तिथि । रहने वाली स्त्री। २ राजा या सामतों की उपपत्नी पडवाचा, पड़वाचौ-पु० [सं० प्रति-वचन] उत्तर जवाब । रखैल । ३ पर्दा रखने की प्रथा । पड़वौ-पु० [सं० प्रतिपस्त्य] १ कच्ची छाजन का बना कक्ष । पडदार-पु० [फा० पर्दः दार] १ बादशाहों की जनानी ड्योढ़ी | २ रंग महल । ३ देखो 'पड़ह'। पर पहरे का कार्य करने वाली एक मुसलमान जातिः। पड़सद, पडसह, पडसाद-पु० [सं० प्रति-शब्द] १ प्रति ध्वनि । २ इस जाति का व्यक्ति । ३ दरबान, द्वारपाल । २ घोर शब्द, जोर की ध्वनि । पड़दारू-पु० [फा० पर्दाज] चित्र की महीन रेखाएं। | पडसाळ (साळा)-स्त्री० [सं० प्रति-शाला] मकान का एक पड़दावेगरण-देखो 'पड़दाबेगण' ।। | कक्ष। पड़दो-स्त्री० [फा० पर्दी] १ किसी मकान, कक्ष या कोष्ठक | पडसूची (सूदी, सूधी)-देखो ‘पड़ दी' । के विभाग करने के लिये बीच में बनाई जाने वाली पतली | पड़हड़-देखो 'पटह' । दीवार या खड़ी लकड़ी । पार्टीशन । ताटी । पड़हार-देखो 'प्रतिहार'। [सं० परिधानो] २ वर-वधूके बीच में लगाने का पड़ह, पड़हौ-पु० [सं० पटह] १ सार्वजनिक घोषणा, डूडी। अन्तरपट । ३ एक प्रकार का बटुवा । २ देखो 'पटह' । पडदौ (द्दी-पु० [फा० पर्द:] १ पाड़ या प्रोट के लिये टांगा पड़ाउ, पडाऊ-पु० [सं० पतित] पराजित सेना का रणक्षेत्र जाने वाला वस्त्र । २ चिक, टाट । ३ ढकने या छुपाने में छोड़ा हुआ सामान । -वि० पड़ा हुआ। का वस्त्र । ४ घूघट पर्दा । ५ किसी बात प्रादि को छुपाने | पड़ो, (बी)-कि० १ गिरवाना, पटकवाना । २ छिनवाना, की क्रिया। ६ व्यवधान, प्रोट, छिपाव । ७ अन्तःपुर, झपटवाना । ३ बनवाना। ४ पात्र आदि में डलवाना । जनानखाना । ८ बच्चे को पालने में झुलाने का वस्त्र ।। ५ उखड़वाना । ६ चोट कराना, पिटवाना। ७ मिलवाना, ६ तह, परत । १० पतली दीवार, ताटी। मिश्रण कराना। ८ मरवाना । ९ उपार्जन कराना । पड़धांन-देखो 'प्रधान' । पड़ापड़, पड़ापड़ी-स्त्री० [सं०पत्] १ पट-पट की लगातार होने पड़धानगी-देखो 'प्रधानगी' । वाली ध्वनि । २ लगातार होने वाले प्राघात । ३ पटाखे पड़नांनौ-पु० (स्त्री० पड़नांनी) माता का दादा । आदि की ध्वनि । पड़नाळ-देखो 'परनाल'। पड़ाळ, पड़ाळा-स्त्री० [सं०पत्] टीबों के मध्य की भूमि । पड़ाव-पु० [सं० प्रत्यावास] १ यात्रा के बीच का अस्थाई पड़पड़ाणी (बौ)-क्रि० १ पड़पड़ शब्द करना। २ बकना बड़बड़ाना । ३ पपड़ी जमना। विश्राम, ठहराव । २ उक्त प्रकार का विश्राम लेने का स्थल । ३ यात्रियों के ठहरने का स्थान । पड़पड़ाट, पड़पड़ाहट-पु० १ पड़पड़ाने की क्रिया या शब्द । पड़ावणी (बो)-देखो 'पड़ाणी' (बी)। २ बड़बड़ाहट, बकवाद । पड़िआगळ, पडिमाळग-देखो 'पड़ियालग' । पड़परण-पु० [सं०परिपणम्] १ मूल पूजी । २ धन, दौलत,द्रव्य ।। पडिकमउ, पडिकमणा,(पौ)-देखो 'पडिकमण' । ३ शक्ति, सामर्थ्य । ४ सहायता, मदद । ५ कूए के उपकरण पडिमा-देखो 'प्रतिमा' । विशेष । पडियागळ-देखो 'पडियालग' । पड़पणो (बी)-क्रि० १ पार पाना, जीतना । २ वश चलना । पडियार-देखो 'प्रतिहार'। ३ साथ निभाना, निर्वाह करना । ४ काम चलाना । पडित्ति-स्त्री० [सं० प्रतिपत्तिः] १ प्राप्ति, उपलब्धि । ५ मुकाबला करना। २ ज्ञान । पड़पोतरी, पड़पोतो, पड़पोत्र, पड़पोत्री-देखो 'प्रपौत्र' । पड़िवा-देखो ‘पड़वा'। पड़प्पण-देखो ‘पड़पन'। पडिहाइणौ (बो)-क्रि० व्याकुल होना, घबराना, परेशान होना। पड़फ्फरणौ (बो)-क्रि० वरण करना, वरना । पड़िहार-देखो 'प्रतिहार' । पड़भव-पु. प्रातः काल, सवेरा। | पड़ तर (तर)-पु० [सं० प्रत्युत्तर] उत्तर, प्रत्युत्तर । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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