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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरजका तुळजा तरजक-स्वी हरड़, हरें। तुराट-पु० घोडा। तरजाळ-१० घोड़ा, अश्य । तुराटी-स्त्री० हल्का नशा, नणे की लहर । तुजिका-सा 'सुरजकः।। तुरातुर-कि०वि० प्रतिगीन, झटा झट । तुरण-त्रि०वि० सं० तुगम् ] तुरन्त, शीघ्र । तुरापांचम-स्त्री० माघ शुक्ला नमी, वसंत पंचमी । तररणी-देखो तरुगी'। तुरायण-पु० [स० ) चैत्र शुक्ला पंचमी व वैशाख शुक्ला पंचमी तरत-देखो तुरंत'। को किया जाने वाला यज्ञ । तरतबुद्धि वि० हाजिर जवाब । तुरावत-वि० [सं० त्वरावत् ] (स्त्री० तुरावती)वेगवान, वेगयुक्त। तुरता-देखा 'तृरंत'। तुरासाट, तुरासाह-पु० [सं० तुगपाट ] इन्द्र । तुरतारण -देखो 'तुरंत'। तुरि, तुरिउ, तुरिए-कि०वि० [सं० त्वरित् १ शीघ्र, जल्दी। तुरती-स्त्री० १ गली। २ देखो तुरंत' । २ देखो तुरी । तरतुरियौ-पु० दाल या बेसन का बड़ा, पकौड़ा। तुरित-देखो 'तुरत' । -वि० जल्दबाज । उतावला । तुरियद-देखो 'तुरंग'। तरपग--पु० नृत्य का एक भेद । तुरिय-१ देखो 'तुरंत' । २ देखो 'तुरी' । तुरप-देखो 'तुम। तुरिया-स्त्री० [सं० तुरीय] १ मोक्ष ज्ञान । ज्ञान की चतुर्थातरपण-स्त्री० हाथ की मजबूत मिलाई । तुरपाई। वस्था । २ चौथा भाग । ३ घोड़ा। -वि० चतुर्थ, चौथा । तरपरणौ (बो)-कि० हाथ से सिलाई करना, तूनना। तुरपाई तुरियो-देखो 'तुरंग'। करना। तुरी-स्त्री० [सं०] १ चित्रकार की कूची। २ ढरकी, नारी। तुरपाई-स्त्री० महीन व मजबूत, हाथ की सिलाई। ३ जुलाहों का एक औजार । [सं० तुरंग] ४ घोड़ी। तुरफ -देखो तुरुग'। ५ लगाम, बाग । ६ तुरही नामक वाद्य । ७ छोटी तुरफरो स्त्री० अंकुश का एक भाग । कलंगी। ८ घोड़ा। तरमती-स्त्री० [सं० तुग्मता] शिकार करने वाली एक चिड़िया। तुरीजंत्र-पु० [सं० तुरीयंत्र] सूर्य की गति बताने वाला यंत्र । तरमनांमौ-पु० एक अंग्रेजी वाद्य । तुरीय-देखो 'तुरिय' । तुरय्या-पु० स० तुर्या] १ मुक्ति प्राप्त होने का ज्ञान, तुरीय तुरीयतरंग-पु० दो नलियों का एक वाद्य विशेष । ज्ञान । २ एक प्रकार की सब्जी । तुरीया-देखो 'तुरिया'। तुररी-स्त्री० [सं० तुरम् मुह से फूक कर बजाने का बाजा। तुरीस-क्रि०वि० शीघ्र, तुरंत । -पु० घोड़ा। तर-पु० म तुर्ग १ घघगने वालों की लट, अलक। तुरुक-देखो तुरक'। २ टोपी, पगड़ी ग्रादि पर लगने वाली कलगी। ३ दूल्हे के तरुप-पु० लाश के खेल में रंग की चाल । शिर पर लगाने की सुन्दरी कलगी। ४ पुष्प विशेष, तुरुपणौ (बौ)-देखा 'तुरपणी' (बौ) । गुलतर्ग। ५ पु.लों का गृच्छ।। ६ श्मश्र, मूछ । --वि. श्रेष्ठ, तुरुपाई-देखो 'तुरपाई। शिरमौर। तुरळ-पृ० प्रचण्ड वायु, ववण्डर । तुरुही-देखो 'तुरी'। तरवसु-पु० [सं० तृर्वस] राजा ययाति का एक पुत्र । तुरेस-पु० (सं० तुरंगेण] श्रेष्ठ घोड़ा । तुरस-वि० [फा० तुर्श | खट्टा । -स्त्री ढाल । तुरंया-देखो 'तुरी'। तुरसाई, तरसाही-स्त्री० १ खटाई, खट्टापन । २ जायका, स्वाद । तुरौ-देखो तुररौ'। तुरस्स-देखो 'तुग्म'। तुरह-क्रि० वि० [सं० वर] शीघ्र, जल्दी। तुळ तुल-पु० [सं० तल] १ एक लग्न । २ घास । ३ तुला राशि । ४ तराजु. तुला । -वि० [सं० तुल्य] समान। तुरही-देखो 'तुरगे'। तुरांग-पु० [सं० तुरग] घोड़ा, अश्व । तुळछ, तुळछां तळछी-देखो 'तुळसी'। -दळ ='तुळसीदळ' । तुरांन-पु० मध्य एशिया का एक भाग । तुळछांतेला पु० कात्तिक शुक्ला अष्टमी से ग्यारस तक किये त्रांनी-पु० उक्त भाग में बसने वाला, मुगल । जाने वाले तीन व्रत । तुरा-स्त्री० [सं० त्वरा] शीघ्रता, जल्दबाजी। तळजा, तुळजाउ, तुळज्जा, तुलज्या-स्त्री० [सं० तुल्य-ज्या तुराखाट, तराखाड-पु० [मं० तरापाट्] इन्द्र, सुरराज । पार्वती । दुर्गा । एक देवी का नाम । -वि० वृद्धा, बूढी । माया For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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