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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमार ७ अवसर खोना। ८ क्रम तोड़ना। ९ निपटना, तय होना, | चूनी-स्त्री० १ रत्न करण । २ नग, नगीना । ३ देखो 'चुनी'। निर्णीत होना। -रंग-पु. एक रंग विशेष का घोड़ा। चूकमार-पु० एक प्रकार का अस्त्र विशेष । चूनू-वि० श्वेत*। २ देखो 'चूनौ'। चूकाणी (बौ), चूकावणौ (बी)-देखो 'चुकाणी' (बौ)। चूनेवाळियां-स्त्री० मुसलमान वेश्याएँ। चूको-पु० एक प्रकार का खट्टा साग। चूनौ (न्यौ)-पु० [सं० चूर्णक] १ पत्थर आदि को फूक कर चूड-स्त्री० १ स्त्रियों के हाथ का आभूषण । २ शिर के बाल । ___ तैयार किया हुआ एक तीक्ष्ण क्षार । चूना । २ हीरे, चड़लियो (लो, ल्यौ)-देखो 'चूड़ो' । जवाहरात । चूड़ाकरण, 'क्रम)-पु० [सं०] बच्चे का मुण्डन संस्कार । चूप-देखो 'चूप'। चूडामण, (णि, णी)-स्त्री० [सं० चूडामणि] १ शीशफूल | चूपणी (बो)-देखो 'चूपणौ' (बौ)। नामक प्राभूषण ।२ प्रधान, मुखिया । ३ सर्वोत्कृष्ट | चूबारा-स्त्री० रूई धुनने व चूने आदि का कार्य करने वाली एक व्यक्ति। जाति विशेष । चूडाळ-पु० दोहा नामक छंद का एक भेद । चूमणौ (बौ)-देखो 'चूमणो' (बो)। चूड़ाळी स्त्री० १ सधवा स्त्री । २ चूड़ा पहनी हुई स्त्री। चूमाणों (बौ), चूमावणी (बौ)-देखो 'चूमाणी' (बी)। चूर-पु० [सं० चूर्ण] १ चूर्ण, चूरा। २ ध्वंस, विनाश । चूडावण (न)-स्त्री०१ प्रेतनी, डाकनी, चुडैल । २ दुष्टा स्त्री। -वि० १ अत्यन्त महीन । २ नष्ट, समाप्त । ३ अत्यधिक, चूड़ावळ (ळि, ळी)-स्त्री० १ सौभाग्यवती स्त्री । २ चुड़ल, बेहद । ४ धुत्त, पूर्ण। पिशाचिनी। चूरण-पु० [सं० चूर्ण] १ किसी वस्तु का महीन बुरादा, पाटा। चूड़ी-स्त्री० १ परिधि, गोलाई, वृत्त । २ स्त्रियों के हाथ या २ आटे की तरह कूटी हुई कोई औषधि । ३ हाजमें आदि पैर में पहनने का गोल व पतला कंगन । ३ प्रौजार आदि पर के चूर्ण । ४ चूर-चूर होने का भाव । ५ आर्या छन्द का पड़ी धारी जिससे उसे परस्पर कसा जाता है । ४ ग्रामोफोन एक भेद। की रिकार्ड । ५ तंग मोरी (पजामा)। ६ सफेद पैरों वाली चूरणियो-देखो 'चुनियो। एक प्रकार की बकरी। -गर-पु० गोल चूड़ियां उतारने | वाला कारीगर । -वार-वि० जिसमें चूड़ियां पड़ी हों। चूरणी (बी)-क्रि० [सं० चूर्णम्] १ किसी पदार्थ को कूट-पीट -बाजो-पु० ग्रामोफोन नामक वाद्य । कर महीन करना, पाटा बनाना । २ चूरा करना । ३ रोटी चूड़ल, चूड़े लण-स्त्री०प्रेतनी, पिशाचिनी। या बाटी के महीन टुकड़े करना । ४ नाश करना, ध्वंस करना। चूडौ--पु० १ हाथी दांत आदि की चूड़ियों का समूह जो प्रायः विवाह के समय (कुछ जातियों में स्थाई रूप से) बांह में चूरण्यो-पु० मल में पड़ने वाले कीट । पहना जाता है। २ सौभाग्य चिह्न। ३ चोटी, शिखा। चूरमियो, चूरमू (मू)-देखो 'चूरमो' । ४ हरिजन, भंगी। चुरमुर -वि०१ चूर्ण के समान महीन, बारीक। २ चूर-चूर । चूची-देखो 'चूची'। __-क्रि० वि० चूर करके । चूजी-पु० मुर्गी का बच्चा । चूरमौ-पु० [सं० चूर्ण] १ रोटी या बाटी को बारीक कर चूडी--देखो 'चूड़ी' । घी-शक्कर मिला कर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ । २ पाटे चूण, चूणि-पु० १ सौ कौड़ियों के योग की संख्या। २ देखो। या दाल को पीस कर घी में भुनकर बनाया हया खाद्य 'चुग'। पदार्थ । चूणो (बी)-देखो 'चुअणौ' (बौ) । चूरी-स्त्री० प्याज, मूली आदि को छीलकर किए हुए छोटेचूत -स्त्री० [सं० च्युति] स्त्री का गुप्तांग, योनि, भग । छोटे टुकड़े। चून-देखो 'चून'। चूनउ-पु० [सं० चूर्णकः] १ भुना हुआ या पिसा हुअा अनाज । चूरीभाटौ-पु० घीया पत्थर । २ चुना। चूरी-पु० [सं० चूर्ण] १ किसी चीज का बुरादा, चूर्ण । चूनगर-पु० चूने का कार्य करने वाला कारीगर । २ वारीक टुकड़ों के रूप में कोई वस्तु ।। चूनड़ (डी)-देखो 'वूनड़ी'। चूळ-पु. १ रहट का एक उपकरण । २ अन्य लकड़ी में फंसाने चूनारो-देखो 'चूनगर'। के लिये निकाला हग्रा किसी लकड़ी का साल । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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