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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २३८ ) के डाळ कुमार-मो. [सं. कौमार्य] १ कुवारापन, कौमार्य । कुड-पु० [सं० कुण्ड:] १ छोटा जलाशय । २ हौज । ३ चौड़े २ देखो 'कुमार' । ३ देखो 'कुमार' । मुह का गहरा बर्तन । ४ अग्निहोत्र करने का गड्ढ़ा या कुमार मग-पु० अाकाश गंगा। पात्र । ५ लोहे का टोप । ६ चन्द्रमा या सूर्य के चारों ओर कुपारी-देखो 'कुमारी'। - घड़, घड़ा-देखो 'कुमारीघडा' ।। का वृत्त विशेष । ७ खप्पर । ८ कूप । ९ तगारी। १० शिव । कुमारी-वि० [सं० कुमार] अविवाहित । ११ एक नाग । १२ चन्द्र मण्डल का एक भेद । १३ अग्नि, कुई, कुईक-वि० कुछ। प्राग । १४ पर पुरुष की संतान । १५ कौमार्यावस्था की कुंौ-देखो 'कवौं'। मन्तान । -कीट-पु० चार्वाक मत का अनुयायी। पतित कुंकूड़ती-देखो 'कुकुमपत्री' । ब्राह्मण। -दामोदर-पु० द्वारका के निकट एक तीर्थ । कुंकरण-पु० दक्षिण भारत का एक प्रदेश, कोंकरण । | कुंडळ-पु० [सं० कुडल] १ मंडलाकार कान का आभूषण । कुंकम, कुकु, कुकु, कुकुम-पु० [सं० कुकुमम्] १ केसर । २ बाला । ३ मुरकी । ४ संन्यासियों के कान का भूषण । २ कुकुम, रोली। ३ हाथी। ४ कश्मीर । -पत्रिका, पत्री | ५ कोल्हु के चारों ओर लगा बंद । ६ सूर्य या चन्द्रमा का --स्त्री० विवाह प्रादि मांगलिक अवसरों का निमंत्रण-पत्र ।। वृत्त । ७ मोट के मुंह पर लगा रहने वाला मोटा गोल कुंकुमी-वि० १ केसरिया। २ कुकुम के रंग का । छल्ला । ८ ढोल पर लगाया जाने वाला गोल कडा, कुंगळ-देखो 'कंगळ' । छल्ला । ९ शेषनाग । १० मर्प । ११ नाभि । १२ छन्द में कुचकी, कुंचवउ-देखो 'कंचुकी' । द्विमातक गण । १३ बाईस मात्रा का एक छन्द । १४ प्रांख कुचित-वि० सं०] १ वक्र, टेढ़ा । २ मिकुड़ा हुआ । ३ मुड़ा का गड्ढ़ा। हमा, झुका हमा। कुंडळणी (नी)-स्त्री० सं० कुण्डलिनी] १ हठयोग के अनुसार कुचुक, कुचूक-देखो 'कंचुकी' । नाभि के नीचे प्रायः सुषुप्तावस्था में रहने वाली एक शक्ति । कुज-पु० [सं०] १ वक्ष व लताओं से परिवेष्टित सघन स्थल, ! २ इमरती नामक मिठाई। ३ सोमलता। ४ हाथी की लतागृह । २ हाथी का दांत । ३ मंगल ग्रह । ४ कमल । सूड । ५ डिंगल का एक छंद ।। ५ क्रौंच पक्षी । ६ अनाज रखने की मिट्टी की कुंडळिका-स्त्री० [सं० कुण्डलिका] दोहा व रोला युक्त एक कोठी -वि० लाल, रक्तवर्ण* | -क-पु० कचुकी । डिंगल छंद। --कुटीर-पु. लतावेष्टित कुटीर । -गळी-स्त्री० कुडळियौ-पु०१ वृत्ताकार रेखा । २ परा, वृत्त, गोला। ३ एक नतावीथी । तंग गली, रास्ता। -बिहारी विहारी-पु० मात्रिक छंद । ईश्वर । श्रीकृष्ण । --माळा-स्त्री० वनमाला, फुलमाला। कूडळी-स्त्री० [सं० डली १ जलेबी या इमरती-मिठाई। कुंजटियो-पु० घिसा हुअा व छोटा झाड़ । २ कचनार । ३ जन्म पत्री। ४ जन्म काल के ग्रहों की कुंजर-पु० [सं०] १ हाथी । २ एक नाग। ३ बाल, केश। स्थिति बताने वाला चक्र। ५ सर्प की बैठकः । ६ गेडुरी । ४ एक पर्वत । ५ छप्पय छन्द का इक्कीसवां भेद । -वि० ७ सर्प । ८ विष्णु । ९ मोर । १० धनुष । ११ मुर्रा भैस । श्रेष्ठ, उत्तम । ---परि, पाराति-पु. सिंह । --असण, १२ भैस के सींगों की बनावट । १३ वरुण । १४ एक प्रसन-पु० पीपल का पेड़। -प्रारोह-पु. महावत । वाद्य । १५ चितकबरा हिरन । १६ कुडल । १७ लोहे में कुजरच्छाय-पु० ज्योतिष का एक योग । छेद करने का अौजार । १८ पशुओं का वृत्ताकार दाग । कुजळ-पृ० १ छाछ, मट्ठा । २ हाथी, गज । १९ अांखों का एक रोग । २० अगुठी के ऊपर का घरा । कुंजा-देखो 'कुरज'। कुडळीक-पु० सुदर्शन चक्र । कुजी-स्त्री० [सं० कुचिका] १ चाबी, ताली । २ किसी पुस्तक | | कुडसूरज-पु० सूर्य कुण्ड नामक तीर्थ । की टीका । ३ उपाय । कुडादड़ी-स्त्री० गेंद का एक वेल । कुजो-पृ० [अ० कूजा| १ पुरबा, चुक्कड़ । २ सुराही। कुडापंथ-पु० वाम मार्ग का एक भेद या शाखा । कुश-देखो 'कुज'। कुडापंथी-वि० कुडापंथ का अनुयायी । कुट-पृ० [सं० कुट| वक्ष । कुडारी-देखो 'कुडळी'। कुंठ, कुठित-वि० [सं० कुठित] १ जो तीक्ष्ण न हो, भोटा। कुडाळी-स्त्री० १ चौड़े मुह का मिट्टी का पात्र । २ मर्रा भैम । २ स्थूल बुद्धि । ३ मुर्ख । ५ उदाम । ६ मंद, फीका। कुंडाळ (ळियौ), कुंडाळी-पु० १ गोल चक्र । २ घरा, वृत्त । ७ निकम्मा। ३ मिट्टी का बना चौड़ा व गहरा जल पात्र । ४ नगारा । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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