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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवनद जु जीवनद-पु०१ कमठ । २ बादल मेघ । जीवाजीव-पु० [सं०] १ जीब और अजीव पदार्थ । २ जीव जीवनधन-पु० [सं०] १ परमप्रिय, जीवनसर्वस्व । अजीव समझने का उत्तराध्ययन का ३६वां अध्ययन । २ प्राणाधार, प्राणप्रिय । जवाजूरण (जोण)-पु० [सं०] जीवयोनि । प्राणी मात्र । जीवनबूटी-स्त्री० संजीवनी । जीवारणी (बौ)-क्रि० १ जिंदा रखना सजीव, रखना । २ प्राण जीवनव्रतंत (व्रतांत)-पु० [सं० जीवनवृत्त] किसी आदर्श युक्त करना, जिलाना। ३ जिंदगी कटवाना। ४ निर्वाह पुरुष के जीवन चरित्र का विवरण । जीवनी। कराना । ५ होश में लाना, चैतन्य करना । ६ चिंताओं से जीवनवत्ति-स्त्री० [सं० जीवनवृत्ति] आजीविका, रोजी। मुक्त करना । ७ आराम देना । ८ कष्ट निवारण करना । जीवना-स्त्री० हिम्मत, साहस। जीवात्मा-स्त्री० [सं०] किसी जीव की प्रात्मा, प्राण, जीवनि, जीवनी-स्त्री० [सं० जीवनी] १ किसी व्यक्ति विशेष | चैतन्य तत्त्व । के जीवन का परिचय । २ किसी व्यक्ति के आदर्श पूर्ण | जीवाद-पु० [सं० जीव-पादि] जीव जंतु, प्राणी। कार्यों का विवरण। जीवाधार-वि० प्राणों का अवलम्बन, परमप्रिय । जीवनीय-पु० [सं०] १ पानी । २ दूध । -वि० १ जीवन जीवापोतौ-पु० [सं० पुत्र जीवक] पुत्र जीवक । संबंधी । २ जीने योग्य । -गण-पु० बलवर्धक औषधि । | जीवारी-स्त्री० [सं० जीव] १ जीविका, रोजी। २ जीवन, जीवन्मुक्त-वि० [सं०] सांसारिक मायाजाल से मुक्त । प्राण । ३ जिंदा रहने का साधन । ४ निर्वाह, गुजारा । जीवण्णसिय-पु० विष्णुगुप्त प्राचार्य के मत का अनुयायी। | जीवाल()-वि० [सं० जीव+पालुच्] (स्त्री० जीवाळी) जीवपति-पु० [सं०] धर्मराज । १ साहसी, हिम्मतवर । २ जानदार, दमवाला । ३ तेज चलने जीवबंधु (बंधू)-[सं०] जीब बंधु, बंधुजीव, बंधूक । वाला। -पु० प्राण, जीवन । जीवमासा-स्त्री० जीव जन्तुओं, जानवरों की भाषा । | जीवावरणौ (बौ)-देखो 'जीवाणी' (बी)। जीवमाता, (मात्रका)-स्त्री० [सं० जीवमातृका] जीवों का | जीवाहन-देखो 'जीमूतवाहन' । पालन करनेवाली सप्त देवियां । जीवि-देखो 'जीवी'। जीवरखी-स्त्री० एक प्रकार का सन्नाह, कवच । जीवित-वि० [सं०] जो जिंदा हो, जिसमें प्राण हों, जो जी रहा जीवरखौ-पु० १ बड़े दुर्ग की रक्षार्थ चारों ओर बने छोटे-छोटे । | हो, सजीव चैतन्य । दुर्गों में से एक, गढ़ी। २ जीवन रक्षा का उपाय । ३ कवच जीवितेस-पु० [सं० जीवितेश] १ सूर्य । २ इन्द्र । ३ यम । समाह । ४ प्राण रक्षक । ४ देह की इड़ा-पिंगला नाड़ी । ५ प्राण प्रिय । जीवरि (खि) -देखो 'जिमूतरिखि'। जीविय-देखो 'जीवित' । जीवियट्ठ-क्रि० वि० जीवन के लिये, जीवनार्थ । (जैन) जीवलोक-पु० [सं०] भूलोक, मृत्युलोक । जीवियत-पु० जीवन का अन्त, जीवितान्त । (जैन) जीवसंभ-देखो 'जीवतसंभ' । जीवी-वि० [सं०जीविन] जीने वाला, प्रारणवान, प्राणी, जीव । जीवसम (समौ)-वि० (स्त्री० जीवसमी) परम प्रिय, प्यारा। -पु० जीवन । (हिसा)-प० [सं०1१जीवों को मारने की क्रिया | जीवेस-पु० [सं० जीवेश] ईश्वर, परमात्मा । जीववध । २ इस कार्य के करने से लगने वाला पाप । जीवोपाधि-स्त्री० [सं०] जीव की तीन अवस्थाएँ । ३ शिकार। जीसा-पु० पिता, पिता के बड़े भाई के लिए उच्चारण किया जाने वाला सम्मान सूचक शब्द । जीवाण-पु० जलाशय, तालाब । जीह-क्रि० वि० जहां । जीवांणी-पु० जल छानने से बचे जल जीव, जीव । जोहडा-स्त्री० घोड़ों की एक जाति । जीवाणुसासण-पु० [सं० जीवाणुशासन] १ जीव की शिक्षा जीहाळ-पु० १ बकरा । २ बकरे के रूप में लिया जाने एवं समझ । २ इससे सम्बन्धित ग्रंथ । (जैन) वाला कर । जीवांतक-वि० [सं०] जीवों का हत्यारा, वधक, व्याध। जीहिदिय-स्त्री० [सं० जिह्वन्द्रिय] जीभ, रसना। रसनेन्द्रिय जीवा-स्त्री० [सं०] १ संजीवनी । २ पृथ्वी । ३ धनुष की डोरी। जीहुँ, जीहूँ-क्रि० वि० जिस प्रकार, जैसे। ४ जीवन । ५ जल, पानी। ६ जीवनवृत्ति । ७ झंकार, जीहें (हैं)-सर्व० जो, जिस । ध्वनि । ८ वृत्तांशों को मिलाने वाली रेखा। जीहौ-क्रि०वि० जैसा, जिस प्रकार । जीवाउणौ (बी), जीवाड़गो (बौ)-देखो 'जीवाणी' (बी)। । जु-क्रि० वि० जैसे, ज्यों, जिस तरह । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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