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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra परसीदमः www. kobatirth.org २ देखो 'चुनियों' चरणोदक - पु० [सं० चरण- उदक] चरणामृत । चरणौ पु० सुननदार पहनावा विशेष । चरणों (बी) फि० १ पशुओं का पास खाना चारा चरना। ३ खाना, भक्षण करना । २ दिन भर खाते रहना । ४ विचरण करना, घूमना । परयो-१ देखी 'वरगियो' चरत - देखो 'चरित्र' । चरतणी (बो) - क्रि० १ ठगना, छलना । २ निंदा करना । रताळी देवो'चिरताळी (स्त्री० चरताळी) ( ३८४ ) चरन- देखो 'चरण' । चरनक्षत्र (नखत्र ) - पु० [सं०] स्वाति, पुनर्वसु श्रादि नक्षत्र । चरनाकूळक - पु० सोलह मात्रा का एक मात्रिक छंद विशेष । वरनिसा - देखो 'निसाचर' । रपट ० १ बौरासी सिद्धों में से एक 1 २ एक मात्रिक छंद विशेष | चरपराणौ (ब) - क्रि० मिरच प्रादि के स्पर्श से जलन होना । २ घाव में जलन होना । चरपराट, चरपराहट, चरफराट, चरफराहट - स्त्री० १ स्वाद की तीक्ष्णता । २ घाव की जलन 1 ३ ईर्ष्या, डाह । चरबेचर पु० १ जड़ व चेतन, चराचर । २ संसार सृष्टि । चरम ० [सं०] पर राशि पर गृह परभर ० एक प्रकार का मेल चरमवन- पु० चर नामक राशि । अवस्था । ३ सीमा । . चरम पु० [सं०] १ अंत । २ पतन या विकास की अंतिम [मं० चर्म] ४ चमड़ी, चर्म, त्वचा । ५ छाल । ६ ढाल । वि० १ अंतिम श्राखिरी । २ हद दर्जे का । ३ सर्वोत्कृष्ट कार पु० चमार, मोची । -काळ-पु० अन्त समय । कील स्त्री० एक प्रकार का रोग। बवासीर । चड़ी स्त्री० चमगादड़ । चर्मचटी । - तिस्वपर पु० महावीर स्वामी (जैन) २०-५० एक प्रकार का कुष्ठ रोग । - नग - पु० अस्ताचल पर्वत । -- फालिका स्त्री० कुल्हाड़ी, फरसा । 1 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरमणवती स्त्री० [सं० चर्मण्यवती] चंबल नदी । चरमराट, चरमराटी (हट ) - स्त्री० १ चरमर की ध्वनि । २ स्वाद की तीक्ष्णता । ३ घाव की जलन । परितारच चरमवस्त्र - पु० कवच । चरम चरम्म - देखो 'चरम' । चररासि स्त्री० [सं० चरराशि ] मेष, कर्क, तुला धोर मकर राशि। वि० ची के रंग का लाल ४ वाचालता । चरपरी - वि० ० (स्त्री० चरपरी) १ तेज मसालेदार, नमकीन । चराई स्त्री० १ मवेशी चराने का कार्य । २ इस कार्य का २ चुस्त, फुर्तीला । ३ वाचाल । पारिश्रमिक | चरवरण - पु० [सं० चर्वण] १ चना, चबैना । २ भुना हुआ या सिका हुआ खाद्य पदार्थं । ३ भोजनोपरान्त मुंह साफ करने के लिए खाये जाने वाले पान, सुपारी आदि पदार्थ । ४ चबा कर खाई जाने वाली वस्तु । चरबी स्त्री० [फा०] १ शरीरम्य सप्त धातुयों में से एक। मेद, बसा । चरचराहट - स्त्री० १ सन्नाटा । २ जलन । ३ चरं चरं ध्वनि । ४ कटु व तीक्ष्ण वारणी । चरवण-देखो 'चरव' । चरवाई देखो 'पराई'। चरवादार १० १ घोड़ों की देख भाल करने वाला, सईस । २ चरवाहा । चरवौ पु० १ तांबे, पीतल आदि का छोटा जल पात्र । २ शिकार किये पशु का आमाशय साफ करने की क्रिया । चरस - स्त्री० १ रीति रिवाज, परंपरा, रूढ़ि । २ श्रानन्द, उत्साह, खुशी । ३ एक प्रकार का मादक पदार्थ, चड़स । ४ ख । ५ देखो 'चड़म' - वि० उत्तम श्रेष्ठ। - क्रि०वि० परंपरा से । चराक (की), चराग - देखो चिराग' । चराचर पु० [सं०] १ घर व अचर, जड़ व चेतन २ संसार, सृष्टि, विश्व ३ ग्राकाश प्रन्तरिक्ष गुरगुरु ० ब्रह्मा । ईश्वर, परमेश्वर । For Private And Personal Use Only चरागो (बौ) - क्रि० १ पशुनों को घास खिलाना, चारा, चराना । २ खिलाना, खाने के लिए प्रेरित करना । ३ बार-बार व जोर देकर खिलाना । ४ विचरण कराना, घुमाना । चरावण गाय- पु० १ श्रीकृष्ण । २ ईश्वर । चरावली - स्त्री० १ चराने की क्रिया या भाव। २ चराने का ढंग | ३ चराई । चरावणौ (बौ) - देखो 'चराणी' (बी) । चरास - पु० [सं० चर+प्रास] सेवक, दास, चर । चरि चरिइ, चरिउ, चरिनु, चरिय- देखो 'चरित्र' । चरित (र), चरीत-देखो 'चरित्र' नायक'चरित्रनायक' | -air = 'चरित्रवान' । चरितारच वि० [सं० चरितार्थ) - [सं० चरितार्थ ] १ सफल । २ पूर्ण, पूर्ण रूप में । ३ संतुष्ट । ४ क्रिया रूप में उचित ।
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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