SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अरखी अरखी - क्रि०वि० शीघ्र, फौरन । धरणी० [सं० पारिग] तलवार श्ररगजौ-पु० सुगंधित उबटन | श्ररगणौ (बौ) - देखो 'ग्ररघणी' ( बौ) । www.kobatirth.org (६६) श्ररगत, (ती, तौ) - पु० लोहा छीलने या घिसने का उपकरण । घरगनी स्त्री० [देश०] कपड़ा सुखाने के लिए लटकाई जाने वाली रस्सी या लकड़ी । की एक विधि अ २ जन . धरजमा पु० [सं० प्रमा] सूर्य - वि० अजन्मा | अरजळ - वि० १ व्याकुल । २ घायल। -पु० घोड़ा, जिसका एक पांव श्वेत हो । अरजाऊ - वि० अर्ज करने वाला, प्रार्थी, निवेदक । अरगळा स्त्री० [सं० अर्गला ] दोनों कपाटों के बीच लगाई प्ररजित वि० [सं० प्रजित] १ कमाया हुमा, उपार्जित । २ जोड़ा हुआ, संगृहीत । ३ प्राप्त । जाने वाली रोक, अर्गला । अरघ गु० [सं०] धर्ष १ पूजन परजु की अंजलि । - पात्र - पु० पूजन का जल पात्र । श्ररघणौ, (बौ) - क्रि० जल के अर्ध्य से पूजा करना । अरघळ पघळ - वि०यौ० [अनु०] प्रचुर, बहुत । श्ररघौ-पु० पूजन का जल पात्र । रजी स्त्री० [फा०] १ प्रार्थना निवेदन । २ फरियाद ३ प्रार्थना-पत्र | दावौ पु० दीवानी दावे का श्रावेदन-पत्र । (न, अ)- पु० [सं० अर्जुनः] १ पांच पांडवों में से एक । २ सहस्रार्जुन । ३ स्वर्ण । विशेष । वि० १ श्वेत, सफेद ४ चांदी ५ एक वृक्ष । घर-स्त्री० १ पेड़ या मोटी लकड़ी टूटने की ध्वनि २ स या ऊंट की आवाज । ३ बलात् धंसने की क्रिया । ४ भय, प्रातंक | धरी (बी) देखो 'राणी' (यो) अरड़ारण- पु० रुदन, विलाप । रहाट (०१ प्रांधी की आवाज आवाज | ३ दर्द या दुःख भरी आवाज की आवाज । २ तेज वर्षा की । ४ भैंस या ऊंट अरड़ारणौ, (बौ), श्ररड़ावणौ, (ब) - क्रि०१ चिल्लाना, चीखना । २ दर्द या दुःख भरी आवाज करना । ३ धंसाना, फंसाना । ४ भैंस या ऊंट का दर्द पूर्ण प्रावाज करना । अरड़ाव - पु० १ चीख, चिल्लाहट । २ ध्वनि । पड़ग (डोंग, हींगी) वि० १ बलवान, २ सहनशील । ३ योद्धा, शुरवीर । पु० व्यवधान | घरची (सौ) देखो हमी' । अरड़ौ वि० बलात् घुसने वाला पु० धक्का । श्रश्चरणौ (बी) - क्रि० [सं० अर्चनम् ] पूजन करना, पूजा करना । अर्चना करना । श्ररचन - पु० [सं० श्रर्चनम् ] पूजन अर्चन । अरचा स्त्री० [सं० अर्चा] १ पूजा । २ श्रृंगार । ३ मूर्ति या प्रतिमा । ४ चर्चा । श्ररचारणौ ( बौ), अरचावरणौ (बी) - क्रि० पूजा कराना । प्ररचित वि० [सं०] प्रचित ] पूजित, पूजा हुआ । रवी (बी) 'घरची' अरज - स्त्री० [अ०] ग्रर्ज ] १ प्रार्थना, निवेदन, ग्रर्जी । २ चौड़ाई ० ३ राजा ४ अर्जुन (न, न ) - पु० [सं० अर्जनम् ] १ उपार्जन, ग्राम १ उपार्जन, प्राय कमाई । २ उपलब्धि, प्राप्ति । ३ संग्रह । ४ देखो 'अरजुगा' । अरज शक्तिशाली । श्ररजणौ (बौ) - क्रि० उपार्जन करना, कमाना, प्राप्त करना । अरजनपता, (पिता) - पु० १ इन्द्र का नामान्तर । २ पांडु । श्ररजनी-स्त्री० ० गाय, गौ 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 धरणोद ध्वज - पु० हनुमान का नाम । -सखा- पु० श्रीकृष्ण । अरजुनी - स्त्री० [सं० अर्जुनी] गाय । श्ररज्ज- देखो 'रज' । बरक्स (ज्जन, ज्यूल) देखो 'घर' । घरला स्वी० जमीन अरट, बरटियी धर-पु० [सं० घरपट्ट] १ कुऐ से पानी निकालने का मालाकार यंत्र । रहट । २ डिंगल का एक गीत ( छंद ) । ३ एक प्रकार की बन्दूक । ४ सूत कातने का चरखा । ५ एक लोक गीत विशेष । वन-देनो 'रडींग' | २ काला श्याम -घुज, धरौ (सौ) - १ एक प्रकार का क्षुप विशेष । २ इस क्षुप के समान पत्तों वाला वृक्ष । (मेबात ) [सं० अरण्य ] · २ अग्नि याग । ६ देखो 'ख' अरण, (य) - पु० [सं०] धरणिः] ५ देखो'' अरणव- पु० [सं० अवि: ] १ समुद्र सागर । २ इन्द्र | ३ सूर्य । -मंदिर- पु० वरुशादेव । For Private And Personal Use Only १ जंगल । वन, ३ युद्ध । ४ चांदी | पण (ली) स्वी० [सं० पर िधरणी] १ काष्ठ से उत्पन्न नि । २ श्रौषध बूटी । ३ अग्निमंथ । ४ सूर्य । ५. एक लोकगीत विशेष । -अगनी स्त्री० यज्ञाग्नि । दावानल | अरणी पु० ० परण्य] १ जोधपुर के दक्षिण में स्थित एक तीर्थ कुंड । २ जगली भैंसा | [सं० अरणि] ३ छेकुर का वृक्ष या उसकी लकड़ी । वि० [सं० ग्रारण्य | जंगल का, जंगल संबंधी । श्ररणौद, श्ररणौवय - पु० [सं० प्ररुणोदय ] १ उषाकाल, अरुणोदय । २ सूर्य, भानु ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy