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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रगम ( २२ ) अगासुर दुर्गम । ६ दुर्बोध, बुद्धि से परे। ७ न जानने योग्य । अगवारणी, अगवाई-स्त्री० [सं० अग्र-+रा वाणी] १ स्वागत, ८ काठन। ९ विकट । १० दुर्लभ्य। ११ अप्राप्य । अगवाणी । २ नेतागिरी, नेतृत्व। -वि० अगुवा, १२ विकट । १३ बहुत गहरा, अथाह । १४ अत्यधिक, अग्रणी नेता। अपार । ---पृ० १ ईश्वर, परमात्मा। २ पर्वत, पहाड़। अगवाडौ, अगवार, अगवारौ-पु० [सं० अग्र-पाटक] घर के ३ वृक्ष, पट। ४ मार्ग, रास्ता। ५ भविष्यतकाल । । आगे का भाग। पिछवाड़ा, पृष्ठ भाग । ६ दूरदशिता। ७ सर्प । --गम-पु० भीम । -द्रस्टी, अगवारे, अगवार-क्रि० वि० आगे, अगाड़ी, मामने, सम्मुख । बुद्धि, बुद्धी बुधी-वि० दूरदर्शी। भविष्यदृष्टा। अगस, अगसत, अगसत्त, अगसथ, अगसथ्य, अगस्त, अगस्ति, --भाखो-वि० भविष्य वक्ता । अगस्तिय, अगस्त्यौ, अगस्थ, अगस्थियौ--पु० [सं अगस्तिः, अगमांगम-वि० [सं०] १ अथाह, अपार । २ अगम्य । अगस्त्यः ) १ एक पौराणिक ऋषि, कुम्भज । २ एक -पु० भीम । तारा। ३ एक पेड़ विशेष । अगमू, अगम्म. अगम्य-देखो 'अगम' । अगहट, अगहटौ-देखो 'पागाहट' । अगम्या-स्त्री० संभोग या मैथुन के लिए अयोग्य या अगहरण, अगहन-पु० [सं० अग्रहायन] मार्ग-शीर्ष मास । निषिद्ध स्त्री। | अगहर-वि० १ प्रथम, पहला । २ देखो 'अघहर' । अगर-पु० [सं० अगम्] १ एक वृक्ष जिमकी लकड़ी| अगरणी-पु० [देश] रहट के किनारे पर रखी जाने वाली शिला सुगंधित होती है । २ एक औषधि । ३ चंदन । या बड़ा पत्थर । ४ वेलिया मागोर का एक भेद । ५ एक छंद विशेष । अगांळी-स्त्री० [देण] जीपने (लान करने) की क्रिया । ----प्रव्य० [फा.| १ यदि । जो, मगर । २ देखो 'अन'। अगा- देखो 'मागे'। -----चे-प्रव्य० यद्यपि । -दान-पु० सुगंधित अगर रखने अगाउ, अगाऊ-देखो 'पागाऊ'। का स्थान । .--बती, बत्ती, वती बत्ती-देखो 'अगरबत्ती'। ।। अगामी क्रि० वि० म० अग्र, प्रा० अग्ग-।-रा. डी] १ ग्रागे। मी िfram. Tn अगरगणी, (गांमी)-वि० सं० अग्रगण्य ] १ 'प्रधान मुखिया । मामने, सम्मुख । ३ भविष्य में । ४ पूर्व, पहले । २ थोप्ठ, उत्तम । ३ अगा। ५ पारा नजदीक । --पु० १ घोड़े के अगले पैर का बंधन । अगरणी देखो ‘ग्रागरगा' । २ ग्रागे का भाग। ३ सेना का प्रथम अाक्रमण । अगरच-मगरच-कि- वि० पागे पीछे, यथा विधि । --पिछाड़ी, पीछाडी- क्रि० वि० प्रागे-पीछे। -स्त्री. अगरब अगरभ-वि० [सं० अ-गर्भ] १ जिसने गर्भाशय में घोड़े के अगले व पिछले पैरों में बांधी जाने वाली वाम न किया हो, अवतारी। [सं० अ-गर्व] २ गर्व रहित । सांकल या रस्सी। ---पु० ब्रह्म, ईश्वर । स्वयंभू । अगाजणी, (बौ) देखो, अग्राजणी, (बी)। अगरबत्ती-स्त्री० अगर आदि से बनी सुगंधित वर्तिका । अगाढ़, अगाद, अगाध-वि० [सं० अगाध] १ बहुत गहग, अगरवाळ-पु० एक वैश्य-जाति । इस जाति का व्यकि। अथाह । २ असीम, अपार । ३ अत्यधिक, वहन । ८ घनिष्ट, अगराजरणौ, (बौ)-देखो 'अनाजणी, (बौ) । घना, गाढा । गहन । ५ दुर्योध्य । ६ बनवान शक्तिशाली। अगरासण-देखो 'अग्रामग' । ७ गंभीर। ---जळ-पु० अथाह-जल । नालाब, सरोवर। अगरेजी-पु. एक प्रकार का घोड़ा विशेष । ------वि० अनलस्पर्शी । अगाध जल वाला। --परण-पु० अगरेळ-पु० [सं० अगर] ऊद । अगर । गहराई, गंभीरता, गहनता, घनापन । अमीमता । ग्रगळ स्त्री० [सं० अर्गला] १ अर्गला। २ पार्श्व ।-ज-वि० गई । अगात-वि० गरीर रहित, निराकार। --पू० काम देव । -बंध-पु. एक प्रकार का प्राभुपग । बगळ-क्रि० वि०इधर परब्रह्म, ब्रह्म । -उधर, ग्रास-पाम, पार्य में। अगार-देखो 'ग्रागार'। अगळ-डगळ-पु० अंटमंट, अनर्गल प्रलाप । अगाळ-वि० १ अत्यधिक, बहत। २ विशेष, खाम । अगनू गौ, अगलूरणी-वि. ग. अग्र . रा नगगी (स्त्री० अगगी देखो 'अकाळ' । अगनूगगी) । १ पूर्व का,पहले का । २ प्राचीन, पुराना । | अगालग-क्रि०वि० निरंतर । अगलौ देखो 'प्रागनी' (त्रा० अगनी)। अगाळा -स्त्री० [देश | बरछी । अगवारण-वि० [सं० अग्र रा बांगा| १ अगुवां, ग्रागे वाला। | अगास देखो 'पाकाम । २ प्रधान, नेता, प्रमुख । ६ अगवानी करने वाला। अगासुर-देखो 'अघामृर' । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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