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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छौगौ www.kobatirth.org ( ४३७ ) छोगी पु० [सं०] [ग] १ साफे का तुर्रा, पीछे लटकने वाला पल्ला । २ घोड़े के सिर पर लगा तुर्रा । ३ गुच्छा -वि० श्रेष्ठ शिरोमणि । छोती-देखो 'ती'। यौन-देखो छोरा' | छोड़-स्त्री० स्त्रियों के गर्भाशय का एक रोग । छोड छोडल छोडियो छोडी ० १ छिलका, छाल, सुता छोल-स्त्री० फीत २ नाक का सूखा मल । ३ खुरंट | छो-देखो 'होत" | -देवनागरी वर्णमाला के 'च' वर्ग का तीसरा वर्ण । जं- क्रि० वि० [सं० यत् ] क्योंकि, कारण कि । (जैन) किवि श्रव्य० [सं० यत्किचित् ] १ जो कुछ । २ थोड़ा, न्यून जंबेरौ - १- पु० १ वायु का झोंका २ साधारण वस्तुओं का समूह । जंग - पु० [फा०] १ लड़ाई, युद्ध । २ आनंद का प्रसंग । ३ लोहे का मुरचा । ४ पीतल की गुरिया, छोटा घंटा । - आवरपु० योद्धा काली-वि० युद्धोन्मत्त बाळ-पु० युद्ध के लिये उपयुक्त घोड़ा। जूट- पु० शूरवीर, योद्धा । जंगड़ी स्त्री० छोटी कच्छी, जोगिया । जंगम (मांस) वि० [सं० जंगम] १ चलायमान पंचत २ अस्थिर, चल । ३ जीवधारी । ४ चैतन्य । पु० १ एक प्रकार का संन्यासी । २ घोड़ा । ३ छप्पय छंद का एक भेद । -काय - १० डीन्द्रिय प्राणी जस जीव विस पु० एक तीव्र विष । पु० त्रस । जंगरी - पु० योद्धा । जंगळ - पु० [सं० जंगल] १ वन, अरण्य । २ जन शून्य भूमि । ३ रेगिस्तान । ४ घोड़ा । ५ दिशा, मैदान । ६ मांस । -धर, धरा- स्त्री० जांगलू देश, बीकानेर राज्य राय, राव पु० बीकानेर का राजा श्री करणीदेवी सिंह, शेर वि० [सं० मंगल] जगदेश का बीकानेर का - पु० बीकानेर का राजा । o जंगळायत- पु० वन विभाग । जंगळी- वि० १ जंगल का, जंगल संबंधी । २ जंगल में रहने वाला । ३ जो पालतू न हो, स्वतंत्र । ४ असभ्य, गंवार | ५ मूर्ख बेवकूफ ५० घोड़ा । जंगसारधारण- पु० वीर, योद्धा, छौरावी देखो 'छोरी'। छौळ (ळि) - स्त्री० १ पानी की लहर, तरंग, हिलोर । २ बौछार । ३ उमंग, उत्साह । ४ खुशी का संचार ५ श्रीड़ा ६ खुशी ७ धारा प्रवाह रोम ८ । छोळांना पु० १ समुद्र । २ दानी व्यक्ति । छयाळी-देखो 'छाळी' । ना' रियो 'छालीना'र' । देवाली' । छपास देखो 'घास' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जंगाळ - पु० १ सुहाग बिन्दी लगाने का लाल रंग । २ घोड़ा । १३ सेना का दक्षिणी भाग । ४ युद्ध का नगाड़ा । जंगाळी- वि० लाल रंग का । जंग - वि० जंगम का, जंगम संबंधी । (जैन) जंगी (गू) - वि० [फा०] १ लड़ाई या युद्ध संबंधी । २ फौजी; सैनिक । ३ बड़ा, दीर्घकाय । ४ मजबूत, दृढ़ । ५ वीर; योद्धा | ६ लड़ाकू । - कार - पु० एक प्रकार का तीर । - राग - स्त्री० सिंधु राग । लाट, लाठ-पु० फौज का अफसर हरड़ - पु० काली हरड़ । जंगेज स्त्री० [सं० यज्ञज ] श्रग्नि । जंगे-०१ जंग के लिये उत्सुक व्यक्ति २ युद्ध, जंग जंगोळ - पु० [सं० जांगलू ] विष उतारने की चिकित्सा । जंध- १ देखो 'जंघा' । २ देखो 'जंग' । ३ देखो 'जांघ' | जंघस्थल, जंवा रत्री० [सं० जंचा] १ जांच, रान २ ऐड़ी से घुटने तक का पांव, पिंडली । । -- जंघात्र- पु० [सं०] जांघ का कवच | जंघाळ- वि० [सं० जंघाल ] 'जंगाळ' | जंजण For Private And Personal Use Only १ तेज दौड़ने वाला । २ देखो जंघाळस-पु० [सं० जंगार ] १ तांबे का कसाव । २ एक रंग विशेष | जंघाळी-देखो 'जंगाळी जंधावरत - पु० एक प्रकार का प्रशुभ घोड़ा । चरणी (ब) - देखो 'जचरणी' (ब) । जंचा वि० जांचा हुग्रा, परीक्षित । चाणी (बौ). जंचावरणौ (बी) - देखो 'जंचारणों' (बो) जंज-पु० [सं० यथन] संयासी, फकीर । जंजल - पु० [सं० यजन ] यज्ञ ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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