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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाम (६४. ) दिकरी दास-पू०[सं०] (स्त्री० दासी) १ सेवक, चाकर नौकर । | दाहजनक-वि० [सं०] ताप या अग्नि उत्पन्न करने वाला। २ गुलाम । ३ मछवा । ४ शूद्र । ५ भक्त [सं० दाश] । ताप देने वाला। ६ धीवर, मछुवा । दाहज्वर-पु० [सं०] अधिक ताप वाला ज्वर । दासड़ली, दासड़ी, दासडली, वासडी-देखो 'दासी । दाहण-पु० [सं० दाहन] अग्नि, प्राग । दासतांन-देखो 'दास्तांन' । दाहरणो-वि० [सं० दाह] (स्त्री० दाहणी) १ नाश करने वाला, दासता-स्त्री० [सं०] १ गुलामी, परतंत्रता । २ सेवावृत्ति।। महार करने वाला । २ जलाने वाला, भस्म करने वाला। ३ सेवक का कार्य । ४ नौकरी। ४ भक्ति । ३ संतप्त करने वाला । ४ देखो 'दाहिणी'। दासदासांन-देखो 'दासानुदास' । | दाहणी (बी)-क्रि० [सं० दाह] १ जलना। २ जलकर भस्म दासदीकोळा-पु० एक वर्ग विशेष । होना । ३ संतप्त होना, दुःखी होना । ४ जलाना । बासनंदरणी, बासनंदिनी-स्त्री० [सं० दाशनंदिनी] धीबर की। ५ जलाकर भस्म करता। ६ संतप्त करना, दुःखी करना । पुत्री, सत्यवती, मत्स्यगंधा। ७ संहार करना, नाश करना । ८ तपाना । दासपण (गो)-पु० [सं० दासत्वन] १ दासत्व, गुलामी । वाहनो-१ देखो 'दाहणो' । २ देखो 'दाहिणौ'। २ सेवाकर्म। दाहा-स्त्री० १ दाह क्रिया । २ देखो 'दाव' । दासरस्थ, दासरथ (थि, थी, थ्यो)-पु० [सं० दाशरथ:) दाहिणउ-देखो 'दाहिणी'। १ श्रीराम । २ दशरथ ।। दाहिरणे (ण, नै)-क्रि० वि० [सं० दक्षिण] दाहिनी ओर। दासातन-पु० [सं० दासत्वन] दासता, गुलामी । दाहिणी (बी)-वि० [सं० दक्षिण] (स्त्री० दाहिणी) १ बायां दासानुदास-पु० [सं०] १ भक्तों का भक्त । २ गुलामों का ___ का विपर्याय दायां । २ दाहिनी ओर का। गुलाम । ३ छोटा, तुच्छ । दाहिमा-पु० [सं० दाधीच] १ दाधीच ब्राह्मण । २ एक दासि-देखो 'दासी'। राजपूत वंश। दासिक-देखो 'दास'। बाहु-देखो 'दाह'। दासी-स्त्री० [सं०] १ सेवा करने वाली स्त्री. सेविका । दाहा-पु० म० दाह] १ उष्णता प्रकट करने वाला ज्वर । २ परिचायिका । ३ नौकरानी । ४ वेश्या, गणिका । . । २ देखो 'दाव' । ३ देखो 'दा'वो'। ५ गुलाम स्त्री। [सं० दाशी] ६ धोवर की स्त्री। ७ शूद्र दिकनखत्र, दिगनक्षत्र-पु० [सं० दिङ् नक्षत्र] विशिष्ट दिशाओं की स्त्री। -जादौ-पु० दासीपुत्र । संबंधी नक्षत्र । दासेर, दामेरक-पु० [सं० दासे रक] १ऊंट। २ मटुमा । दिगमूढ-देखो ‘दिगमूढ'। वासो-पु. १ देहलीज या किसी द्वार के नीचे लगा पत्थर। दाम्पु० एक प्रकार का नृत्य । २ बाहर निकली किनार वाला, दीवार में लगा लम्बा दिडी-पु. (सं०) एक छन्द विशेष । पत्थर । ३ देखो 'दास'। दि-स्त्री०१ प्रांख । २ दशों दिशाएँ। -वि० १ दातार, उदार। दास्तांन-स्त्री० [फा०] १ वृत्तान्त, हाल । २ कथा, कहानी। 1 २ पालने वाला, पालक । ३ वर्णन । ४ इतिहास । दिप्रण-वि० (स्त्री० दिप्रणी) देने वाला, दाता। दाह-स्त्री० [सं०] १ भस्मीकरण, जलाना किया । २ जलन । दिक-स्त्री० [सं० दिक] -पु. १ दिशा । २ युवा हाथी। ३ दाह संस्कार । ४ ताप । ५ संताप । ६ प्राग। ३ क्षय रोग । -वि० (अ० दिक) १ तंग, हैरान । ७ लालिमा । ८ ईर्ष्या, द्वेष । ६ दुःख, पीड़ा। २ अस्वस्थ, बीमार। १० देखो 'दाव'। दिककन्या-स्त्री० [सं०] दिशा रूपी कन्या। दाहक-पु० [सं०] अग्नि, आग । -वि० जलाने वाला। दिककुमार-पु० [सं०] एक देवता । दाहकता-स्त्री० [सं०] जलने का भाव, गुण । दिकचक्र-पु० [सं०] १ पाठों दिशात्रों का समूह । दाहकरम-पु० [सं० दाहकर्म] शव जलाने का कार्य, २.१६ दिशाओं का समूह । दाह संस्कार। दिकपति-पु० [सं०] दिशाओं का पति । दिकपाल । दिकपाळ -पु० [सं० दिक्पाल] १ दिशाओं के स्वामी देवता। दाहकास्द-पृ० [सं० दाहकाष्ठ] अगर की लकड़ी। २ हाथी, गज। दाहक्रम-देखो 'दाहकरम'। दिकमूढ़-देखो 'दिगमूह'। दाहक्रिया-स्त्री० [सं०] दाह-संस्कार । | दिकरी-देखो 'दीकरी'। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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