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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कदेकरी कन्यका कदेकरौ, कदेकौ-वि० कभी का । (स्त्री० कदेकरी) कनस्ट-देखो 'कनिस्ठ'। कदेय-क्रि०वि० कभी। कना-क्रि०वि० [सं० कर्णे] १ निकट, पास । २ या, अथवा । कदेरोई, कदेरौ-वि० कभी का । (स्त्री० कदेरी) __३ मानो, संभवतः। कदेव-पु० कृपण, कंजूस । कनापरण-पु० घोड़े के कान । कदेहिक, कदेहीक-क्रि०वि० कभी। कनाई-पु० श्रीकृष्ण । -क्रि०वि० पास, निकट । कदै (ई)-क्रि०वि० कब । कभी भी। कनात (थ)-स्त्री० [तु.] १ तीन तरफ से घेर कर किया जाने कदैईसेक-क्रि.वि. कभी-कभी । वाला आड़ा पर्दा । २ छोर, किनारा । कदक-देखो 'कदेक'। कनार-पु. १ घोड़े का एक रोग । २ देखो 'किनार'। कदैकदास, कदोकोई, कदोको-वि० कभी का। (स्त्री० कदोकी) कनारी-देखो "किनार'। कदौ-वि० श्याम, कृष्ण, काला । कनारौ-देखो 'किनारी'। कद्रदान-देखो 'कदरदान'। कनियान, कनिौ (यौ)-पु. छोटा भाई । कन-अव्य०१ या, अथवा । २ पोर, तरफ। -पु० [सं० कर्ण] | कनियांण, (रिण, रणी)-देखो 'किनियांणी'। १ कान । २ राजा कर्ण। ३ श्रीकृष्ण । -बाल-पु० कान | कनिस्ट (स्ठ)-पु० [सं० कनिष्ठ] छोटा भाई। -वि० १ सबसे के बाल या केश। ___ छोटा । २ छोटा, लघु । ३ कम । कनक (क्क)-पु० [सं० कनकं] १ सोना, स्वर्ण । [सं० कनकः] | कनी-स्त्री० [सं०] १ कन्या, बालिका । २ सेना, फौज । २ धतूरा । ३ एक प्रकार का घोड़ा । ४ पलाश । ५ छप्पय ३ हीरे का छोटा टुकड़ा । ४ देखो 'करणी' । छंद का एक भेद । ६ वेलियो सांगौर छंद का एक भेद । कनीप्रस-देखो 'कनीयस' । -वि० पीत, पीला । –प्रचळ-पु. सुमेरु पर्वत । | कनीपाव-पु० गुरु कृष्णपाद । — केसर-पु० एक रंग विशेष का घोड़ा । -गढ़-पु.] कनीयस-पु० [सं० अकनीयस] तांबा । लंका । जालौर का किला । -गिर, गिरि-पु० सुमेरु | कनीर-देखो 'कणेर'। पर्वत । जालौर का पर्वत । --लता-स्त्री० स्वर्णलता। कनूर (रौ)-पु. १ कान, कर्ण । २ कनपटी । -वरीसण-पु० सूर्य पुत्र कर्ण । -वेल, लि, ली-स्त्री० कनेउर-पु० कान का आभूषण विशेष । स्वर्णलता। -ववरण-पु० स्वर्णदान करने वाला राजा कर्ण। कन-क्रि०वि०१ समीप, पास । २ कब्जे में । ३ साथ में । कनकुकड़ी-स्त्री० १ कान के ऊपर का भाग जहां बाली पहनी | ४ निकट। जाती है । २ इस पर पहनी जाने वाली बाली। कनयो-पु० १ श्रीकृष्ण । २ एक छोटा पक्षी। कनखळ-पु. १ हरिद्वार के पास का एक तीर्थ स्थान । कनैले, कनोती, कनौती-स्त्री. १ घोड़े का कान। २ कान की २ हंगामा, शोरगुल। ___नोक । ३ कान का प्राभूषण। कनड़-पु० श्रीकृष्ण । कनड़ी-स्त्री० एक राग विशेष । कन्न-पु० [सं० कर्ण] १ कान, कर्ण । २ राजा कर्ण । कनड़ौ-पु. १ वस्त्र का छोर । २ कान । ३ देखो 'कानड़ी। ३ श्रीकृष्ण । ४ देखो 'कन्या' । कनन-वि० [सं०] एकाक्षी, काना। कन्नफड़-देखो 'कनफड़ौ'। कनपड़ी, कनपटी, कनपट्टी, कनफड़ी-स्त्री० कान के आगे का | कन्नि, कन्नी-पु० [सं० कर्ण] १ कान । २ छोटी पतंग । भाग । कन्यका, कन्या-स्त्री० [सं०] १ बालिका, कन्या लड़की । कनकड़ी-पु० १ कनफटा गोरखपंथी योगी । २ देखो 'कनपड़ी'।। २ अविवाहिता लड़की । ३ पद्य-काव्य की नायिका । · कनफटौ-पु. नाथ संप्रदाय का संन्यासी । ४ एक राशि । ५ दुर्गा का नाम । ६ बड़ी इलायची। कनकूळ-पु० [सं० कर्ण-फूल] कान का आभूषण, कर्ण फूल। । ७ पुत्री । ८ घृतकुमारी। ९ अक्षत योनि की स्त्री। कनमूळ-पु. कान के पास होने वाला एक ग्रथि-रोग । १० दिशा । ११ पांच की संख्या । --काळ-पु० कन्या का कनलौ-वि० (स्त्री० कनली) पास का, निकट का। का कुवारापन । लड़की की रजोदर्शन के पूर्व की अवस्था । लड़कियों का अभाव । -दान-पु० कन्या का विवाह या कनवत-पु० घोड़े के कान । दान । दहेज । गऊदान । -वळ, हळ-पु. कन्या के विवाह कनसळाई-देखो कानसळाई'। के दिन पाणिग्रहण होने तक रखा जाने वाला व्रत । कनमूरि (रौ)-पु. कान के आगे का हिस्सा, कनपटी । कन्यादान। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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