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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रह मह पु० [सं० प्रभा] १ सूर्योदय का प्रकाश २ देखो 'यह'। ३ देखी प्रहर' महगळ देव 'प्रगाळ प्राडियो देखो प्रणालियों प्रहत- वि० [सं०] (स्त्री० प्रहतरण ) १ मारा हुआ, प्रताड़ित । २ घायल किया हुआ । प्रहर - पु० [सं०] १ दिन रात का आठवां भाग । २ समय का मान विशेष । ३ समय । www.kobatirth.org प्रहरण १० [सं० प्रहरणम् ] १ घर-शस्त्र २ प्रायुध हथियार । ३ प्राक्रमण, हमला ४ प्रहार, चोट । ५ युद्ध । प्रहरी पु० [सं०] १ पहरा देने वाला, पहरेदार, चौकीदार । २ घंटा बजाने वाला । ( १२४ ) प्रहळा - पु० [सं० प्रहलाद ] १ हिरण्यकश्यप के पुत्र भक्तराज प्रहलाद | २ प्रत्यन्त हर्ष एवं श्रानन्द | प्रा- पु० धनुष । प्रहार पु० [सं०] बापात, चोट वार प्रहळावगुर - पु० [सं० प्रहलाद गुरु ] विष्णु ॥ प्रहसत प्रहस्त पु० [सं० प्रहस्त ] रावण का एक धमात्य व सेना , पति । प्रहारक- वि० [सं०]] चोट व धाघात करने वाला । प्रहारण पु० [सं०] प्रहार व चोट करने की क्रिया । प्रहारणौ - वि० १ प्रहार करने वाला । २ मारने वाला । प्रहारणी (बी) - क्रि० १ प्रहार करना, मारना । २ चोट या प्रहुंची- देखो 'पुराणची' । प्रस देखो 'प्रहरस'। श्राघात करना । प्रहारि, प्रहारी - वि० [सं० प्रहारिन्] १ प्रहार, चोट या वार करने वाला । २ मारने वाला । ३ देखो 'प्रहार' । प्रहास-पु० [सं०] १ पट्टहास २ प्रहसन, हंसी, बोल ३ शिव । ४ स्वामिकार्त्तिकेय का एक अनुचर । ५ तलवार । ६ एक मात्रिक छन्द विशेष । प्रहेति पु० [सं०] एक राक्षस । प्रहलाद - देखो 'प्रहलाद' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - प्रांछ- देखो परांत' । - प्रांण- पु० [सं० प्राण: ] १ श्वास प्रश्वास, सांस । २ हृदयस्थ प्रारण वायु ३ जीवन शक्ति । ४ शरीरस्थ पंच प्रारण वायु । ५ बल, शक्ति, पौरुष । ६ जीव, प्रात्मा । ७ पवन, वायु ८ प्राण के समान प्रिय वस्तु या कोई जीव । ९ मित्र । १० प्रेमी माशूक । ११ पाचन शक्ति । १२ ब्रह्मा । १३ विष्णु । १४ ब्रह्म, परमेश्वर १५ इन्द्रिय १६ समय का एक मान विशेष । १७ गंध रस, बोल । १० प्रयाण । १९ प्रतिभा । २० महत्वाकांक्षा । प्रधार, श्राधार= 'प्राणाधार' । -इस्ट पु० दोस्त, मित्र । पति । - कस्ट पु० मृत्यु के समय प्रारणों को होने वाला कष्ट । - गुर- पु० बड़ा बलवान । - घात- पु० श्रात्मघात । - घातक, घाती वि० वधिक, लेने वाला । श्रात्महत्या करने वाला। बहादुर जिहान० वायु, पवन अवसान बंड पु० मृत्युदण्ड रक्षा । प्राणों का बलिदान । युद्ध लायक प्राणी को दिया जाने वाला वि० मरणासन्न को जिंदा करने प्रारणों के समान प्रिय । पति - धार - वि० प्राणधारी, जीवित । - धारण - पु० शिव प्राण रक्षा का भाव । - धारी पु० जीव प्राणी नाथ पु० पति स्वामी प्राणों का स्वामी । नास - पु० अवसान, मृत्यु । -नासकवि० मारने वाला, हत्यारा । पत, पति, पती- पु० स्वामी मालिक पति वार्षिद प्यारी, प्रिय, बालवि० [प्रत्यन्त प्रिय, परमप्रिय । परमप्रिय व्यक्ति । पति । —वांन - वि० जिसमें प्रारण हो । वायु-स्त्री० प्रारण । जीव । श्वास, सांस । आक्सीजन । संकट पु० बड़ी भारी विपत्ति प्राणों के जाने लायक स्थिति र वि० प्राणों का हरण करने वाला । प्राणघातक । यम । -हरण - पु० प्राण लेने की क्रिया या भाव। यमराज । हरली बी० प्राण लेने वाली प्राणों को खतरे में डालने वाली मृत्यु मौत स्थागपु० मृत्यु | बांग-पु० प्राणों की मारने या वध करने क्षमादान । -दातावाला। धन- वि० । , 1 For Private And Personal Use Only प्रांणग्रस्टीक - वध, हत्या । हत्यारा, प्राण खंड - वि० बीर । प्रांणी (बी) कि० [सं० पोषणम् ] तोरण द्वार या गृह द्वार प्रांगदा स्त्री० [सं०] हरीतकी, हरें - पर दूल्हे या दुल्हिन का स्त्रियों द्वारा स्वागत व भगवानी| प्रांणनांम पु० [सं० प्राणनाम) हस । करना । प्राणपूर- वि० पूर्ण शक्तिशाली प्रांगण १० [सं० प्रांगणम् ] मकान के बीच या सामने की सुनी प्राणप्रतिस्टा, प्रांणप्रतिस्ठा स्त्री० [सं० प्राण-प्रतिष्ठा] १ प्राण - पु० - जमीन, प्रांगन । प्रचणादेखो 'पांचा'। प्रांचाली देखो 'पौचाळी' । धारण कराना। २ देवमूर्ति की विधि-विधान एवं मंत्रोच्चार द्वारा की जाने वाली स्थापना । १ प्राणदाता । २ स्वास्थ्य प्रांची देवो'पुराची'। प्रांची देखो 'पुराची । प्राणप्रद - वि० [सं० प्राणप्रद वर्द्धक । प्रस्टीक - पु० [सं० वृष्टिक- प्रारण] मयूर, मोर ।
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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