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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org জঘনী ऊपरलीपुळ ऊधमी-वि०१ उपद्रवी, उदंड । २ बहादुर । ३ देखो 'उद्यमी'। ऊनोदरी-स्त्री० बारह प्रकार के तप में दुसरा तप जिसके ऊधरण, (पौ)-देखो 'उद्धरण' । अन्तर्गत जितनी भूख हो उससे कम पाहार किया ऊधरणी (बी)-देखो 'उद्धरणौ' (बौ)। जाता है। (जैन) ऊधरौ-वि० (स्त्री० ऊधरी) १ उत्तुंग, ऊंचा । २ उत्कृष्ट, श्रेष्ठ। ऊनौ-वि० [सं० उष्ण] (स्त्री० ऊनी) उष्ण, गर्म । ३ बहुत, अधिक, अपार । ४ जोशपूर्ण । ५ तीव्र विकट ऊन्याळी-देखो 'उनाळो' । उग्र। ६ दानशील, दानी। ७ सरल सीधा, अनुकूल ।। ऊन्हा-क्रि० वि० उस तरफ। ---सं० पु० मला ऊपर उठाए हुए चलने वाला बैल । ऊन्हाळइ (ळ उ, ळो)-देखो ‘उन्हाळी' । ऊधळणौ (बी)-देखो 'ऊदळणी' (बी)। ऊन्हाळागम-पु० [सं०उष्णकालागम] ग्रीष्म ऋतु, उष्णकाल । ऊधस-पु० [सं० ऊधम्, ऊधस्य, ऊर्ध्व] १ दूध,पय । २ पशुओं के | ऊन्हाळी (ह)-देखो 'उनाळी' । स्तन । ३ ऊंचा, उच्च । ४ सूखी खांसी । ५ देखो उधार'। ऊन्हौ-देखो 'ऊनौ'। ऊधसणौ (बौ)- कि० १ स्पर्ण करना, छूना, रगड़खाना । २ लड़- ऊप-वि० [सं० उपम] १ समान, तुल्य । २ उपम लायक । खड़ाना, लड़ वडाकर गिरना । _ -क्रि० वि० ऊपर। ऊधांमरणौ (ौ)-देखो 'उधांमणी' (बौ)। ऊपड़पो (बौ)-देखो 'उपड़णौ' (बौ) । ऊधारणौ (बौ)-देखो 'उद्धारगौ' (बौ)। ऊपजरषौ (बी)-देखो उपजणी (बौ)। ऊधारियौ-देवो 'उधारियो'। ऊपजस-देखो 'अपजम'। ऊधूळ-वि० वीर बहादुर । ऊपजाणौ (बौ)-देखो 'उपजाणी' (वी) । ऊधोळरणौ (बी)-क्रि० धुलि से ढकना, पाच्छादित करना । ऊपटणौ, (बौ) ऊपट्टणी, (बौ)-देखो 'उपटणौ' (बौं) । ऊधौ-पु० [सं० उद्धव] श्रीकृष्ण का मित्र, उद्धव । ऊपनरणी, (बौ), ऊपन्नणौ, (बौ)-क्रि० १ उत्पन्न होना, पैदा ऊध्वनी-स्त्री० ऊंची या तेज ध्वनि । होना। २ उपार्जन होना । ३ उपजना । ऊनंग-देखो 'उनंग'। | ऊपनौ-वि० (स्त्री० ऊपनी) १ पैदा हुवा हुआ । २ अंकरित । ऊन-स्त्री० [सं० ऊर्ग] १ भेड़-बकरी के बाल । २ इन बालों -पू० विक्रय की प्राय । का ढेर । ३ इन बालों का डोरा । ४ उष्णता। ऊपम-देखो 'उपमा'। ५ जोश, आवेग । ६ क्रोध । ७ ज्वर । [सं० ऊन्] ८ छोटी ऊपर (रि)-क्रि० वि० [सं० उपरि] १ ऊंचाई या ऊंचे स्थान तलवार -वि० कम, थोड़ा, अल्प । -अधोड़ी-स्त्री० एक पर । २ आकाश की ओर । ३ प्राधार या सहारे पर। प्राचीन सरकारी लगान। ४ ऊपर की ओर । ५ ऊपरी सतह पर । ६ प्रकट या ऊनकूळ-देखो 'अनुकूल'।। सामने । ७ उच्च श्रेणी में । ८ तट पर । ९ अतिरिक्त तौर ऊनरणी, (बौ) ऊनमरणौ, (बौ)-देखो 'उमड़गौ' (बौ)। पर । १० प्रथम,पहले। -स्त्री०१ सहायता,मदद । २ रक्षा। ऊनय-देखो 'उनथ'। ३ दया, कृपा । ४ संरक्षण । -वि० १ अधिक, ज्यादा । ऊनयु-वि० [सं० उन्नत] 'उन्नत'। २ अतिरिक्त । ३ प्रतिकूल । - टली, छूटौ-वि० अतिऊनवणी (बौ)-देखो 'उमड़गौ' (बौ)। रिक्त । --तळे-क्रि० वि० एक पर एक, लगातार । ऊनांगी-देखो 'उनंग' । --नेत, नैत-स्त्री० एक प्रकार की भेंट । -माळ-स्त्री० ऊना-स्त्री. एक प्रकार की ईरानी तलवार। -क्रि० वि० पहाड़ के ऊपर की भूमि । -वट-पु० दो में से एक पक्ष । इस ओर, इधर । स्त्री० अधिकता । -क्रि० वि० बढ़कर । -वाड़ी ऊनागरणी (बी)-क्रि० १ प्रहार के लिए शस्त्र निकालना। 'उपरवाड़ी'। --वाडौ='उपरवाड़ौ' । --सांपर-स्त्री. _२ नंगा होना । निरावरण होना । निगरानी । देखभाल । सहायता । ऊनागौ-देखो 'उनंगी(स्त्री० कनांगी)। ऊपरकीन्यां-स्त्री० स्त्रियों के कान का प्राभूषण विशेष । ऊनाळ-दखो ‘उनाळो'। ऊपरचौ-पु. १ सहायता, मदद । २ रक्षा । ऊनाळी (छ)-देखो 'उनाली' । ऊपरट-वि० विशेष, अधिक । ऊनाळी-देखो 'उनाळो'। ऊनियो-[i० ऊर्ण| छोटा मेढा, भेड़ का बच्चा। ऊपरणी-स्त्री० पगड़ी पर बांधा जाने वाला वस्त्र । ऊनी-वि० १ का का, ऊन संबंधी। २ ऊन का बना । गर्म | ऊपरलीपुळ, (रुत)-स्त्री० १ वर्षा ऋतु । २ इस ऋतु के पूर्व या उष्ण । ८ देखो 'नि'। पश्चात् का समय । ३ दैनिक अवसर । ४ अवसर । For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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