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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कबू-१ देखो 'कब' । २ देखो 'कबूतर'। कमज्या-स्त्री० [सं० कर्मार्जन] १ कर्म, कार्य, कर्तव्य । कबूड़ो-देखो 'कबूतर'। (स्त्री० कबूड़ी) २ प्रारब्ध । कबूठाण-स्त्री० [सं० कुभिस्थान] हाथी बांधने का स्थान। | कमट्ठ, कमठ-पु० [सं० कमठ] १ कच्छप, कछुआ । २ धनुष, कबूतर (रौ)-पु० [फा०]१ एक प्रसिद्ध निरामिष पक्षी, कपोत । | कमान । ३ बांस । ४ घड़ा । ५ एक दैत्य । ६ एक प्रकार २ नट जाति या नट जाति का व्यक्ति । (स्त्री० कबूतरी) | का बाजा। ३ कबुतर के रंग का घोड़ा। कमठाण (णौ)-पु० [सं० कुभिस्थान] १ हाथी बांधने का स्थान कबूतरखांनो-पु० १ कबूतर पाल कर रखे जाने का या स्तंभ । २ भवन-निर्माण कार्य । ३ शरीर का ढांचा। स्थान । २ एक राजकीय विभाग जिसमें नटवादी या इस ४ भवन । प्रकार के खेल खेलने वाली जातियों के पुरस्कार प्रादि का कमठाऋत-हरि, कमठाधररूप-पु० यौ० विष्णु का कच्छपावतार। प्रबंध रहता था तथा इनके झगड़े, टंटे मिटाने का प्रबंध कमठाळ, कमठाळय-पु०१ हाथी । २ धनुषधारी योद्धा। ३ भील। रहता था । ३ अनाथालय । कमठेस-पु० कच्छपावतार । कबूल-वि० [अ० कुबूल] स्वीकार, मंजूर । कमठौ-पु० [सं० कमठः] १ धनुष । २ कच्छप । ३ भवनकबूलगो (बौ)-क्रि० १ स्वीकार करना, मंजूर करना । निर्माण कार्य । २ अंगीकार करना । कमण, कमणि-सर्व० [सं०किम्] १ कौन । २ किस । --वि. कबूलाइत, कबूलायत-स्त्री० कबूल करने की क्रिया या भाव । १ कितना । २ देखो 'कबाण' । २ मनौती । ३ जागीर के उपलक्ष में सामंत द्वारा स्वीकार कमणीगर-पु० धनुष बनाने वाला । की गई सेवाएं। कमणत-देखो 'कमनैत । कबूली-स्त्री० १ मांस-मसाले डाल कर पकाये हुए चावल । कमतर-पु० १ काम, धंधा । २ व्यवसाय, पेशा । ३ परिश्रम । २ स्वीकृति । ४ सामग्री। कबोल-देखो 'कुबोल'। कमतरी (रियौ)-पु. १ कमतर करने वाला । २ श्रमिक । कब्जौ-देखो 'कब्जो'। कमती-वि० [फा०] कम, अल्प । निश्चित से कम । कब-१ देखो 'काव्य' । २ देखो 'कवि' । ३ देखो 'कब'। कमद, कमध-देखो 'कबंध' । कम्बरौ-१ देखो 'कबरौं' । २ देखो 'काबरों'। कमदरणी-देखो 'कमोदरणी' । कमंडळ-पु० [सं० कमंडलु] साधु संन्यासियों का जलपात्र । कमद्धज (धज, धजियो, धज्ज, धारणी, ध्वज)-पु० १ राठौड़ वंशीय कमंद (दज, धज)-१ देखो 'कबंध' । २ देखो 'कमद्धज'। क्षत्रियों का उपटक । २ राठौड़ । ३ पति, खांविद । कम-वि० [फा०] थोड़ा, कम, न्यून । सर्व०-कौन, किस । कमन-वि० [सं०] १ विषयी, कामी । २ लम्पट । ३ सुन्दर, -क्रि०वि०१ कैसे । २ देखो 'करम' । ३ देखो 'क्रम'।-असल, मनोहर । ४ बढ़िया श्रेष्ठ । -पु. १ कामदेव । २ अशोक प्रस्ल-वि० दोगला । वर्णसंकर । -खरची, खरचीली- वृक्ष । ३ ब्रह्मा। वि०-मितव्ययी । -नसीब-बि० हतभाग्य । -बोलो कमनीय-वि० [सं०] १ सुन्दर, मनोहर । २ वांछनीय । ३ प्रिय। -वि० मितभाषी। ४ कोमल, नाजुक । कमक-पु०१ प्राभूषण। २ देखो 'कुमक' । कमनेत (नेत)-वि० तीरंदाज । कमकमौ (म्मौ)-देखो 'कुमकुमौ' । कमख-पु० [सं० कल्मष] १ पाप । २ देखो 'कुमक' । कममिख्यण-पु० [सं० कर्मावीक्षणः, कर्माभिक्षण:] यम । कमखाब--पु. एक प्रकार का रेशमी वस्त्र । कमर-स्त्री० [फा०] १ कटि, कटि प्रदेश । २ शरीर का मध्य भाग (पशु)। -चड़ी-स्त्री० तलवार। -चाप-स्त्री० कमगर-वि०१ निरन्तर कार्य करने वाला । २ कार्य कुशल, दीवार के बीच लगने वाली पत्थर की पट्टी। -तोड़-पु० चतुर, दक्ष । एक प्रकार की पौष्टिक औषधि । -दुकूळ, पछेवड़ौ-पु. कमची-स्त्री० एक धार दार शस्त्र विशष । कटिबंध । कटि में बांधने का वस्त्र।–पटो, पट्टो-पु. कमर कमजा-देखो 'कमज्या! बंध। -पेटी-स्त्री० कमर का कवच । -बंद, बंध, बंधी कमजोर-वि० [फा०] १ दुर्बल, अशक्त । २ दुबला-पतला । | -पु० कटिबंधन, साफा, पगड़ी। ३ क्षीण। कमरख-पु. १ एक प्रकार का वृक्ष जिसमें पीले फूल लगते हैं । कमजोरी-स्त्री० [फा०] निर्बलता, कमजोरी, दुर्बलता । २ उक्त वृक्ष का फल । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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