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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ठहरा १३ गर्भवती करना । १४ प्रतीक्षा कराना । जमाना । १६ ज्ञात करना जानना । १७ बंद १८ धैर्य देना । www. kobatirth.org ( ५२३ ) १५ पक्का कराना । ठहराव - पु० १ स्थिरता, विश्राम। २ ठहरना क्रिया या भाव। ३ निश्चय, निर्धारण । ४ विश्रामस्थल । ५ धैर्य शांति । ६ छन्द शास्त्र में यति । ठहरावणी (बौ) देखो 'ठहराणी' (बी)। - ठहाणी (बौ) - क्रि० १ निश्चित करना, तय करना । २ उचित बैठाना, जमाना । ३ रोकना, ठहराना । ४ लगाना । ५ मारना । ६ स्थापित करना । ७ शोभित करना । ८ प्रहार करना । ६ नगारा बजाना । १० ध्वनि करना । ११ ठसाना । १२ स्थिर करना । १४ धारण कराना । १३ ठोस करना। ठहीक-स्त्री० १ प्रहार करने का भाव । २ ध्वनि, आवाज । ठहीड़णी (बौ) - १ पीटना, मारना । २ बजाना । ३ ध्वनि करना । ठहीड़ी - पु० १ आवाज, ध्वनि । २ प्रहार, चोट, ग्राघात । ३ प्रहार की ध्वनि । ४ सहसा उठने वाला दर्द । ठहोड़णी (बी) - देखो 'ठहीड़गो' (बी) । ठां' । ठो' पु० [सं०] स्वा] १ स्थान का स्थान । डांगर स्त्री० सुगमता से दूध न दूहने देने वाली गाय । ठांगळरणो (बौ) - क्रि० १ मारना पीटना । २ दण्ड देना । ३ अधीन करना, काबू में करना । ढांगळी - पु० १ कंदी, बंदी । २ वश, काबू | डांड, डांडर स्वी० बांझ मवेशी बंध्या मादा पशु वि० १ सूखा, नीरस । २ प्रत्यन्त ठंडा । ठांठरणौ (बौ) - क्रि० १ सूखना, नीरस होना । २ ठंडा पड़ना । ३ ठंडा होना। ठाठराखौ ( ब ) - १ नीरस करना, सुखाना २ ठंडा करना । ठांठी-स्त्री० बंध्या ऊंटनी । ठांठी - वि० तौल में कम । ठांण (उ) - स्त्री० [सं० स्थान] १ मवेशियों को नियमित बांध कर रखने का स्थान । २ ऐसे स्थान पर बना खाना, कुण्ड आदि जिसमें चारा चराया जाता है । ३ उत्पत्ति का स्थान, जन्म भूमि । ४ स्थान । ५ गति की निवृत्ति, स्थिति, अवस्थान (जैन) । ६ कारण, निमित्त । ७ स्वरूप प्राप्ति (जैन) । ८ आसन (जैन) । ९ निवास, आवास । १० स्थान, पद (जैन) । ११ प्रकार, भेद (जैन) । १२ धर्म, गुण (जैन) १३ पाथय, मकान, घर, वस्ती, प्राधार (जैन) । १४ 'ठाणांग' सूत्र (जैन) । १५ कायिक क्रिया, ममत्व श्रादि का त्याग (जैन) । । दांगुण पु० [१०] स्वानगुण] अधर्मास्तिकाय (जैन) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठांठिय- वि० स्थानास्थित (जैन) । ठांगो (बी) कि० १ विचार करना । २ निश्चय करना। तय करना । ३ जर्जरित करना, ढीला करना । ४ रखना, स्थापित करना । ५ करना । ६ दृढ़ संकल्प करना । ठांणपूर - वि० १ स्थान की प्रतिष्ठा रखने वाला, मान-मर्यादा वाला । २ प्रतिष्ठित । ३ गंभीर । ठाणबंधु पु० [सं०] ठाणबंधु] ४९ क्षेत्रपालों में से २८ व क्षेत्रपाल । ठiणभट ( भट्ट, मिस्ट) - वि० [सं० स्थानभ्रष्ट ] पदच्युत । (जैन) ठांरसंरंगगार- वि० केवल स्थान ठांरणसंगार वि० केवल स्थान की शोभा बढ़ाने वाला ठोठावि० स्थानान्तरित टांगावंग पु० एक सूत्र व (जैन) जगह २ घनीभूत झाड़ियों टांगायच पु० [सं० स्थानायय ] ऊंचा स्थान (जैन) । डारि वि० [सं० स्थानिन्] स्थान वाला (जैन) । ठांरिणयो- पु० १ अस्तबल की सफाई करने वाला । २ देखो 'डां'। ठह (व्यंग्य) । ठांगांग - पु० [सं० स्थानांगम] १ सूत्र का अध्ययन । २ एक सूत्र का नाम । ठाणा - पु० व्यक्ति (जैन) । ठांगाइय वि० [सं० स्थानातिग] भौतिक तत्वों से विरक्त एवं ध्यानावस्थित। - ठवणी (बी), ठांमणौ (ब)- क्रि० १ चलते कम को रोकना, बंद कर देना । २ रोकना, ठहराना । ३ गिरते हुए को पकड़ना, संभालना, बचाना ४ पकड़े रहना, पकड़ना । ५ मदद या सहायता करना | ६ कार्यभार संभालना, उत्तरदायित्व लेना । ७ चौकसी या पहरे में रखना । ठांम (डी) पु० [सं० स्थान] १ स्थान, जगह २ पात्र, वर्तन ३ मकान का भीतरी कक्ष । ४ कमरा । | For Private And Personal Use Only ठांमड़ी स्त्री० ० कुए पर लगे चक्र की गति को नियंत्रित करने की रस्सी । ठांमणी (बौ) - देखो 'ठाभरणी' (बौ) । ठांमी - वि० स्थान पर रहने वाला । ठांय - स्त्री० १ बन्दूक आदि के चलने की ध्वनि । २ देखो 'ठांप' । ठांव (डौ) - देखो 'ठांम' । ठांसण-स्त्री० ० एक प्रकार की घास । ठांसरणी - स्त्री० सहारा । ठांगो-देखो 'टांसरणी' । ठांसरणी (बौ) - १ देखो 'सरी' (ब)। २ देखो 'टासणी' (बी) | ठांसौ पु० १ फैला हुया फेर का पेड़ २ धन्या । डोह-देखो 'ठां'।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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