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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चबू च-देखो 'चक्र'। चवेली- देखो 'चमेली' । चव्य-स्त्री० [पीपरामून की डंडी चसक-पु० ० [सं० चषक ] १ शराब पीने का पात्र । २ द्रव पदार्थ पीने से उत्पन्न ध्वनि । ३ देवी का खप्पर । ४ जायका लेते हुऐ पीने की क्रिया या भाव। ५ शौक, प्रादत। ६ कसक, पीड़ा । www. kobatirth.org ( २८० ) चसळक - देखो 'चसळको' । चसम (मांग) - स्त्री० [फा० चश्म] १ प्रांख, नेत्र । २ दृष्टि, नजर । - दीद - वि० प्रत्यक्षदर्शी, प्रांखों से देखने वाला । चमसाल (ब)- क्रि० कसकता दर्द करना । चसमौ (म्म ) - पु० [फा० चश्मा] १ झरना, स्रोत । २ ऐनक । - वि० स्नेहपूर्ण नेत्रों वाला । चकली (ब) ० १ जायका लेते हुए पीना २ शराब बहरली (ब)- कि० १ निदा करना, थालोचना करना। कलरव करना । पीना । ३ चुस्की लेना । ४ कसकना, टसकना । उसको दु० [सं० चपण] १ स्वाद २ शौक, बावत ३ दर्द, चहराली (बी), बहरावौ (ब) क्रि० १ निदा कराना। पीड़ा | चस्म - देखो 'चसम' । चस्मी देवो'सम' । २ कलरव करना । चरण (at) - क्रि० १ चमकना, दमकना । २ ज्योतिर्मय होना, बहरौ पु० १ शक्ल, सूरत, मुखाकृति । २ श्राकृति । प्रकाशित होना । चसीणी (बौ), चसेड़रणी (बौ), चसोइरणी (बौ), चसोड़गी (बौ) क्रि० - १ खूब चाव से पीना, पेट भर पीना। २ खाना भक्षरण करना । ३ दांतों को भींच कर पीना । ४ चाटना । पस्को-देखो 'नसकी' । -दीद'चसमदीद' | चहन - पु० [सं० चिह्न] १ लक्षण, चिह्न । २ संकेत | ३ ध्वजा, पताका । चहबची पु० [फा०] चाहयच्चा] १ छोटा जल कुण्ड, पोखर 1 २ हाथी का हौदा । ३ चारजामा । ४ गुप्त रूप से धन रखने का स्थान | वह स्त्री० १ चिता । २ इच्छा, चाह । ३ गड्ढा, गर्त । चहक स्त्री० पक्षियों की चहचाहट । कलरव । चकरणी (a), चकणी (बी), चचणी (बी), पहकाणी (ब) - क्रि० १ पक्षियों का चहचाहना । २ हर्ष पूर्ण ध्वनि करना । ३ जोश में कोलाहल करना । चहचाहट, चहचह स्त्री० १ पक्षियों का कलरव । २ ध्वनि, शोर । ३ मुंह से खींचकर पीने की क्रिया या भाव। ४ हर्ष - ध्वनि । चहर- पु० [सं० चिकुर ] १ शिर के केश, बाल । २ कलंक । ३ निंदा - वि० श्रेष्ठ, उत्तम । -बाजी-स्त्री० कलरव । चसळकरणी ( बौ) - क्रि० १ बोझ से लदी गाड़ी का प्रावाज चहवचौ - देखो 'चहबची' | चहि स्त्री० चिता | करना । २ मस्ती में ऊंट का दांत किटकिटाना । चसळकी - पु० ऊंट के दांत किटकिटाने की ध्वनि या क्रिया । antarit (at) - क्रि० १ चमकाना, दमकाना । २ ज्योतियुक्त करना, प्रकाशित करना । चहिजे, चहिये (# ) - देखो 'चाहिजे' । चहिरौ - देखो 'चहरी' । चही - १ देखो 'चहि' । २ देखो 'चहिये' | चहीजं प्रव्य० चाहिये । चहोलौ - देखो 'चईली' । वि० चार चारों - प्रांरण - पु० चौहान । घा, चक्कां तरफ, धां, ओर, सर्वत्र । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चहल क्रि०वि० चारों ओर स्त्री० रौनक -पहल-स्त्री० हलचल । रौनक । धूमधाम । बहुत से लोगों की उपस्थिति । चहलम पु० [फा० नेहलुम] मृतक का चालीसवां दिन (मुसलमान) चळवळी० बिजली की चमक । चहलावरणौ ( बौ) - क्रि० चमकना । 1 चपळ, चळ, (वळ, बळा) - वि० पंचल, स्थिर कि०वि० चारों ओर । । बहुबां कि०वि० चारों और विचारों चहुं वांण- देखो 'चौहान' । चहु - देखो 'च' । 'चहुंचना' । २ ag (mai, दिस. बळवळ यां) - कि०वि० चारों मोर चहुट, बहुटी पु० १ बाजार देखो 'चौवटी' । बहर-पु० [सं० चिकुर] बाल चळ देवो'पहल'। स केश 1 चहुवां - क्रि० वि० चारों ओर । चटणी (बौ० चिपकना, चिमटना चटणी (बौ), चहावरणौ (बौ) - क्रि० चिपकाना, चिमटाना । चहुवे (वं ) - देखो 'चहुं । (at) - देखो 'चढ़णी' (बी) । चहणी (बौ) - देखो 'चाहणी' (बो) । For Private And Personal Use Only -क्रि०वि० चारों धोर, सर्वत्र ऐवळा, श्रोर, गमां, गमे, गम्मा, बळ, वळ, वळा- क्रि०वि० चारों । 1 कूट, कोर, गम, चकां, बळ वळ 125
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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