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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतीठिउ प्रचवीस प्रतीठिउ-देखो 'प्रतिस्ठित' । . प्रत्यग्या-देखो 'प्रतिग्या'। प्रतीत-वि० [सं०] १ गया गुजरा, बीतां हा, व्यतीत । प्रत्यनीक-पु० [सं०] एक अर्थालंकार विशेष । २ विश्वास किया ह.मा, विश्वस्त । ३ सिद्ध, साबित । प्रत्यय-पु० [सं०] १ मूल शब्द के अन्त में जुड़कर संयुक्ताक्षर ४ भली प्रकार ज्ञात, प्रसिद्ध । ५ देखो 'प्रतीति' । ___ बनाने वाला शब्द । २ पिंगल का एक अंग । प्रतीतणी (बी)-क्रि० [सं० प्रतीतिः) १ व्यतीत होना, गुजरना। | प्रत्याख्यांन-पु० [सं०] खंडन। . २विश्वास करना । प्रत्यागम-पु० [सं०] १ पुनर्जन्म। २ पुनरागमन, वापसी। प्रतीति-स्त्री० [सं०] १ विश्वास, भरोसा। २ अनुभव, प्रत्याहार-पु० [सं०] योग के पाठ अंगों में से एक । ___ जानकारी । ज्ञान । ३ कीर्ति, ख्याति । ४ हर्ष, प्रानन्द । प्रत्युक्ति-स्त्री० [सं०] जबाब, उत्तर । प्रतीप-वि० [सं०] १ प्रतिकूल, विरुद्ध, उल्टा । २ हटी, | प्रत्युत्तर-पु० [सं०] उत्तर पर उत्तर, विवाद। -कळा-स्त्री. दुराग्रही। ३ बाधक, विघ्नरूप । ४ शत्रु । ५ अप्रिय। बहत्तर कलाओं में से एक । -पु. १ एक अर्थालंकार विशेष । २ राजा शान्तनु के पिता | प्रत्यूह-पु० [सं०] १ रोक, अटकाव । २ विघ्न, बाधा। का नाम । प्रत्येक-वि० [सं०] १ बहुतों में से एक, हरेक । २ सब, समस्त । प्रतीर-पु० [सं०] किनारा, तट । ३ एक बार में एक । ४ अलग-अलग, एकाकी। प्रतीयता-देखो 'प्रतिव्रता'। प्रथ-देखो 'प्रथु'। प्रतीहार-देखो प्रतिहार'। प्रथक-प्रव्य० [सं०पृथक्] १ अलग, जुदा । २ भिन्न । ३ एकाकी। प्रतुद-पु० [सं०] पक्षी। अकेला। प्रते-देखो 'प्रति'। प्रथम-वि० [सं०] १ पहला, प्रारंभ का। २ सर्वश्रेष्ठ, उत्तम । प्रतेस्ट, प्रतेस्ठ-देखो 'प्रतिस्ठा'। ३ प्रतियोगिता या परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त । प्रतं-देखो 'प्रति' । --क्रि०वि० पहले, प्रारंभ में । -पु० पिता । प्रतोखरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रतोषणम् ] संतुष्ट करना । | प्रथमज-वि० [सं०] पहले पहल जन्मन वाला । -पु. बड़ा भाई, प्रतोद-पु० [सं०] १ बैलों को हांकने का डंडा । २ चाबुक । । अग्रज। प्रतोळका, प्रतोळिका-स्त्री० [सं० प्रतोलिका] गली। प्रथमता-स्त्रो० प्रथम होने की अवस्था या भाव । प्राथमिकता । प्रतोळी-स्त्री० [सं० प्रतोली] १ किसी नगर का मुख्य मार्ग । प्रथमपुरस-पु०[सं० प्रथम-पुरुष १ पहला व्यक्ति । २ व्याकरण २ नगर के मध्य का चौड़ा मार्ग। ३ गली। ४ मुख्य मे उत्तम पुरुष । ३ सस्कृत व्याकरण में अन्य पुरुष । द्वार, बड़ा दरवाजा । ५ नगर प्राचीर का द्वार । ६ दुर्ग का | प्रथमारण-देखा 'प्रथवी'। मुख्य द्वार। ७ वह दुर्ग जिसका द्वार नगर की भोर हो।। प्रथमा-स्त्री० [सं०] १ व्याकरण में कर्ता-कारक । २ एक -द्वार-पु० मुख्य दरवाजा। प्रकार की शराब। प्रत्त स्ट, प्रत्तस्ठ-देखो 'प्रतिस्ठा'। प्रथमाव, प्रथमादा, प्रथमी-देखो 'प्रथवी'। -सळ='प्रथवीतळ' । प्रत्य-देखो 'प्रथु'। -पोख%'प्रथवीपोख'। प्रत्यमिय-देखो 'प्रथवी'। प्रथमेण-१ देखो 'प्रथवी'। २ देखो 'प्रथम'। प्रत्थळ-देखो 'प्रथुळ'। प्रथम्म-देखो 'प्रथम'। प्रत्थी-देखो 'प्रथ्वीप'। प्रथम्मी-देखो 'प्रथवी'। प्रत्यंचा-स्त्री० [सं०] धनुष की डोरी। प्रथरोमा-देखो प्रथुरोमा'। प्रत्यत-पु० [सं०] यवन, म्लेच्छ । -देस-पु. म्लेच्छों का देश । प्रथळ-देखो 'प्रबुळ'। धरा-पु० म्लेच्छ देश । -राज-पु० यवन राजा।। प्रत्यक्ष-वि० [सं०] १ जो दिखाई दे रहा हो। २ जो वर्तमान | प्रथा प्रथवी-स्त्री० [सं० पृथ्वी] १ धरती, धरा, भूमि । २ राज्य, हो, उपस्थित, मौजूद। ३ जो इन्द्रियों से गोचर हो। राज्य का क्षेत्र । -तळ-पु. पाताल । -धणी-पु० ४ जो सबूत के तौर पर प्रस्तुत हो। ५ जो घुमाव-फिराव राजा, नप । शेषनाग । -धर-पु. राजा । शेषनाग । पर्वत । से रहित हो, सीधा, सहज । ६ स्पष्ट, साफ, साक्षात् । -नाथ-पु० राजा। शेषनाग । -पत, पति-पु० राजा । ७ समीप, पास। ८ शरीर संबंधी। -पु० चार प्रकार के यमराज। शेषनाग । -पाळ-पु. राजा । इन्द्र, मेघ । प्रमाणों में से एक । -वादी-पु. प्रत्यक्ष को ही प्रमाण -पोख-पु० इन्द्र । -राज-पु. राजा। मानने वाला व्यक्ति। प्रथवीस-पु. [सं० पृथिवीश] १ राजा, नृप । २ इन्द्र । For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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