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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अंतिक - क्रि० वि० आखिरकार अंत में । श्रंतिक - क्रि०वि० अन्त तक पहुंचने वाला । ---पु० पढ़ीम, सामिप्य मानिव्य " [सं०] पास, समीप, निकट । वि० पास का, www.kobatirth.org अंतेस्टि तेरी देखो 'प्रत्येस्टी' | [ ९ ] अंतपुर- देखो 'तहपुर' | - पु० [सं०] अन्तिम वर्ग में उत्पन्न व्यक्ति द ---वि० नीच, दृष्ट 1 । अंतिम - वि० [सं०] १ सब से पीछे या अन्त का आखिरी । २ सब से बढ़कर | -जातरा, जात्रा, यातरा, यात्रा स्त्री० महा प्रस्थान, मरगा, मृत्यु | अंदाद देखा 'पा''। अंतेउर, अंतेउरि, अंतेउरी, अंतेवर, अंतेवरि अंतेवरी -स्त्री० १ अन्तःपुर की रानी, ठकुरानी । २ स्त्री पत्नी, भार्या । --० धन्यःपुर। अंदार, अंदारी- देखो 'अंधारी' | अंदाळी- देखो 'वारी' | अंदाळी-देखो 'अंधारी' । ! अंतेवासी - पु० [सं०] [स्तेयाम ] १ शिक्षा गुरु के पास रहने अंदाही अंदाहोळी रेखी 'पाळी' । वाला शिष्य । २ भंगी, हरिजन । दिवारी-देखो 'प्रधारी । प्रत्यवरण-पु० [ सं० ] १ अंतिम वर्ण, शूद्र वर्ण । २ वर्णमाला का अंतिम वर्ण । ३ किसी कविता या छंद का अन्तिम अक्षर । अंत्यविळा-स्त्री० [सं०] का एक भेद अंत्याक्षरिका, अंत्याक्षरी स्त्री० [सं०] ६४ कलायों में से एक । अंत्यानुपरास, अंत्यानुप्रास - पु० [सं० ग्रंत्यानुप्रास | किमी छन्द या कविता की पंक्तियों में तुकांत मेल से बनने वाला एक शब्दालंकार | स्पेस्टिस्पेस्ट-स्त्री० [सं०] अन्त्येष्टि ] शह-संस्कार, अंतिम संस्कार | अंत्र, यंत्रक, अंत्राळ-स्त्री० प्रांत, प्रांत । अंदाजन अंदाजी - देखो 'अंदाज' | अंदाता-देखो 'ग्रन्नदाना' । अंक-१ देखो 'अंधक' । २ देखो 'अंक' । अंदर कि०वि० [फा०] १ बाहर ही भीतर २ देखी 'इ। अंदरी वि० [फा०] १ बारिक भीतरी २ देखो 'इन्ट्री' | अंदरूणी, अंदरूनी - वि० [फा. अंदरूनी ] भीतरी, ग्रान्तरिक । - दे तरीका ३ युति, अंदाज पु० [फा०] १ अनुमान अटकल | ४ करीब, लगभग ५ नाप-तौल ६ हाव-भाव, चेष्टा । ७ उचित मात्रा । 2 वि० [फा०] करीवन धनुमानतः अनुमान से Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रदु, अंदुआ देखो 'अंदुक' | अंक पु० [सं०] १ हाथी का पैर बांधने का समा, सांकल श्रृंखला | २ हाथी के पैर में डालने का कांटेदार यंत्र । ३. स्त्रियों के पैर का ग्राभूषण, पायजेव । " चंदेख, प्रदेसी- पृ० [फा० संदेशा १ संजय संदेह भ्रांति । ३ प्राशंका, संभावना, भय । ग्रंथरूप २ भ्रम, ४ अनुमान, अंदाज पिता, फिक, सोच ६ असमंजस, ग्रागापीदा। बंदोरान शोर चंद्र-०१ देखी 'बांध देखो ' संद्रजीत देखो 'इंद्रजीत' । सत्र देखो 'इंद्रसस्त्र' | --कूज, कूजन - पु० ग्रांतों की गड़गड़ाहट । प्रांतों की ग्रावाज । -यदि वधी स्त्री० प्रांतों का रोग कोण यदि का एक रोग । मंत्री० [० त्रास से वाली मंत्र, मंद्रिय मंत्री चंद्रीय देखो 'डी' । फुंसी, फोड़ा अंत्रावळ, अंत्रावळि, अंत्रावळी, अंत्रावाळ, अंत्रि- देखो 'यंत्र' | अंद-पु० १ दोष, पाप । २ देखो 'इंद्र' । ३ देखो 'अं' । ४ देखो अंक ५ देखी । --संद राजा गु० एक देशी खेल विशेष । दोळणौ (बौ) - क्रि० १ प्रांदोलित करना, विलोड़ना । २ हिलाना । ३ इधर-उधर करना । श्रंदोह - पु० १ दुःख, संताप । २ खटका खतरा । ३ निता फिक्र ४ खेद । वि० दुखद | देखो''। चंद्रायल इंद्रायण चंद्रासरण देखो 'द्रासरण' । For Private And Personal Use Only अंध - वि० [सं०] १ दृष्टि हीन, अंधा । २ अत्रेत असावधान । ३ निर्बुद्धि, जड़. बुद्धि । ४ उन्मत्त, पागल । - पु० १ अंधा प्राणी । २ अंधेरा, अंधकार । ३ जल, पानी । ४ एक मुनि ५ अंधकार शिकारील गीतों का काव्य संबंधी एक दोप देखो 'ध' | - क पु० १ एक दैत्य । २ ने ज्योतिहीन व्यक्ति । - कार - पु० १ यं । २ पाताल ३ शिव ४ अज्ञान । ५. मोह-कारी पृ० १ शिव, महादेव २ एक रागिनी । -कूप- पु०१ घास-फूस से भरा सूखा कुप्रा । २ एक नरक का
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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