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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org उकटरणी ईसुर-देखो 'ईस्वर'। ईह-सर्व० १ यह । २ देखो 'ईहा'। ईसुरी-देखो 'ईस्वरी'। ईहग-पु० १ कवि । २ चारण । ईसून-देखो 'ईसांन'। ईहड़ौ-वि० (स्त्री० ईहडी) ऐसा । ईसौ-देवो 'इसौ' । (स्त्री० ईसी) ईहण-पु. १ कवि । २ चारण । ईस्वर-पु० [सं० ईश्वर] १ परमेश्वर, ईश्वर । २ शिव, महादेव । ईहणौ (बौ)-क्रि० इच्छा करना, चाहना । ३ स्वामी । ४ राजा । ५ धनी, धनवान । ६ समर्थ पुरुष। ईहा-स्त्री० [सं०] १ इच्छा, कामना। २ चेष्टा ---ता-स्त्री. प्रभुत्व, ईश्वरत्व । -वि० ऐसा। ईस्वरी-स्त्री० [सं० ईश्वरी] १ दुर्गा, भगवती, महामाया। ईहित-वि० [सं०] इच्छित, अभीष्ट । २ पार्वती। ३ श्रीकरणी देवी । ४ श्रीमावड़ देवी। प्रयत्न । -उ उ-नागरी वार्णमाला का पांचवां स्वर । | उ-पु० [सं० उ:] १ ब्रह्म । २ शिव । ३ नारद । ४ प्रजापनि। -प्रव्य० [सं०] विरोध, कष्ट आदि भाव प्रगट करने । ५ सूर्य । ६ स्वामिकात्तिकेय । ७ सार । ८ आशीर्वाद । वाली ध्वनि। ६ रावण । १० काल । ११ त्रिकाल संध्या १२ निपुग । उंगस्तनी-स्त्री० जादू का अंगूठे का छल्ला [मेवात] । १३ बिजली । १४ पार्वती । -वि० मधीन । - सर्व० उंचाई-देखो 'ऊंचाई'। वह । -अव्य० अनुकम्पा, नियोग, पादपूर्ति या स्वीकृति उचा गौ-देखो 'ऊंचाणौ' (बौ)। सूचक अव्यय। उंचास-देखो 'ऊंचास'। उअंकार-पु० प्रणवमंत्र, ऊंकार । उंछाती-पु० एक दांत की कमीवाला घोड़ा। उअर, (अरि, अवर)-देखो 'उर'। उंडांग, उंडाई, उंडायत-देखो 'ऊंडवरण' । उपल्लो-वि० (स्त्री० उपल्ली) इस ओर का। उरण-देखो 'उण' । उग्रह-पु० [सं० उदधि] सागर, समुद्र । उंरगौ-देखो ऊंगो'। उपहारगउ-देखो 'उ खांणी'। उतावळ, उताबळी, उताळ, उतावळ उतावळी-देखो 'उतावळ' । | उपा-सर्व० अ का विकारी रूप, वह, उस (स्त्री)। उतावळू, (ळी)-देखो 'ऊताकळी'।-(स्त्री० उतावळी)। उग्राडो-१ देखो ‘उवाड़ी' । २ देखो 'अवाड़ौ'। उदर (रौ)-देखो 'ऊंदर'। उपारण-वि० रक्षा करने वाला। -(स्त्री० न्यौछावर) । उंदापली-देखो 'ऊधायलो'। उपारगौ-पु०१ यौछावर, वलया । २ रक्षक । उंधाड़कौ-देखो ऊधाड़ को (स्त्री० उधाड़की)। उपारणी (बौ)-कि० [सं० अवतारणम्] न्यौछावर करना, उधाह डौ-पु० वह घोड़ा जिसके अगले पैर लम्बे हों। २ बलैया लेना । ३ रक्षा करना । बचाना । उंधीखोपड़ी-वि० नासमझ, मूर्ख । जिद्दी । उइखरणौ (बौ)-क्रि० उपदेश करना । उनमन-पु. मनस्थैर्य । -वि० मनका, मन संबंधी। उइल्लौ-वि० (स्त्री० उइल्ली) इस ओर का। उंबर, उंबुर -स्त्री० [सं० उम्बर, उम्बुरः] १ चौखट के ऊपर उग्रोल-देखो 'अवाळ'। वालो लकड़ी। २ देखो 'उमर'। उकडच्छी-वि० १ उत्कट इच्छा वाली । २ बड़ी यांखों वाली। उंबरण-पु० एक बड़ा वृक्ष जिसका तना स द व फल नीम्बू जैसे होते हैं। उकडणौ (बौ)-देखो 'उकढ़णी' (बौ)। उबरी-स्त्री० एक कांटेदार वृक्ष ।। उकड़ (डू)-पु० [सं० उत्कृतोरु] पांवों पर बैठने का एक ढंग । उंबरौ-१ देखो 'अमराव' । २ देखो 'ऊमरी'। -वि० उक्त प्रकार से बैठा हुअा। उंबाई-J• जलाने की लकड़ियों का गट्ठर । उकटपौ बौ)-क्रि० १ कसिया जाना । २ क्रोध करना। उंबी-देखो 'ऊबी'। ३ बार-बार कहना । ४ स्थान छोड़ कर निकलना। उवार-देखो 'अवार'। ५ भागना । ६ तलवार निकालना । ७ अाक्रमण करना, उंवारणौ, (बौ)-देखो 'वारणौ' (बौ)। हमला करना । ८ यागे बढ़ना । ६ मुख जाना । १० उत्पन्न उहूं-देखो 'ऊहूं'। होना । ११ बढ़ना। For Private And Personal Use Only
SR No.020588
Book TitleRajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan
Publication Year1986
Total Pages799
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size20 MB
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