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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org पेठावड़ी पेसगी में बाना का भाग । ८ उड़ती हुई पतंग की डोर में पड़ने पेरवी, पेरुवी-पु० [सं० पर्व १ अंगुलियों के संधिस्थान, वाली झोल । ९ देखो 'पेट' । जोड़ । २ इन जोड़ों के बीच का भाग। ३ अंगुली या पेठावड़ी-स्त्री० सफेद कुम्हड़े को मसालों के साथ पीस कर अंगूठे के ऊपर का भाग। बनाई गई बड़ी। पेरी-स्त्री० [सं० पर्व गन्ना, बाजरी, ज्वार प्रादि के पौधे या पेठो-पु० १ एक प्रकार का फल, कुम्हड़ा। २ शक्कर से पागी बांस के बीच-बीच में पाये जोड़। विभाग । हुई मावे की मिठाई विशेष । पेरोजौ-देखो 'फीरोजो'। पेडाइत-देखो 'पैडायत' । पेरचाळ, पेरचाळी-वि० (स्त्री० पेऱ्याळी) दूसरी ओर का, पेडी-स्त्री०१ द्वार की चौखट के नीचे की लकड़ी। २ दुकान | दूर का। या मकान (किराये के) के हस्तान्तरण में पहले वाले पेल-पु० पेलने का भाव, धक्का, ढकेल । किरायेदार को दी जाने वाली धन राशि । पेलणी (बो)-कि० [सं० पीड़नम्, पेलनम्] १ धक्का लगाना, पेडू-पु०१ नाभि व मूत्रेन्द्रिय के बीच का स्थान, उपस्थ । ठेलना, धकाना, ढकेलना। २ हराना, पराजित करना । २ गर्भाशय । ३ स्त्री की कामेच्छा । ३ पीछे हटाना। ४ जाना। भेजना। ५ नष्ट करना पेढ़-देखो 'पेड़। मिटाना । ६ पठाना, रवाना करना । ७ झौंकना, डालना । पेढ़ी-देखो 'पेडी'। ८ चलाना । ९ दौड़ाना। १० चालू करना । पेतावी-देखो 'पैताळो'। पेलव-वि० [सं०] १ दुर्बल, कृश, कमजोर । २ सुकुमार, पेय वाई-स्त्री० चारण वंशोत्पन्न एक देवी विशेष । कोमल । ३ सूक्ष्म, छोटा। ४ पतला, महीन, बारीक । पेदल-देखो 'पंदल'। पे'लवांन-देखो 'पहलवान' । पेदो-देखो 'पेट'। पेलवांनी-देखो ‘पहलवानी'। पेनसन-स्त्री० [मं०] सेवा निवृत्त कर्मचारी को मिलने वाला पेलाडि-स्त्री० पीड़ा, दर्द, कष्ट वेदना । मासिक वेतन, उपादान । पेलावेलि-क्रि०वि० [सं० प्रेरा, प्रेरि] बार-बार, पुनः पुनः पेनसनर, पेनसनियो-पु० सेवा निवृत्त कर्मचारी। निरतर। पेनाकी-देखो पिनाकी'। पेस-क्रि०वि० [फा० पेश] १ प्रस्तुत, उपस्थित । २ सामने, पेम-देखो 'प्रेम'। सम्मुख। -वि० १ पूर्ण, पूरा। २ हाजिर, मोजूद । पेमचीबोर-पु० कलम द्वारा मीठा किया बड़ा बेर । -पु० १ स्वामी, मालिक । २ दण्ड, कर, लाग। ३ वरुण । पेमचौ-देखो 'पोमचो'। ४ भेट, नजर । पेमजीबोर-देखो 'पेमचीबोर'। पेसकबज (कबग्ज, कवज)-पु० [फा० पेशकब्ज] कटार विशेष । पेमदी-पु. एक देव वृक्ष । पेसकस (कसि, कसी)-स्त्री० [फा० पेशकश] १ भेंट, नजर, पेमरस-देखो 'प्रेमरस'। . उपहार । २ प्रस्ताव । ३ निवेदन, अर्ज। ४ मुगलकाल में पेमल-वि. प्रेम करने वाला, प्रेमी। मोह ममता वाला। हुक्मनामे के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द । -स्त्री० मीरा बाई का बचपन का नाम । पेसकार-पु० [फा० पेशकार] १ पत्र व्यवहार प्रादि कार्यालयीय पेमली, पेमलीबोर-देखो 'पेमचीबोर'। कार्य करने वाला कर्मचारी, लेखक, लिपिक । २ छोटा पेमांनो-पु० [फा० पैमान] १ संदेश । २ देखो 'पैमानो'। मजदूर। पेमौ-देखो 'प्रेम'। पेसकारी-स्त्री० [फा० पेशकारी] 'पेशकार' का कार्य, पद या वेतन। पेय-वि० [सं०] पीने योग्य, द्रवीय गुण वाला। -पु. १ पीने | पेसखांनउ, पेसखांनो, पेसवेमौ-पु० [फा० पेशखेमा] १ अगले .. की वस्तु। २ जल-पानी। ३ दूध । ४ शर्बत । ५ देखो पड़ाव पर अग्निम लगाया जाने वाला खेमा। २ अग्रिम प्रिय' । ६ देखो 'पिता'। भेजा जाने वाला सेना का सामान । पेयामहि-देखो 'पितामह'। पेसगार-देखो 'पेसकार'। पेयी-देखो 'पेटी'। पेसगारी-देखो 'पेसकारी'। पेरण-देखो 'परण'। पेसगी-स्त्री० [फा०पेशगी] किसी कार्य के लिये अग्रिम दिया पेरणी (बी)-क्रि०१ गन्ने को कोल्ह में डाल कर रस निकालना। जाने वाला धन । -वि. अग्रिम तौर पर किया जाने २ देखो 'प्रेरणौ' (बी)। वाला। For Private And Personal Use Only
SR No.020589
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1987
Total Pages939
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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