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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फिर पीछे मारवाड़ में लाये । और इधर मारवाड़का अधिकार कर 1 लेनेवाली बादशाही सेनासे ठाकुर देवीदासजी चाँपावत आदि राठौड़ोंने कई वर्षों तक बड़ी वीरता से लड़कर मारवाड़ का खोया हुआ राज्य पीछा महाराजको दिलाया। उस समय महाराजने भी उक्त दुर्गादासजी आदि स्वामि भक्त वीरोंका बड़ा सत्कार किया और पुरोहित जयदेवजी के पुत्र 'जग्गूजी' को 'श्री पुरोहितजी' की पदवी दी और 'भाई' कहकर पुकारते थे तथा जागीर में गाँव भी दिये थे । उस समय महाराज अजितसिंहजी ने अपने निज हस्ताक्षरों का एक खास रुक्का सं. १७७० में लिख दिया था जिसमें यह एक दोहा लिखा है:माता म्हारी थावरी. पिता प्रोत प्रमाण ॥ जन्म लियो जसवन्त घर, जोध तिलक जोधाण ॥१॥ अर्थात् में ( जोधपुर के महाराजा अजितसिंह ) ने यद्यपि जन्म तो महाराज यशवन्तसिंहजी के घर में लिया है, परन्तु यथार्थ में मेरी रक्षा करनेवाले पिता तो पुरोहित (पुष्करणे ब्राह्मण 'जयदेवजी ' ) ही हैं, और मेरी पालन करनेवाली माता उनकी 'थावरी' नामकी स्त्री है । (देखो रिपोर्ट, मदुर्मशुमारी, राज्य मारवाड़, के भाग तीसरे का पृष्ठ १८३ ). -- ---- पुष्करणे ब्राह्मण राज्य भक्त । मारवाड़ के राठौड़ राव जोधाजीने सं० १५१५ के ज्येष्ठ सुदि १५ को अपने नामपर जोधपुर नगर वसा के पर्वत पर क्रि की नींदी | उस पर्वतपर 'चिड़ियानाथजी' नामी एक सिद्ध पुरुषको जो तपस्या करते थे उनको वहांसे हटा दिये, जिससे For Private And Personal Use Only
SR No.020587
Book TitlePushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMithalal Vyas
PublisherMithalal Vyas
Publication Year1910
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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