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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोस मोहोसणी प्रोस-पु० [सं० अवश्याय] वाष्प के कारण रात में गिरने वाले प्रोहं-सर्व० मैं । वह । जलकण जो सूर्योदय से पूर्व तक रहते हैं, शबनम । प्रोह-प्रव्य शोक, पीड़ा या खेद सुचक ध्वनि । -सर्व० यह। -क्रि०वि० अवश्य । पोहड़णौ (बौ)-क्रि० [सं० अवहिंडनम्] १ पीछे हटाना । प्रोसरण-वि० [सं० प्रोषणः] कड वा, कटु । अप्रिय । २ रोकना, बाधा देना । ३ पराजित करना । ४ हतोत्साहित -स्त्री० चरपराहट, तीक्ष्णता । करना । प्रोसरणरणो (बी)-क्रि० गूदना, भिगोना (पाटा)। प्रोसता (था)-देखो 'अवस्था'। पोहड़ौ-पु० [सं० अवहेडनम्] १ टोकना, वर्जन आदि का प्रोसध (धि धी)-देखो 'पोखध' । भाव । २ कटु उत्तर । ३ प्रत्युत्तर । ४ उपालंभ । प्रोसधीस-देखो 'पोखधीस'। पोहटणौ (बौ), पोहट्टणी (बी)-कि० [सं० अवटंक] १ ढकना, प्रोसप्पिरिण-स्त्री० [सं० अवसपिणी, उत्सर्पिणी] गिरने का | आच्छादित करना । २ हटाना । ३ थामना रोकना, थमना । समय, अधःपतन का समय । रुकना । ४ पीछे लौटाना । प्रोसर-पु० १ मृतक के पीछे किये जाने बाला विशेष भोज । प्रोहणौ (बौ)-क्रि० होना । २ अवसर, मौका । ३ असुर । पोहथरणौ (बी)-क्रि० १ ग्रस्त होना । २ बरे दिन माना। प्रोसरणौ (बौ)-क्रि० १ वर्षा प्रारंभ होना, बरसना, वृष्टि ३ पराजित होना। ४ अवसान होना, मरना । होना । २ तृप्त होना, अघाना । ३ गिरना, पड़ना । ओहदादार, प्रोहदेदार-देखो 'प्रोदादार' ४ देखो 'उसरणौ' (बौ)। प्रोसरी-पु. १ एक दिन छोड़ कर आने वाला ज्वर । २ किसी | प्रोहदो-देखो 'मोदी'। कार्य के लिए क्रमशः आने वाला अवसर, पारी । मोहरियौ-पु० [सं० पाश्रम] १ मकान, घर । देखो 'पोरौ' । प्रोसळ-वि० बराबर, समान, तुल्य । पोहरिसौ-देखो 'पोरीसौ'। पोसळणी (बी)-क्रि० १ डरना, भयभीत होना । २ भागना, | पोहसरणी (बौ)-देखो 'अोहोसणौ' (बौ) । युद्ध स्थल छोड़ कर भागना । प्रोसविरण-पु० चावलों का पानी। पोहार-पु० [सं० अवधार] रथ या पालकी का पर्दा । श्रीसारण-पु०१ एहसान, उपकार, अनुग्रह । २ अवसर, मौका। प्राहाळ-पु० [सं० ऊहावलि] पानी के साथ बहने या ऊपर ३ विश्राम, अवकाश । ४ अवसान । तैरने वाला कूड़ा करकट । पोसाप-पु. १ शौर्य, पराक्रम । २ साहस, हिम्मत । ३ शक्ति, प्रोहासणी (बौ)-कि० धूप-अगरबत्ती जलाना । सुवासित बल । ४ वदान्यता, उदारता। ५ प्रभाव, धाक । ६ दान ।। करना। ६ कीर्ति, महिमा। ७ एहसान । प्रोहि, प्रोहिज, प्रोही-सर्व० १ निश्चय यही । २ देखो 'मोह' । श्रोसारौ-पु० बरामदा, दालान । प्रोहिचरणौ (बौ), प्रोहीचरणौ (बो)-देखो ‘अळूचणौ' (बौ)। पोसावण-पु. किसी खाद्य पदार्थ के साथ उबाला हुआ पानी। प्रोहिनांरण-देखो 'अवधिग्यांन'। प्रोसास-पु० निश्वास । प्रोसियाळ, प्रोसियाळी-देखो 'मोयाळी' । (स्त्री० ओसियाळी) | मोहिनाणी-वि० [सं० अवधिज्ञानी] अवधिज्ञानी (जैन)। भोसीकरण, प्रोसींखल-पु० वारना लेना, बलया लेना क्रिया। मोहीनौ-वि० [सं० अवहीन] १ न्युन, छोटा । २ देखो उपकृत होना क्रिया । 'पोखरणो'। प्रोसोसद, श्रोसीसू, प्रोसीसौ-देखो 'उसीसौ' । मोसुर-देखो 'असुर'। मोहोड़ो-देखो 'पोहड़ो'। प्रोसौ-पु० [सं० अबसव] १ आंखों का सुरमा । २ अंजन, अोहोसरणौ (बौ)-क्रि० १ उद्भासित होना, प्रगट होना । काजल । ३ दवा, औषध । २ उदय होना। ३ प्रकाशित होना । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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