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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रारीग ( ७० ) मलखमारणौ प्ररोग-वि० [सं० प्रारोग्य] रोग रहित, निरोग, स्वस्थ । प्रलंत-वि० व्यर्थ, निरर्थक । -पु०१ सुख । २ रोग का अभाव । ३ खाना किया। अलंब, प्रलंब-वि० [सं० अवलंबित] आश्रित, अवलंबित, अरोगण-देखो 'पारोगा। निर्भर । प्ररोगणौ-वि० (स्त्री० अरोगणी) भोजन करने वाला, खाने | अलंबुसा-स्त्री० [सं० अलंबुषा] १ गोरख मुडी । २ स्वर्ग की वाला । भक्षण करने वाला। । एक अप्सरा । प्ररोगरणी (बौ)-क्रि० [सं० प्रारोग्य] खाना, भोजन करना, अळ-देखो 'इळा' । भक्षण करना। अल-वि० [सं० अलम्] व्यर्थ, निरर्थक । -पु० [सं० अलि] प्ररोगारणौ, (बौ)-क्रि० भोजन कराना, खाना, खिलाना । १ भ्रमर, भौंरा । २ बिच्छु का डंक । ३ बिच्छु । प्ररोगी-वि० १ निरोग, स्वस्थ । २ देखो 'प्रारोगी'। ४ पानी, जल । ५ वंश, गौत्र। . अरोड़ (डौ)-वि०१ जबरदस्त । २ न रुकने वाला। अल-अली-वि० काला, श्याम । ३ वीर बहादुर । ४ बहुत, अधिक । ५ समुदाय, झुड। अलमार, (रो)-वि० निस्सार, निरर्थक । .. ६ देखो ‘अरोड़ो'। अळइयौ-देखो 'अळियौ' । अरोडणी-वि० (स्त्री० अरोड़णी) रोकने वाला। अलक-स्त्री० [सं०] १ घुघराले बालों की लटिका । जुल्फ । प्रारोपा-वि० दृढ़, मजबूत । २ घुघराले बाल । ३ हरताल । ४ मंदार । ५ महावर । अरोम-वि० [सं०] रोम या बाल रहित, निलोम । ६ केसर का उबटन । –अवली-स्त्री० बालों की राशि, प्ररोळ, अरोळी-पु० [फा० हरावल] सेना का अग्रभाग, बालों का समूह । बालों की पंक्ति। -नंदा-स्त्री० गढ़वाल हरावल । की नदी। -मध्य-पु० भाल, ललाट । -लडेती-वि० अरोहक-देखो 'आरोहक' । प्यारा, दुलारा । अरोहरण-देखो 'ग्रारोहरप' । अलका-स्त्री० [सं०] १ कुबेर-नगरी । २ बालों की लटिका, प्ररोहणौ, (बौ)-- देखो 'पारोहणौ' (बी)। अलक, जुल्फ । ३ केश । --धारी-पु० श्रीकृष्ण । अरोहित, अरोही- देखो 'पारोहित' । -नगरी-स्त्री० कुबेरपुरी । -पत, पति-पु० कुबेर । अरौ-पु० बैल गाड़ी के पहिये का एक अवयव । आठ दिग्पालों में से एक । –पुरी-स्त्री० कुबेरपुरी। अरौड़-पू० १ वेग । २ देखो 'अरोड़। . -वळ, वळि-स्त्री० केशों की लटिकाएं। अलकार--पृ० [सं०] १ आभूषण, जेवर । २ काव्य रचना की अलकाब-पु० [अ० अल्काब] उपाधि, पदवी । चमत्कारिक विधि । ३ : साहित्य के अलंकार । अलक्क-देखो 'अलक'। ४ नायिका के सौंदर्य को बढ़ाने वाले हाव-भाव । अलक्ख, अलक्ष (क्षौ)-वि० [सं० अलक्ष, अलक्ष्य] १ जो ५ बहत्तर कलाओं में से एक । ६ प्रथम गुरु सहित चार | लक्ष या लाख के बराबर हो, लाख । २ न देखा हुग्रा, मात्रा का नाम । ७ उपाधि विशेष । अलक्षित । ३ अदृश्य, अज्ञात ।-पु० १ ईश्वर, परमेश्वर । अलंक्रत, (क्रिन)-वि० [सं० अलंकृत]१ सजाया हुअा, शृंगारित । २ दश नामी संन्यासियों द्वारा भिक्षा मांगते समय उच्चारण २ ग्राभूपण या उपाधि धारित । ३ काव्यालंकार युक्त । किया जाने वाला शब्द। ४ चारू, चमत्कृत । अलक्षण-पु० [सं०] अशुभ, बुरा लक्षण । -वि० लक्षण रहित । अलंकिती-वि० [सं० अलंकृति:] अलंकारों का जानकार । अलक्ष्य-देखो 'अलकख'। -पु० १ सजावट । २ अाभूगण । अलंग, (ती), अलंगां, (ण)-पू०१ सेना का पक्ष । २ दिणा।। अलख पु०१ तीर । २ एक प्रकार का रोग । --पुरख-पू० ३ आलिंगन । -वि० [स० अनुलंघय] १ ऊचा, उत्तंग । ईश्वर । ---अवन, भुयरण-पु० स्वर्ग । २ पहुंच मे परे । ३ बहुत । -क्रि०वि० ४ ऊपर, दूर। अलखलडेतो, अलखलडौ-वि० (स्त्री० अलखलडी) प्यारा, ५ अतिदूर । प्रिय, प्रियतम । अलंगणौ, (बी)-देखो 'प्रालिगणौ' (बौ)। अलखांमरण-स्त्री० १ शरारत, उद्दण्डता । २ उदामीनता, अलंगारणौ, (बौ) - देखो 'आलिंगगौ' (बौ)। खिन्नता। अलंगार-पु० योद्धा, वीर। अलखांमरणौ, (वरणी)-वि० (स्त्री० अलखामणी) १ अप्रिय, अलंगी-देखो 'अलंग'। अरुचिकर । २ बुरा, खराब । ३ खिन्न-चित । ४ उद्दण्ड, प्रलंघा कि०वि० दूर, अति दूर । शरारती। ५ अजनबी। ६ अनोखा, असह्य । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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