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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कक्ष ( १८६ ) कक्ष-पु० [सं०] १ बगल, कांख । २ दर्जा, श्रेणी । ३ वर्ग। कड़क्करणौ (बी)-देखो कड़कणों (बी)। ४ पार्श्व, भाग । ५ कमरा, भवन का कोई भाग। कड़ख-पु० किनारा । तट । ६ अंतःपुर। ७ वन, जंगल । ८ जंगल का भीतरी भाग। कड़खिरणौ (बौ)-देखो 'कड़कणी' (बौ)। ९ मूखा घास । १० भैसा। ११ फाटक । कड़खौ-पु. १ नदी तट का उभरा हुमा भाग । २ एक छंद कख-पु. १ प्रांख का कोना । २ कसौटी, परीक्षा । ३ एक विशेष । ३ विजय गान । प्रकार का पत्थर । ४ देखो 'कक्ष' । कड़ा-स्त्री० लकड़ी के लट्टे के चिरने या बिजली के गरजने की कखती-मगरी-स्त्री० यौ० एक प्रकार की तलवार । आवाज। कखवा-पु० [सं० कक्षवान] वन, जंगल । कड़डणी (बी)-क्रि० १ लकड़ी का लट्ठा जोर से फटना। कग (ग्ग)-पु० [सं० काक] १ कौआ, काग। २ देखो 'कंगळ'। २ फटने की आवाज होना। ३ बिजली का गरजना । कगण्ण-पु. १ कर्ण । २ देखो 'कंगळ' । कड़डाट-देखो 'कड़ड़। कगर-देखो 'कागज'। कड़च-क्रि०वि०१ जल्दी, शीघ्र । २ देखो 'कड़च्छ' । कगळी-देखो 'काक'। कड़चरणौ (बी)-देखो 'कड़छरणौ' (बी)। कगल्ल-देखो 'कंगळ' । कडच्छ-पु० बंध, बंधन । -वि० तैयार, सन्नद्ध । सुसज्जित । कगवा-देखो 'कंगवा'। कड़छ-स्त्री० कटाक्ष। कगार-पु० [देश] नदी या जलाशय का ऊंचा स्थान, तट । कड़छरणी (बी)-क्रि० १ तैयार होना । २ सन्नद्ध होना, सावधान कग्गर, कम्गळ-पु० १ किनारा तट । २ देखो 'कंगल'। होना । ३ शस्त्र सुसज्जित होना । ४ अाक्रमण के लिए ३ देखो 'कागज'। लपकना। कग्गौ-देखो 'काक'। कड़छलौ (ल्यौ)-पु० १ बड़ा करछुल । २ छोटा कड़ाहला। कड़-स्त्री० [स. कटि] १ कमर, कटि । २ करवट, पक्ष । वट, पक्ष। कडछु-पु० काठ का बना चम्मच (मि० डोई) ३ तट, किनारा । ४ पास, निकट । ५ चूतड़, नितंब । कड़जोड़ो-पु० कवच, सनाह । कडक-स्त्री०१ क्रोध, कोप । २ क्रोध या रोबीली आवाज। | कडढौ-प० खड्डा, गर्त । ३ बिजली की गर्जना। ४ बिजली । ५ बंदूक की आवाज । कडतल (त्तल)-स्त्री० [सं० कटि + तल] १ तलवार, खड्ग। ६ शक्ति, सामथ्य । ७ कड़ापन, दृढ़ता । ६ चटकन। २ झाला राजपूतों का विरुद । ९ देखो "किड़क'। -वि० सख्त, कड़ा, कच्चा, ठोस । कड़तू-स्त्री० कटि, कमर । कडकड-स्त्री० १ मुश्ती या गुड़िया शक्कर । २ कड़कने की कडतोडौ-१०१ ईश्वर, परमात्मा । २ कमर पर भौंरी बाला ध्वनि। बैल । ३ आभूषण विशेष । -वि० १ कमर तोड़ने वाला। कडकडाट-स्त्री० कड़कड़ाहट । २ भयंकर । ३ दुर्गम। कड़कड़ो-देखो 'किड़ किड़ो' । कड़थल-पु०१ संहार, नाश । २ देखो 'कड़तल' । कड़करणौ (बौ)-क्रि० १ जोश में दांत पीसना । २ कोध में कड़दौ-१ किसो द्रव पदार्थ के नीचे जमने वाला मैल । २ मोने गरजना । ३ बिजली का जोर से चमक कर गरजना। चांदी के साथ मिलाया जाने वाला विजातीय धातु । ४ डांटते हुए बोलना। कड़प-पु० खिजाब । कड़कनाळ-स्त्री० भयानक शब्द करने वाली तोप । कड़पौ-पु० १ खेत में काम करने वाले मजदूरों को दिया जाने कड़कम-पु० पुरुषों के कान का प्राभूषण । बाला गेहूँ का पुपाल । २ मुट्ठी में प्रावे उतना घासादि । कड़कारणों (बी)-क्रि० १ जोश दिलाना । २ कड़कने लिए कड़प्रोथ-पु० [सं० कटि-प्रोथः] नितंब, कूल्हा । प्रेरित करना। कड़बंध-पु० १ कटिबंध प्राभूषण । २ करधनी । ३ कमर बध । ४ तलवार । कड़कोलो, कड़कोल्यौ-१ देखो 'ठोलौ'। २ देखो 'कड़ खौ'। कड़को-१ अंगुलियों के चटकने की आवाज । २ जोर का शब्द । | कड़ब-स्त्री० ज्वार का सूखा पौधा जिस पर से अनाज की बाल । काट दी गई हो । -चेन-स्त्री० एक प्रकार की जजीर । ३ ताकत, बल । ४ जोर का झटका। ५ युद्ध का गीत । ६ बिजली । ७ कविता । ८ लंघन, उपवास । ९ निर्धन । | कड़बांध-स्त्री० मूज की करधनी। कडक्क-देखो 'कड़क'। कड़बोड़ो-स्त्री० ज्वार के चारे से भरी गाड़ी। कड़क्कड़-देखो 'कड़कड़। | कडब्बरणौ (बौ)-क्रि० प्रकुपित होना । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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