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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org अहेज ( ८८ ) प्रख प्रहेज-क्रि० वि०१ इसी समय, अभी। २ स्नेह छोड़कर। अहो, अहौ-देखो 'अहह' । आहेत-पु. १ प्रेम का अभाव । २ वैर, वैमनस्य ।। | अहोड़ो-देखो 'मोहड़ौ'। अहेतु ग. १ कारण या हेतु का अभाव । २ देखो 'अहितु'। अहोरणौ-वि० १ असंभव । २ अयोग्य । अहेर-देखो 'याखेट'। | अहोनस, (निस, निसि)-देखो 'अहनिस'। अहेवी-कि० वि० ऐसे । -वि० ऐसा । आहेस-पु० [सं० अथ-+ ईश] १ गणेश, गजानन । अहोभाग, (ग्य)-पु० अच्छा भाग्य, सौभाग्य । २ देखो 'ग्रहीम' । अहोरात, (रात्रि)-क्रि० वि० अहिनिश, रात दिन, महेसुर, (स्वर)-पु० [सं० अहि+ईश्वर, अह+ईश्वर] लगातार नित्य । १ शेषनाग । २ मुर्य । | ब्रह्मोसो गर्व० (स्त्री० ब्रह्मीगी) हमारा, मेरा । - आ पा-पु० वर्णमाला का द्वितीय स्वर जो 'अ' का दीर्घ रूप है। प्रकलणौ, (बौ)-देखो 'यांकगो (बी)। प्रां, प्रा-सर्व० इन, इन्होंने । -पु० [अनु०] बच्चों के प्रांकवरणौ (बौ)-देखो 'प्रांकणी (बी)। रोने का स्वर। प्रांकस-देखो 'अंकुस'। प्रांइटण-देखो 'आइठरण' । प्रांकारणी, (बी) प्रे० कि०१ अंकित कराना । २ दगवाना। ग्राइणी-स्त्री० वह गाय या भैम जो दूध देने की अवस्था ३ चिह्न लगवाना। ४ नाप तौल का अनुमान कराना। में न हो। ५ जांच कराना, परखाना । ६ निश्चित कराना। प्रांइपो-देखो 'अहीणो' । प्रांकिल-वि० अंकित, चिह्नित । प्रांऊ-पु० अहंकार, गर्व । प्रांकुडौ देखो 'अंकोडो' । प्रांक-पु० [सं० अंक १ भाग्य, भाग्य के लेख । २ चिह्न, निगान । ३ पशुओं के शरीर पर दागा जाने वाला चिह्न। | प्रांकुर-पु० [सं०] अंकुर । 3 ४ अक्षर । ५ स्वर्णकारों का औजार विशेष । ६ संख्या के प्रांकुस-देखो 'अंकुस' । अंक, ० से १ तक । ७ लिखावट । ८ प्रतीक । प्रांकूर, (कोर)-देखो 'अंकुर'। प्रांकड़ो-स्त्री० १ पंक्ति, चरण (पद्य) २ देखो 'अांख'। प्रांकेल-देखो 'यांकल'। प्रांकड़ो-पु० [सं० अंक+-रा.प्र.डौ] १ आय-व्यय का लेख पत्र ।। प्रांकोड़ियौ-देखो 'अंकोड़ो' । २ आय-व्यय की राशियां । ३ भाला । ४ चन्द्राकार तोर या शस्त्र । ५ देखो 'ग्रंकोड़ो'। प्रांको-पु० १ होनी, भवितव्यता । २ अंत, समाप्ति । प्रकरणी स्त्री [सं० अंकनिकः] कविता या पद का प्रथम स्थायी प्रांख, प्रांखड़ेली, प्रांर्खाड़य, प्रांखड़ी-स्त्री० [सं० अक्षि] पद जो टेक के रूप होता में है, टेक । १ प्राणियों के शरीर की वह इन्द्रिय जिसमें देखने की प्रांकरणौ-वि० अंकित करने वाला, 'गने वाला । --पु० अंकित भक्ति होती है। नेत्र, नयन, दृग, लोचन । २ नजर, दृष्टि । करने का उपकरण । ३ पालु, जमीकंद, आदि का अर्धा कुरित भाग । ४ पेड़ अांकरणौ, (बौ)-क्रि० १ अंकित करना । २ दागना । ३ चिह्न पौधों का संधिस्थल । ५ बांस की ग्रंथि का बंशलोचन लगाना । ४ नाप-तौल का अनुमान लगान।। ५ जांचना, निकलने वाला भाग । ६ केमरे आदि यंत्रों का दर्पण युक्त परखना । ७ ठहराना, निश्चित करना । भाग । ७ इमारती लकड़ी में पड़ने वाली ग्रंथि । ८ फोड़े प्रांकल (ल्ल)-वि० [स० अकल] १ अंकित किया गया। का मुह । ६ सुई का छेद । १० मोर पंख का चंदौवा । २ दागा हुआ। ३ व्यभिचारी । ४ साहसी, वीर । ११ चरस (मोट) के किनारे का छेद । १२ नारियल के ५ चिह्नित । ---गु० दागा हवा या चिह्नित पशु । मुह पर बना गया। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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