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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समताळिस ( १४४ ) उन्मादी उनताळित (ळीस)-वि० [सं० ऊनचत्वारिंशत्] तीस और उनाळ-पु० १ उष्णकाल, गर्मी। २ अग्नि, पाग। ___ नौ का योग । -पु० तीस व नौ के योग की संख्या, ३९। उनाळी (छ)-स्त्री० १ रबी की फसल । २ दक्षिण पश्चिम की उनताळीसौ-पु० उन चालीसवां वर्ष । हवा । -वि० ग्रीष्मऋतु की। -साख-स्त्री. रबी उनतीनाह-० [सं० उन्नतिनाथ] पक्षीराज गरुड़ ।। की फसल । इस पर लिया जाने वाला सरकारी लगान । उनतीस-वि० तीम से एक कम । -पु० बीस व नौ के योग की | उनाळो-पु० [सं० उष्णकाल ] ग्रीष्म ऋतु । गर्मी का मौसम । संख्या, २६ । उनासाही-स्त्री० एक प्रकार की तलवार । उनतीसौ-पु. उन्तीसवां वर्ष । उनि-सर्व० उन । उसने । उनत्थ, उनथ-वि० [सं० उन्नाथ] १ बंधन, रहित, स्वतन्त्र । उनींदौ, (द्रौ)-वि० [सं० उनिद्र] नींद से भरा हपा, ऊंघता २ उदंड। -नथ-वि० बंधन रहित को बंधन में हुआ। निद्रित । डालने वाला। उने (न)-क्रि० वि० उस पोर, उस तरफ। उनमंदा-देखो 'उमदा' । उनमरणो, उनमन. (मनौ)-वि० [सं०उन्मनस] (स्त्री० उनमणी) उनोदरी-पु. बारह प्रकार तप में से दूसरे प्रकार का तप उदास, खिन्न, चिंतित । विकळ व्याकुल, बेचैन उद्विग्न, प्रिय जिसमें जितनी भूख हो उससे कम पाहार किया जाता है। वियोग से संतप्त । उनौ-देखो, ऊनौ (स्त्री० उनी)। उनमत (स)-वि० [सं० उन्मत्त] १ मस्त, मौजी । २ मदमस्त । उन्नत-वि० [सं०] १ ऊंचा, उत्तुंग । २ ऊपर, उठा हा। ३ मदान्ध । ४ पागल । ३ श्रेष्ठ, उच्च । ४ विकसित । ५ विख्यात, प्रसिद्ध । उनमनी-देखो 'उनमुनी' । ६ उन्नति पाया हुप्रा । ७ किसी कला या विद्या उनमांम-देखो 'अनुमान'। में निपुण । उनमाव-पु० [सं० उन्मादः) १ पागलपन, विक्षिप्तावस्था। उन्नता उन्नति-स्त्री० [सं० उन्नति] १ तरक्की, बढ़ोतरी, वृद्धि। २ नशा । ३ उन्मत्तता, मस्ती । ४ शैतानी, शरारत । २ ऊंचाई, चढ़ाव । ३ समृद्धि । ३३ संचारी भावों में से एक। -वि० [सं० उन्माद] उन्नतोदर-१० [सं०] १ गगेश, गजानन । २ चाप या वृत्त का पागल, सनकी, डांवाडोल । ऊपरी भाग। उनमादक-वि० [सं० उन्मादक १ उन्मत्त करने वाला। उन्नयन -पु० [सं०] १ ऊर्ध्व प्रयाण । २ ऊपर का खिंचाव । २ नशा युक्त, नशीला । : पागल या भ्रमित करने वाला। ३ विचार, अटकल । ४ हर्ष प्रद । -पु. काम के पांच बाणों में से एक ।। उनमादी-वि०१उन्माद रोग से पीडित। २ पागल । ३ विक्षिप्त । उन्नाव-पु० [अ०] बेरनुमा एक प्रौषधि । उनमुनी-स्त्री० हठ योग की एक मुद्रा विशेष । उन्नानी-वि० [अ० उन्नाव + रा. प्र.+६]. उन्नाव के रंग का, उनमुनौ-देखो 'उनमणी' (स्त्री० उनमुनी)। कालापन लिए हुए लाल । उनमळरण (न)-पु० नष्ट करने, मिटाने या उखाड़ने की क्रिया उन्नायक-वि० [सं०] उन्नत करने वाला। या भाव । उन्नाळो-देखो 'उनाळो'। उनमछरणी (बी)-कि० नष्ट करना । मिटाना । उखाड़ना। उन्नासी-वि० [सं० ऊनाशीति, प्रा० एगुणासीइ] प्रस्सी से एक उनसट (8)-वि० [सं० ऊनषष्ठि] साठ से एक कम । -पु० कम । -स्त्री० सत्तर व नौ के योग की संख्या, ७९ । पचास व नौ को संख्या, ५६ । उनसठो-पु. उनमाठवां वर्ष । उन्मत्त-वि० [सं०] मदमाता, नशे में चूर, पागल, सिड़ी। उनहरणौ (बी)-क्रि० उमड़ना, उमड़ कर छा जाना । घना उन्मत्ता-स्त्रा० स० उन्मत्तता | उन्मत्त हान का दशा या भाव, होना । सघन होना । उमड़-घुमड़कर पाना । पागलपन, मस्ती । नशा। उनहोत्रो (डो)-वि० सघन । घनघोर (स्त्री० उनहीअोड़ी)। उन्मन-वि० मनस्थैर्य । मन का, मन संबंधी। उमाम (ब)-पु० १ वर्षा के जल की फसल वाला खेत । २ वर्षा | उन्मथ-पु० [सं०] कर्ण लुच का एक रोग । का जल एकत्र होने का स्थल । उन्माद-देखो 'उनमाद'। उनाग-देखो 'उनंगौ' । उन्मादक, (ण)-देखो 'उनमादक' । उनारण-पु० उष्ण पदार्थ । उन्मादी-देखो 'उनमादी'। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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